: रतन की हत्या दो दिन पहले ही करने की योजना थी, कारण अवैध-संबंध भी : पत्रकारों की औकात उनकी पूंछ से आंकिये : दोलत्ती पर हमला करेंगे सियार, साहस तो देखिये :
कुमार सौवीर
बलिया : चूल्हे पर भोजन पकाने वाली पुरानी पीढी हमेशा पतीली में खुदबदाते चावल के दो-चार दानों को उंगलियों से दबा कर परख लेती थी। इसके लिए पूरी पतीली में पकते हर-एक चावल को चखने या परखने की जरूरत नहीं पडती थी। यह परीक्षण पद्धति आज भी हर क्षेत्र में बदस्तूर है। दूर क्यों जाते हैं आप ? अगर आप सीधे पत्रकारिता जगत के चरित्र का आंकलन करना चाहें तो खुदबुदाते पत्रकारिता-जगत के दिग्गज दो-चार बड़े पत्रकारों के चरित्र से भी परख सकते हैं। यकीन मानिये कि इस प्रक्रिया से आपको साफ पता चल जाएगा कि महर्षि भृगु की पवित्र-भूमि बागी बलिया की हालत अचानक कैसे अपवित्र और घृणित हो गयी।
कहने की जरूरत नहीं कि इसका जवाब राजनीति से नहीं, बल्कि नौकरशाही और पत्रकारिता की मौजूदा हालत में ही है। लिटमस पेपर की तरह। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। फेफना में सहारा समय टीवी से जुडे रतन सिंह की हत्या के बाद दोलत्ती डॉट कॉम ने बलिया की पत्रकारिता को परखने की कोशिश की। हमारे पास कुछ चंद चावल मिले हैं, हमारे लिटमस पेपर पर पसरे हुए। ये साफ बयान कर रहे हैं कि बलिया की पत्रकारिता में घुसे घटिया लोगों की हकीकत कितनी घिनौनी हो चुकी है। दोलत्ती की यह जांच बताती है कि कितनी नीचता और निम्नतम सीमा तक गिर चुके हैं बलिया के अधिकांश पत्रकार।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक रतन सिंह की एक तिकडी थी। सभी एक से बढ कर एक खिलाडी। एकसाथ ही अपने शिकार का घेराबंदी कर उसका शिकार किया करते थे। सूत्र बताते हैं कि इस रतन-तिकड़ी के बाकी खिलाडियों से पूछताछ अगर पुलिस शुरू करे तो असलियत बिलबिला कर बाहर निकल जाएगी। आरोप तो यहां तक है कि रतन की हत्या की अर्जी रतन के पिता ने नहीं, बल्कि कुछ पत्रकारों की मंडली ने काफी सोच-समझ कर ही लिखवायी गयी थी। सूत्रों के अनुसार उनमें वे भी शामिल थे जो मंडली में थे, और वे भी शामिल थे जिनमें व्यावसायिक तथा पत्रकारीय प्रतिद्वंद्विता भी थी।
यानी रतन की मौत पर भी खेल हुआ था।
पूछताछ में पता चला कि रतन अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ रहता था। लेकिन इसके बावजूद उसका इसी इलाके की दो अन्य महिलाओं से भी घनिष्ठ रिश्ते थे। इनमें से एक तो इसी हत्या में जेल में आरोपित अभियुक्त के मित्र और दूर के रिश्तेदार की साली थी। रतन के साथ उस महिला के रिश्तों को लेकर भी काफी तनाव उसके गांव और घर पर भी चल रहा था। सूत्रों के अनुसार उस महिला के भांजों ने इस रिश्ते पर कई बार गम्भीर ऐतराज किया था। एक अन्य सूत्र का तो यही कहना है कि मामला काफी बिगड चुका था। और रतन की हत्या की हत्या तो 24 अगस्त के बजाय उसके दो दिन पहले ही कर डालने की तैयारी हो चुकी थी। मगर दैवयोग से रतन उस दिन बच गया।
रतन और उसकी मित्र-मंडली भी खासी चर्चाओं में है आजकल। यह वही मंडली है जिसने हत्या के एक हफ्ता पहले ही जिला कोषागार के गेट पर एक पोर्टल के संचालक को उसकी खबर के विरोध में लातों-घूसों से जमकर पीट दिया था। बहरहाल, रतन-मंडली के एक सदस्य पत्रकार ने दोलत्ती संवाददाता से दावा किया कि उस महिला रतन सिंह की बहन है। जबकि सूत्र बताते हैं कि रतन की कोई बहन थी ही नहीं। इस पत्रकार का कहना है कि यह सब अफवाह है, जिसका मकसद रतन को बदनाम करना ही है। लेकिन ऐसी बदनामी का मकसद क्या है, रतन-मंडली के यह पत्रकार स्पष्ट नहीं कर पाये। उल्टे दोलत्ती संवाददाता पर ही आरोप लगाने लगे। बहरहाल, दोलत्ती के विश्वस्त सूत्र तो यह भी बताते हैं कि फेफना में भी रतन का घनिष्ठ रिश्ता एक अन्य महिला से था।
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Budbudate chawal kabhi aatank ya abhivyakti ki aazadi par nahi dabate kumar sauveer…. Prashant bhooshan par khoob chillaye delhi roit 2020 par bolti band kyu…?