“आओ बकलोली पेलें” यानी ABP में हथनी पर प्राइम टाइम

दोलत्ती

: रूबिका लियाकत लगभग रोते हुए अंदाज में बहस कर रही : तुम लोगों का एक ही इलाज है और वह जनता है …हाथ में जूता : ट्रेन में भूख और प्यास से 80 से ज्यादा मजदूर मारे जाते हैं :
पवन सिंह
लखनऊ : एक बहस शुरू हुई। चौपाल के अंदाज में। एक तर्क आया कि कोरोना और उसके बाद भड़के माहौल पर क्‍या राय बनायी जानी चाहिए। कुमार सौवी का तर्क था कि, यह ठोस यथार्थ और हवाई किले की बात है। चीन को साफ पता है कि भारत उसका सबसे बड़ा बाजार है, जबकि भारत के नेतृत्व के गुब्बारे में हिंदी मीडिया ने जो हवा भारी गए उसकी मशीन भी चीनी है।
ऐसे में दोनों आपस में क्यों लड़ेंगे?
इस पर वाकई काबिल पत्रकार पवन सिंह ने एक खरा जवाब दिया। कहा, अरे बड़े भाई “आओ बकलोली पेलें” यानी ABP चैनल पर हथनी की मौत पर इस वक्त प्राइम टाइम चल रहा है। जिन घटिया लोगों ने हथनी को विस्फोटक खिलाए वे जानवर से भी बदत्तर हैं लेकिन हथनी की मौत को संवेदनाओं की चाशनी में लपेट कर उसका राजनीतिकरण कैसे किया जाता है यदि इसका विभत्स और गंदेला रूप देखना हो तो रूबिका लियाकत लगभग रोते हुए अंदाज में बहस कर रही हैं।
इस चैनल की आत्मा वहां मर जाती है जब रेलवे स्टेशन पर दो साल का बच्चा अपनी मां की लाश से बार-बार चादर खींचता है कि शायद मां उठ जाए, उस वक्त इनकी पत्रकारिता का श्राद्धकर्म हो जाता है जब एक अन्य बहुत ही छोटा बच्चा अपनी मां के सिर पर पानी डालकर उसे उठाने की कोशिश करता है।
ट्रेन में भूख और प्यास से 80 से ज्यादा मजदूर मारे जाते हैं तो वो बहस का विषय नहीं बनते हैं, सड़क पर एक मजदूरन अपने बच्चे को जन्म देती है और झाड़ियों में उसे छोड़कर चली जाती है कि उसके बच्चे को कोई पाल लेगा वरना वह रास्ते में ही मर जाएगी….राहुल गांधी ने हथनी को विस्फोटक खिलाया था।
जैसा बकौल मेनका गांधी राहुल गांधी दोषी हैं.फिर कह रहा हूं जिसने भी निरीह प्राणी की जान ली है वह बहुत ही घटिया व गलीच जानवर रहा होगा लेकिन उससे भी गिरे हुए हैं ये नेता और मीडिया के लोग कि इसका भी राजनीतिकरण कर दिया…..तुम लोगों का एक ही इलाज है और वह जनता है …हाथ में जूता….

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