बरेली का झुमका जान-मारू होता है, गिर जाना ही बेहतर

दोलत्ती

: झुमके की तो सदा यह फितरत रही है कि उसे कही ना कही तो गिरना ही पड़ता है : साधना जी का झुमका भी अगर बरेली मे ना गिरता तो मुंबई मे गिर जाता : किस्सा-ए-झुमका, दास्तान-ए-बरेली :
भारद्वाज अर्चिता
बरेली : मकरंद भर ने बसाया था बरेली शहर ।  रोहिल्लाओ का राज रहा।  फिर रहमत खाँ नाम के रूहेले शासक की दयालुता के क़िस्सो से यह शहर अभी तक वाकिफ है ।  रोहिल्लाओ के बाद अवध के नवाब आये ,उनके बाद ये शहर अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े मे रहा । अंग्रेज़ों ने बरेली मे अपनी छावनी भी बसाई । और फिर सन सत्तावान का ग़दर भी बरेली की मशहूरी की वजह बना।इसके अलावा यहाँ के पागलखाने के बारे मे भी आपको पता ही होगा। बरेली को बांसो की वजह से भी जाना गया।  यहाँ होने वाले बाँस बेहद उम्दा क़िस्म के माने जाते है और इसी कारण कभी उल्टे बाँस बरेली नही भेजे जाते ।

पर बरेली को सही मायने में ढंग से हमने तब जाना जब साधना जी यहाँ के भीड भरे, संकरी गलियों वाले बाज़ार मे अपना झुमका गिरा बैठी।  अब सोचने जैसी बात यह है की मुंबई कि साधना जी ने मुंबई से चलकर आखिर झुमका गिराने के लिये बरेली के बाज़ार को ही क्यो चुना, जबकि मुंबई मे तो खुद अच्छा ख़ासा बाज़ार है ? हो सकता है उनकी नियति ही उन्हे ले आयी हो बरेली शहर।  शायद ईश्वर ही ऐसा चाहता रहा होगा ? खैर उनके झुमके को तो बरेली मे ही गिरना था और इसलिये गिरना था ताकि बरेली शहर झुमके के लिए मशहूर हो सके ।  जबकि साधना जी के झुमका गिरने से पूर्व या फिर बाद मे बरेली शहर के साथ झुमके के नातेदारी का कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड तो नही मिलता पर झुमके की तो सदा यह फितरत रही है कि उसे कही ना कही तो गिरना ही पड़ता है।  साधना जी का झुमका भी अगर बरेली मे ना गिरता तो मुंबई मे गिर जाता ।याद रखने वाली जो बात है वह यह कि :दरअसल झुमका गिरने मे सैंया की ही खास भूमिका होती है ।  फिर सैंया तो क्या बंबई, क्या बरेली हर जगह एक ही जैसी सोच समझ वाले होते है । सैंया घर मे नैन झुकाये आता है, बाँकी छोरी को झुमका पहनाने के लिये जोरा-जोरी करता है , किन्तु झुमका खूब समझदार है । वह समझता है परिस्थितियो को तभी तो वह दो प्रेम करने वालो के बीच बिल्कुल नही आना चाहता है।  वह अच्छी तरह जानता है दो लोगो के बीच मे आने से उसके खुद के अस्तित्व को बडा ख़तरा है ।  ऐसे मे झुमका गिरने मे ही अपनी भलाई समझता है और गिर जाता है।
पर बात तो वहीं की वहीं है अभी । उक्त वर्णित परिस्थिति मे तो झुमके को गिरने के लिये घर ज्यादा उचित स्थान था ।  पर गम्भीर होने वाली बात जो है वह यह की झुमका जाकर बरेली के बाज़ार मे गिरा है । एक पल को तो यही लगता है बाज़ार झुमका गिरने के लिये कतई वाजिब जगह नही है।वह भी बरेली का बाजार जहाँ चारो तरफ बहुत भीड-भाड होती है ।  फ़र्ज़ कीजिये आप इस भरे बाज़ार गिर पड़े है, ऐसे मे आपकी मदद करने शायद कोई ना आये पर हँसने वाले तो जरूर घेर लेंगे ।  सोच कर देखे तमाम सवाल खडे हो जाएँगे यथा : कैसे गिरे, क्यो गिरे, देखकर क्यो नही चलते, कहाँ ध्यान था, इतनी क्यो पीते हो, जैसे फ़ालतू सवालो से घिरे आप चारों खाने चित पड़े है और लोग बजाए आपको अपना हाथ देने के, आपके मजे ले रहे है ।
पर झुमका पहनने वाली है की मानती ही नही। और झुमका पहनते ही वो बाज़ार जाने के लिये मचल जाती है।  दु:ख की बात तो यह है कि वह बाज़ार जाती है और बिना झुमका गिराये नही लौटती।मशहूर गीतकार एसएस बिहारी के अनुसार बरेली वाला झुमका कानों मे डालते ही जान ले लेता है, इसलिये उसका गिर जाना ही ठीक है।  झुमका पुराने होते ही गिर जाता है।  शायद इसलिये गिर जाता है ताकि नायिका अपने कानों मे नये झुमके लटका सके।एक बार फिर साधना के झुमके पर लौटे। उसे गिरना था सो वो गिर चुका, अब उसके बिना साधना जी घर लौटी है।  ऐसे हालातों मे सास का फ़र्ज़ बनता है कि वो सत्रह सुनाये।  सास ने किया भी होगा ।  ऐसा जब भी होता है सैंया फौरन अपनी चप्पले पहनते है और पान खाने निकल लेते है और तभी लौटते है जब डिनर का वक्त हो जाये ।  गजब तो यह हो जाता की समझदार क़िस्म के सैंया घर लौटते वक्त अपने साथ झुमको का एक नया जोड़ा लाना नही भूलते ।
सवाल बहुत सारे है।  झुमका गिरा हुआ था इसलिये गिरा।  नायिका की लापरवाही से गिरा । पेंच ढीला होने से गिरा ।  क़िस्मत ख़राब होने के कारण गिरा। खुद गिरा या गिराया गया । गिरा तो मिला किसे।  जो झुमका गिर नहीं पाया उस पर क्या बीती।  ये सवाल शायद अब हमेशा अनुत्तरित ही रहेंगे क्योंकि झुमका गिर कर खो चुका है। और अब कहाँ है किसी को नहीं पता है ।  बहरहाल साधना के इस गिरे झुमके के कारण बरेली का बाज़ार जगत मे खसा नामी हुआ ।  टूरिस्ट प्लेस मे बदला और बहुत से शोधप्रेमी लोगो ने उस जगह को तलाश करने मे अपनी जिंदगी बरबाद कर ली जहाँ वह नामुराद झुमका गिरा था ।  यह भी उम्मीद की जा सकती है कि साधना जी के इस झुमका गिराऊ प्रसंग के कारण बरेली मे झुमका उद्योग को प्रोत्साहन मिला होगा।  और वहाँ के बाशिंदे अब तक बॉब कट बालों और बडी – बडी आँखो वाली उस चँचल लडकी साधना जी के शुक्रगुज़ार होगे।
सन्दर्भ :
गीत – झुमका गिरा रे बरेली के बाज़ार में
गायिका – आशा भोसले
गीतकार – राजा मेंहदी अली खान
फिल्म – मेरा साया

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