: मुझे कोई भी ऐसे लक्षण नहीं महसूस हुए जिससे कोरोना पीडि़त होने का अहसास होता : जनहित में पत्रकारिता का धर्म और कर्म निभाता ही रहूंगा :
कुमार सौवीर
लखनऊ : मैं इंदौर का पहला ऐसा फील्ड रिपोर्टर बन गया हूं जिसे नोबेल कोरोना वायरस ने चपेट में लिया है। मेरे संक्रमित होने से यह स्थापित थ्योरी भी गलत साबित हुई है कि तेज और लगातार बुखार, खांसी, सर्दी, छींकें, सांस लेने में तकलीफ इत्यादि लक्षण होने पर ही कोरोना हो सकता है। लेकिन मुझे उपरोक्त एक भी लक्षण नहीं हुए जो कोरोना के, और सामान्य बुखार 99 से 101 में ही सीमित रहा। लेकिन इसके बावजूद जांच में मिला कि मुझे कोरोना वायरस यानी कोविड-19 का संक्रमण हो गयाा है।
यह कहना है इंदौर में दैनिक भास्कर समूह के प्रशासनिक मुखयालय संस्करण में काम करने वाले देव कुण्डल का। देव कुण्डल को आज कोरोना पॉजिटिव मिला है। इस घोषणा के बाद देव कुण्डल घबराया नहीं है। बल्कि उसने बिना लागलपेट के इस पूरे दौरान हुए अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करना शुरू कर दिया। देव ने लिखा है कि:- हालांकि मैं इस समय पूर्ण स्वस्थ रूप से फील कर रहा हूं, लेकिन फिर भी 14 दिन का वनवास तो काटना ही होगाा। फील्ड में न जा सकता हूं, लेकिन फिर भी कलम से जंग तो जारी ही रहेगी। जनहित में पत्रकारिता धर्म और कर्म दोनों ही निभाता रहूंगाा।
लेकिन देव कुण्डल की यह कहानी सिर्फ यहीं तक ही नहीं सीमित है। बल्कि यह प्रकरण एक किसी बड़े हादसे की ओर भी इंगित करने लगा है। सवाल अब उठने लगे हैं कि न जाने कितनों को संक्रमित कर चुका होगा देव कुंडल। भले ही जो भी संक्रमण जानबूझ के नहीं, बल्कि अनजाने में ही हुआ होगा। मगर हड़बड़ाहट का माहौल तो खड़ा हो ही गया है।
इंदौर स्थित दैनिक भास्कर के मुख्यालय पर मच गया है हड़कंप। पत्रकार और कर्मचारियों के मित्रों को परिजनों में भी जबरदस्त हड़कंप मच गया है। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल गया है कि प्रशासन ने इस पूरे पर मामले में क्या कार्रवाई की है। यह भी नहीं पता चल पा रहा है कि भास्कर प्रबंधन ने इस पूरे मामले में पीड़ित पत्रकारों और कर्मचारियों के प्लीज क्या और कैसी राहत योजना तय की है, लेकिन इतना जरूर है कि देव कुंडल नामक इस पत्रकार के कोरोना संक्रमित होने से भास्कर के कई लोगों में भी कोरोना संक्रमण का भय तो फैल ही गया है।