: पत्रकार में कोरोना संक्रमण से भास्कर के कई लोगों में भी भय का माहौल : पीड़ित पत्रकारों-कर्मचारियों में राहत योजना पर भास्कर समूह खामोश :
कुमार सौवीर
लखनऊ : कानून तो यह है कि कोरोना संक्रमण पॉजिटिव हो जाने के बाद संबंधित संस्थान को पूरी तरह सील कर दिया जाना चाहिए। इतना ही नहीं, नियम तो यह भी है कि जिस संस्थान में किसी भी समूह में संक्रमण की आशंका हो, तो वहां कार्यरत सभी कर्मचारियों को कारंटाइन कर दिया जाना चाहिए। और यह कोरंटाइन की अवधि कम से कम 14 दिन होनी चाहिए। लेकिन इंदौर के दैनिक भास्कर समाचार पत्र समूह में ऐसा नहीं हुआ है। न सरकार बोल रही है और न प्रशासन की हिम्मत पड़ रही है कि वह ऐसे बड़े संस्थान पर हाथ डाल सके।
आपको बता दें कि इंदौर के दैनिक भास्कर समूह के प्रशासनिक मुख्यालय में कार्यरत एक पत्रकार में कोविड-19 की रिपोर्ट पॉजिटिव मिल जाने के बावजूद भास्कर प्रबंधन खामोशी बरते हुए हैं। यहां के एक रिपोर्टर देव कुण्डल को कोरोना पीडि़त घोषित कर दिया गया है। लेकिन इस के बावजूद मध्य प्रदेश की सरकार चुप्पी साधे हुए है। चर्चाओं के अनुसार इंदौर का प्रशासन चलाने की हिम्मत एमपी सरकार में नहीं होती है। बल्कि भास्कर समूह यहां के प्रशासन पर खासा दबाये रखता है। नतीजा यही है कि इन दोनों के रवैये से समूह के पत्रकार और कर्मचारी ही नहीं, बल्कि उनसे जुड़े परिवारीजनों में भी भय व्याप्त हो गया है।
आपको बता दें कि मुम्बई के बाद देश में दूसरा नम्बर का महानगर इंदौर ही है, जहां कोरोना वायरस अपनी पूरी ताकत से अपना प्रकोप फैला रहा है। ऐसी हालत में इसका पता कैसे चले कि देव कुंडल नामक इस रिपोर्टर अपने संक्रमण के दौरान कितने लोगों के संपर्क में आया और कितने लोगों को संक्रमित कर गया। इतना ही नहीं, इस संक्रमण से केवल दफ्तर ही नहीं, दैनिक भास्कर मुख्यालय में आने-जाने वाले किसी भी व्यक्ति में कोरोना के संक्रमण की आशंका खारिज नहीं की जा सकती है। ऐसी हालत में पूरे एमपी में लोगों की धुकीपुकी लगी हुई है कि क्या कार्रवाई हो पायेगी।
वैसे आपको बता दें 24 घंटा पहले ही लखनऊ के दो अस्पतालों को सरकार ने इस आधार पर सील कर वहां के सारे कर्मचारी और डॉक्टर को कोरंटाइन करा दिया गया। वजह यह कि एक पाजिटिव मरीज इन संस्थानों में संक्रामक रोग फैलाने में जुटा था। लेकिन वे यह नहीं जान पाए कि इस कोरोना पॉजिटिव मरीज के संपर्क में कितने और कौन-कौन लोग आए थे। अब देखना तो यह है कि दैनिक भास्कर के इंदौर मुख्यालय पर सरकार का क्या नजरिया होगा। लेकिन यह तो समय ही बताएगा जरूर कि इस पूरे दफ्तर को सील कर वहां के कर्मचारियों को तत्काल टाइम नहीं किया गया तो इसके गंभीर नतीजे कैसे और कितनी दूर तक जाएंगे।