: बाबा जी का अयोध्या-संकल्प पूरा होना जरूरी : माध्यम जल ही नहीं, रिवाल्वर तो बन सकती है : नदी में डूबें या पुलिस की गोली से। मकसद तो प्राण-त्याग कर मंदिर बनाना ही है न ? : जगतनारायण सिंह के आका पुलिस अफसरों को सेट करो। न हायहाय, न किचकिच : बाबा जी। ऊपर जाते ही पूरी सृष्टि हिन्दूमय कर देना। दूध-घी के बजाय गोमूत्र और गोबर दिखे तो जीवन धन्य :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बाबा परमहंस के शिष्यों-सरपुतों ने उनके संन्यासीपने की पुंगी बजा दी। पुलिस बुला लेना एक षडयंत्र था। आपके संकल्प में ताड़का की तरह भारी विघ्न कर सारा सरभण्ड कर डाला। कोई बाद नहीं है। डोंट वरी, कमंडल वाले घोषणावीर परमहंस बाबा। वैसे भी 2 अक्टूबर तो गांधी और शास्त्री के जन्म की तारीख थी। पिशाच जन्मे थे उस दिन। नर हो, न निराश करो मन् को।
बाबा जी ! अब आप ऐसा कीजिये, कि डायरेक्ट अगली 30 जनवरी की डेट फाइनल कीजिये। योगी जी ने अपराधियों को यूपी से भगा दिया नो प्रॉब्लम। यूपी में अपराध करने वालों का ठेका अब यूपी पुलिस ने ही ली है। जैसा काम, वैसा दाम। पकड़-धकड़ का झंझट भी नहीं। बिल्कुल मुम्बइया इश्टाइल।
और खास बात यह कि इसी गांधी ने सावरकर, संघ मोदी और भाजपा का रास्ता रोक रखा है। अब आप उस बड़ी गांधी इमारत को धराशायी तो नहीं कर सकते हैं, लेकिन उसे बेहद नाचीज़, बौना और तुच्छ टुच्चा साबित कर सकते हैं। सिर्फ आप, और सिर्फ आपका संकल्प। आप 30 जनवरी को अपना तियाँ-पांचां कराइये। और फिर आर्यावर्त में सिर्फ आपके नाम का डंका बजेगा। और आपको विश्वास दिला दें कि उसके बाद आपके अलावा कोई भी किसी गांधी-फांदी को तो तब कोई घास तक नहीं डालेगा।
सूत्रों से पता चला है कि पुलिस ने यूपी से अपराधियों को या तो खदेड़ दिया है, या उन्हें जेल में बंद कर दिया है या फिर जेल या बाहर भी उनका ठांय-ठांय कर दिया है। ऐसे में मलाई का बाल्टा पुलिसवालों के हाथों लग गया। यूपी के हर कोने-कुतरे में पैसा वसूल कर मर्डर तक करने वाले पुलिसवालों की कई टोलियां खड़ी हो गयी है। किसी भी बड़े आला अफसर को मोटी देकर प्लान करा दीजियेगा। पैसा आपके पास तो बेहिसाब और अकूत है ही, और वैसे भी इत्ता खजाना कोई स्वर्ग लेकर जाता नहीं। वह पुलिस आला अफसर अपने किसी मातहत को कह कर 30 जनवरी की सुबह उसी राइटटाइम पर ठांय कर आपका संकल्प पूरा करा देगा।
वैसे आपको बताऊं कि आपके मामले में गोरखपुर का कोतवाल जगत नारायण सिंह बिल्कुल मुफीद और सटीक बैठेगा। आजकल बड़े अफसरों की कृपा से नेपाल में सुरा-सुंदरी का सेवन कर रहा है। नाम ही है उसका नगद नारायण सिंह। जी-दर और दिलदार बांका ठाकुर है। एकदम्मे से क्षत्रिय-कुल-शिरोमणि। योगी का धमक दिखा कर अफसर अराजक हैं, पुलिस अफसर लूटपाट में आमादा है। सब कुछ चकाचक चल रहा है।
वह बिल्कुल धांसू और रैप्चिक आदमी है। सिपाही से होने के बावजूद कोतवाल बनने के बीच न जाने कितने लोगों का काम-तमाम कर दिया उस पट्ठे ने। गोली सीने पर रिवाल्वर सटा कर दागता है, और फिर रिवाल्वर की नली से उड़ते धुएं को सूंघ कर अपनी उंगली से खून चाट लेता है। बड़ा बहद्दर है। छप्पन इंची। इष्टैल में लाजवाब। अपने मोदी जैसा।
सभी अफसर उसका सम्मान करते हैं। आजकल तो यह चर्चा भी चल है कि गोरखपुर के एक एमएलए साहब से सीएम साहब से बहुत दांत-काटी करीबी है। बिल्कुल झक्कास। उन्हीं का ही तो पालतू है यह बहद्दर जगत नारायण सिंह कोतवाल। एमएलए साहब अब इसी कोशिश में हैं कि उसको यूपी का एडीजी कानून-व्यवस्था का प्रमोशन करा दूँ। आउट ऑफ टर्न प्रमोशन।
अरे प्रशांत चंद्रा कौन सी खेत की मूली हैं। ज्यादातर तो ढक्कन ही रहे। कांवड़ियों का पैर सहला कर, धो कर और मलहम लगाने की नौटंकी की जमा कर, तो एडीजी कानून-व्यवस्था की कुर्सी मिल गयी। मूंछ तुर्रादार न होती तो प्रशांत चंद्रा और अमिताभ ठाकुर में कोई फर्क ही न कर पाता। बहुत सिपाही भी ऐसी मूंछ रखते है, लेकिन उनकी हैसियत दिन में दस-पांच हजार की कमाई तक नहीं पहुंचती। और जिसकी औकात उससे ज्यादा की हो जाती है वह देवरिया के सिपाही के साथ कई युवतियों से शादी का झांसा देकर उनको चूतिया बनाता है। लेकिन आजकल उस पर शनि की ढैया चल रही है। कई लड़कियों ने उस पर झांसा और देहशोषण का मामला चलाया तो वह डरपोक भाग गया। जब कि उन्नाव का बुड्ढा सीओ अपनी ही जवान सिपाहिन के साथ होटल में नंगे-नंगे शॉवर के नीचे कुल-करम कर रहा था। उसका कोई भी कुछ नहीं उखड़ा, मगर वैभव कृष्ण के मामले में विभाग के बड़े लोग ही नही, पूरी सरकार बिना-छीला बांस लेकर जुट गई वैभव में। खुदा मेहरबान हो तो गधा मेहरबान। पाटीदार कितने बरस से फरार है। सरकार का रहम-करम उस पर छाया है। वरना न जाने कब के बिकरू के मुर्गा बन जाते। चारा घोटाले वाला डीआईजी दिनेश चंद्र दुबे घर में बैठा मौज-मस्ती कर रहा है। जबकि उस पर संगीन आरोप हैं। करोड़ों की घूस का।
अरे भाड़ में जाएं ऐसे छिनरे। छिनरा तो वह होता है, जो पकड़ लिया जाए। यूपी में आजकल काफी पुलिस अफसर वियाग्रा और जापानी तेल के स्थायी आपूर्ति अपने अधीनस्थों से फ्री में कराते हैं। क्रिस्टल क्लियर बात है, जब फ्री का माल आता है तो उसका बाकी साजोसामान भी फ्री में ही मिलनी चाहिए न।
खैर, हम बात कर रहे थे बाबा जी की आत्महत्या को किसी बड़े इवेंट की तरह आयोजित किया जाए, ताकि आत्महत्या के मामले में भी हम विश्वगुरु ही रहे थे, हैं और रहेंगे भी। आठवी शताब्दी में इलाहाबाद के झूंसी के एक पेड़ के नीचे किसने अपनी चिता जला कर आत्म-आहुति दी थी? सही पहचाना। कुमारिल भट्ट ने सार्वजनिक आत्मदाह किया था। किसी ने रोका ? बिल्कुल सही, किसी ने भी नहीँ। शंकराचार्य ने भी नहीं, जो अपने ग्रंथ की टीका लिखवाने गए थे। तब कुमारिल ने उनको दूरस्थ मिथिला प्रदेश के मंडन मिश्र के पास भेजा। शंकराचार्य जी झुलसते कुमारिल भट्ट का शरीर देखने के बजाय अपने रास्ते पर बढ़ गए।
ऐसे में प्रशांत चंद्रा कौन बड़े अदरख-लस्सुन बन गए हैं? सरकारी नौकरी का मतलब होता है धनिया, पुदीना और मिर्च की झाड़। सरकार कहे कि सामने वाले को चटनी का दिव्य स्वाद चखाओ, तो आनन-फानन सिल-बट्टै पर पीस कर तैयार कर देंगे। सरकार किसी से नाराज हुई तो राणा की पुतली गिरने से पहले ही चेतक तीखी मिर्ची तोड़-तोड़ कर अंग-प्रत्यंग तक घुसेड़ देता है। वैसे भी अरे बहुत दिन हो गया प्रशांत चंद्रा को कानून-व्यवस्था की कुर्सी तोड़ते-तोड़ते। अब जगत नारायण सिंह जैसे धमाकेदार सिंघम को भी तो परख लिया जाए।
बाबा जी ! डोंट वरी। जगत नारायण सिंह के मालिक पुलिस अफसर बहुत कारसाज है। गोली अन्दर, भेजा बाहर। और कीर्ति आपके नाम पर दमदमउव्वा फलक पर। वैसे भी आप तो परमहंस ही हैं न। यानी हंसों के भगवान। यानी परमात्मा। ऐसे में आप परमात्मा का आसमानी परमात्मा से मिलना अब अर्जेंट है। दोनों मिल कर सृष्टि के विकास के बारे में मस्त-मस्त प्लानिंग और उसका रोड-प्लान तैयार करते रहियेगा। प्लानिंग ऐसी कीजिएगा कि चुटकियों में या फिर बहुत हुआ तो दस-पांच बरस में ही पूरी दुनिया पर केवल हिन्दू ही राज हो। चारों ओर दूध-घी के बजाय गोमूत्र और गोबर पसरा हो। उसे ग्रहण करते प्रसन्न नागरिक साफ दिखाई पड़ें। ताकि हमारा त्याग किसी ठीक काम में खप सके। बवाल खत्म।
बाबा जी ! मरना-मारना तो दैव-इच्छा पर होता है न। उप्पर जाते ही आपको साक्षात प्रभु भी तो कंप्लीट साक्षात मिल जाएंगे। कौन सा प्रभु उस वक्त आपको चहियेगा, सलेक्शन कर लीजिएगा। अयोध्या में तो सिर्फ राम का मंदिर होगा, वह भी न जाने कब होगा। लेकिन स्वर्ग में तो राम, कृष्ण, शिव, विष्णु, इंद्र और उनकी कोटि-कोटि अप्सराएं। अहा अहा। वापस का आइडिया ही आप कैंसिल कर देंगे महाराज।
और क्या चाहिए?