हमारी छवि छोडि़ये, बंटाधार हुआ पार्टी की इमेज का

दोलत्ती

: वाराणसी भाजपा महामंत्री के बेटा का गुनाह था कि मॉस्‍क नहीं पहने था : पुलिस के फैंटम दस्‍ते के जवानों ने सरेआम पीटा, और तांडव कर डाला : काशी विद्यापीठ छात्रसंघ रह चुके हैं विकास पटेल :

विजय विनीत
वाराणसी : काशी में भाजपा के महामंत्री सुरेंद्र पटेल के घर जो पुलिसिया तांडव हुआ, उससे वे सिर्फ इस बात पर नहीं आहत हैं कि यह हादसा उनके घर हुआ। बल्कि उनको तो सबसे ज्‍यादा पीड़ा इस बात की है कि इस हादसे के दौरान पुलिस ने बिलकुल डकैत और गुंडों की तरह व्‍यवहार करते हएु भाजपा की छवि को तहस-नहस कर डाला है। हमारी सरकार और हमीं पर यह जुल्म कर दिया सरकारी मशीनरी ने। ऐसी हालत में अब हम आखिर किसके यहां लगाएं गुहार ?
उधर जानकारों का कहना है कि सुंदरपुर कांड इतना बड़ा नहीं था, लेकिन पुलिस की झूठी कहानी और तांडव ने उसे बड़ा कर दिया। घटना कुल इतनी थी कि सुंदरपुर चौकी प्रभारी सुनील गौड़ ने तीन जुलाई की रात करीब साढ़े नौ बजे भाजपा के जिला महामंत्री सुरेंद्र पटेल के पुत्र विकास पटेल को मिलने के लिए चौराहे पर बुलाया। चौकी इंचार्ज को किसी सरफराज नामक युवक की तलाश थी। विकास महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में छात्रसंघ का अध्यक्ष रह चुका है।
विकास चौका इंचार्ज से बातचीत कर रहा था। इसी बीच फैंटम दस्ते के दो जवान मौके पर पहुंचे। उन्होंने विकास से मास्क न लगाने को लेकर पूछा। विकास का गुनाह इतना था कि उसने भी यह सवाल दाग दिया कि आप लोगों ने मास्क क्यों नहीं लगा रखा है? इतना कहना था कि फैंटम दस्ते के सिपाहियों ने विकास पटेल के साथ मारपीट शुरू कर दी। विकास ने परिजनों को सूचना दी तो वे भी वहां पहुंच गए। भाजपा महामंत्री सुरेंद्र पटेल मौके पर पहुंचे तो झड़प तेज हो गई। बाद में पुलिस ने तांडव किया और महिलाओं के साथ बदसलूकी भी।
इतना ही नहीं, इस तांडव के बाद पुलिस ने फर्जी कहानी गढ़ी और मीडिया को गुमराह करने के लिए एकतरफा बयान व तस्वीरें वायरल कर दी गईं। जिस मास्क को लेकर विवाद और झड़प हुई, उस कानून की धज्जियां सबसे ज्यादा पुलिस वालों ने ही उड़ाई। घटना के समय मौके पर मौजूद लंका इंस्पेक्टर अश्वनी चतुर्वेदी नशे में धुत था। न वर्दी सही, न चेहरे पर मास्क।
पुलिसिया जुल्म और ज्यादती के शिकार भाजपा महामंत्री सुरेंद्र पटेल इस बात से आहत हैं कि सरकार खुद उनकी पार्टी की है, लेकिन उनकी ही सुनवाई नहीं हुई। पुलिस अफसरों ने शराबी थानेदार की बात सच मान ली और पार्टी की इमेज का बंटाधार कर दिया। सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। हर कोई उनके व्यवहार और जन-समर्थन से वाकिफ है, लेकिन किसी ने सच जानने की जरुरत नहीं समझी। पुलिस ने झूठी कहानी रची, फर्जी फोटोग्राफ वायरल की और सब के सब सच मान बैठे। आज तक किसी ने यह नहीं देखा कि उनके घर में घुसकर पुलिस ने किस तरह नंगा नाच किया है? ऐसे में आखिर किसके यहां गुहार लगाएं?
सुरेंद्र पटेल भाजपा के कद्दावर नेता हैं। ये जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य भी हैं। इनके पास इलाके में खासा जनाधार है। सुरेंद्र पटेल उस वर्ग से आते हैं जिनकी तादात इतनी ज्यादा है कि जो कई विधानसभा क्षेत्रों में विधायकी तय करती है। चाहे वो पिंडरा हो या फिर रोहनिया और सेवापुरी। पटेल समुदाय के समर्थन के बगैर बनारस में कोई भी पार्टी दमखम नहीं दिखा पाती है। सुरेंद्र पटेल के घर पुलिसिया तांडव के बाद कुर्मी समाज के लोग बेहद आहत हैं।
सुरेंद्र पटेल खुद जन सरोकारी नेता हैं। इनकी ताकत को देखते हुए भाजपा ने इन्हें जिला महामंत्री का अहम पद दिया है। सुरेंद्र पटेल जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा की कमेटी में बड़े कद के पदाधिकारी हैं। पुलिस अफसरों ने न तो विश्वकर्मा की सुनी और न ही दूसरे नेताओं की। इस खेल में पुलिस के तीन अफसरों का एक गुट शामिल रहा,जिसने झूठी कहानी रची और खेल भी।
बनारस के भाजपा नेताओं के धैर्य का बांध तब टूट गया जब उन्हें यह पता चला कि पुलिस ने सुरेंद्र के घर में घुसकर तांडव मचाया और महिलाओं व बच्चों के साथ बदसलूकी की। लंका थाना पुलिस ने जब भाजपा जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा और उनके समर्थकों की नहीं सुनी तो शनिवार की सुबह घटना की जानकारी क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव को दी। श्रीवास्तव ने प्रदेश के सहप्रभारी सुनील ओझा को पुलिस के कुकृत्य से अवगत कराया। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश के संगठन महामंत्री सुनील बंसल और काशी व गोरक्ष प्रान्त के संगठन महामंत्री रत्नाकर को दी।
बाद में श्रीवास्तव ने शनिवार को सर्किट हाउस में आईजी विजय सिंह मीणा, जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा और एसएसपी प्रभाकर चौधरी को बुलाकर इस घटना पर नाराजगी व्यक्त की। इस मौके पर प्रदेश के सहप्रभारी सुनील ओझा भी मौजूद थे। बाद में पुलिस को बैकफुट पर आना पड़ा और फर्जी धाराएं हटानी पड़ी। इसके बाद भाजपा महामंत्री और उनके परिजनों की जमानत हो सकी।

( विजय विनीत वाराणसी से प्रकाशित जनसंदेश टाइम्‍स के समाचार संपादक हैं। गजब लिक्‍खाड़ छवि वाले विजय ने लॉकडॉउन के वक्‍त धड़ाधड़ कई किताबें लिख कर लोगों को चौंका डाला। “बनारस लॉकडॉउन” समेत उनकी दो किताबें लंदन में छप रही हैं। )

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