: इंदौर के दैनिक भास्कर मुख्यालय में पिछले पांच बरस से देव कुण्डल की कलम गूंज रही थी : लॉक-डाउन होने के बावजूद पत्रकार में कोरोना मिलना चिंतनीय :
कुमार सौवीर
लखनऊ : कोई भी लक्षण नहीं थे देव कुंडल में कोरोना वायरस विकसित हो जाने को लेकर। लेकिन हैरत की बात है कि 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद इस पत्रकार में कोरोना वायरस पाया गया है। सामान्य तौर पर इस वायरस के लक्षण किसी भी प्रभावित व्यक्ति पर अधिकतम 14 दिन के भीतर हो जाती है। इसीलिए देश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए कोरंटाइन सेंटर्स में जिन भी लोगों को भर्ती कराया जाता है उनकी कोरनटाइम की अवधि अधिकतम 14 दिन ही रखी जाती है। इस अवधि के बादउन्हें प्रशासन रिहा कर देता है। लेकिन देव कुंडल के मामले में ऐसा नहीं हुआ। देव कुंडल को न तो खांसी आ रही थी, न जुखाम, न सर दर्द या फिर कोई दीगर लक्षण। हां, उसे कई दिनों से बुखार जरूर आ रहा था लेकिन वह बुखार भी 99 से लेकर 101 डिग्री तक ही सीमित हुआ बताया जाता था।
जबकि प्राप्त जानकारियों के मुताबिक कोरोना वायरस से पीडि़त मरीजों में तेज बुखार के लक्षण भी खूब मिलते हैं। लेकिन देव कुंडल में इनमें से कोई भी लक्षण नहीं मिला। जानकारों का कहना है कि यह आश्चर्यजनक मामला है जो बिना किसी सशक्त लक्षण के बावजूद देव कुंडल नामक पत्रकार में कोरोना वायरस का आक्रमण प्रकट हो गया।
देव कुण्डल की नजीर को देखते हुए जानकार बताते हैं कि अब डॉक्टर को अपने मरीजों में ऐसे विशिष्ट लक्षण न होने पर भी उनकी लेकर खास सतर्कता रखनी होगी। हालांकि कुछ अन्य सूत्रों के मुताबिक यह आश्चर्यजनक नहीं है कि देव कुण्डल नामक पत्रकार में कोरोना संक्रमण के बावजूद उस पर कोई भी प्रकट या स्पष्ट लक्षण नहीं दिखने से चिकित्सा जगत में चर्चा उठने लगी है। यह चिंता का विषय जरूर है, खासतौर से तब जब देव कुण्डल पत्रकारिता में रिपोर्टर के तौर पर काफी सक्रिय था