हनुमान पर भाजपाई-सियारों का जोरदार हुक्‍का-हुआं

बिटिया खबर
: हनुमान की जात खंगालो कि वे मुसलमान, जाट, दलित, सिख या लाल सलाम वाले वामपंथी कामरेडी कम्‍युनिस्‍ट : संकटमोचन-चरित्र पर अब गजब गबड़चौथ संकट : बजरंग बली पशु यानी जानवर जाति के पक्‍के बंदर। ओरिजनल जंगली : बजरंग-बाण जैसे श्‍लोक-मंत्र अब अस्तित्‍वहीन :

कुमार सौवीर
लखनऊ : ओ हो ! “बजरंग बली, तोड़ दे दुश्‍मन की नली”
खैर। यह तो रहा नारा। लेकिन सच बात यही है कि अब एक नयी क्रूर हकीकत सामने आ गयी है महाबली बजरंग बली पर। बताया जा रहा है कि बजरंग बली पशु यानी जानवर जाति से थे। यानी पक्‍के बंदर। ओरिजनल जंगली। इस वैश्विक परिचर्चा का विषय-प्रवर्तन किया था हिन्‍दू वाहिनी के संस्‍थापक, गोरक्षधाम के महंथ और यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने। उन्‍होंने दावा किया कि हनुमान जी दलित थे। इसके बाद से ही परिचर्चा ने हंगामी तर्क-वितर्क स्‍टार्ट हो गये। सबसे पहले तो हनुमान मंदिरों पर दलितों ने अपना कब्‍जा दायर किया और कई मंदिरों में घुसपैठ तक कर ली। बोले कि यह जगह बाबा भीमराव टाइप हनुमान का ही है, इसलिए हम अब इसे कब्‍जाने आये हैं। यूपी के एक मंत्री ने ऐलान किया कि हनुमान जाट थे, एक सिख नेता का दावा है कि हनुमान जी मूलत: सिख हैं। गोमती नदी की सरकारी जमीन को अपना बता कर सरकारी खजाने से 14 करोड़ रूपया डकार चुके बुक्‍कल नवाब ने दावा किया कि पूंछवाले हनुमान जी मुसलमान हैं।
हाईकोर्ट के एक वकील जीएल यादव ने इस रहस्‍य पर पर्दा हटाया है कि हनुमान जी अहीर जाति के थे। उधर दिल्‍ली के एक वरिष्‍ठ पत्रकार शम्‍भूनाथ शुक्‍ला ने यह तर्क खोज-उखाड़ लिया है कि लाल झंडा, लाल लंगोट और लाल सलाम के साथ ही साथ लाल किताब बढ़ने वाले बजरंग बली मूलत: वामपंथी विचारधारा के कायल थे। यानी बड़ा झंझट खड़ा हो चुका है। मांग यह शुरू हो गयी है कि सरकार पहले यह तय करे कि हनुमान थे कौन। पहले हनुमान की जात खंगाल लिया जाए कि हनुमान थे कि जात के। मुसलमान, जाट, दलित, सिख या लाल सलाम वाले वामपंथी कामरेडी कम्‍युनिस्‍ट।
सवाल नदारत है। नतीजा यह कि मतलब यह कि संकटमोचन इस समय अपनी पहचान के संकट को लेकर जूझ रहे हैं। कोई उनकी लंगोट खींच रहा है, तो कोई उनका नाम की छीछालेदर कर रहा है, और कोई उनकी पूंछ पकड़ कर उन्‍हें छियोराम-छियोराम की शैली में गोल-गोल चक्‍करघिन्‍नी नचाने पर आमादा है। किसी ने तो हनुमान की सुन्‍नत यानी मुसलमानी करा देने की तैयारी कर डाली है।
अब तुम क्‍या समझे बेटा बजरंग बली ? सच बात यही है कि तुम्‍हारे संकटमोचन-चरित्र में खुद ही अब एक गजब गबड़चौथ संकट खड़ा हो गया है। हनुमान-चालीसा अथवा बजरंग-बाण जैसे श्‍लोक-मंत्र अब अस्तित्‍वहीन हो चुके हैं।
मैं तो केवल संदेशवाहक हूं। असल जूझना तो तुम को ही है बजरंग बली। सब तुम्‍हारी लाल लंगोट उतार लेने पर आमादा हैं। लेकिन तुम अब बंदरों की तरह मत खौखियाना। किसी को नकोटना मत। दांत मत चियारना। वितंडा मत खड़ा कर देना। शोक-अशोक की बगिया मत उजाड़ देना।
चुपचाप और सीधे-सीधे माता सीता को मुंदरी थमाना, और अपनी पूंछ पर आग लगवाने का लफड़ा मत पालना। वरना, तुम तो हो बांदर, यानी खांटी वानर। न जाने कब गर्मा जाओ और लंका-दहन के बाद अपनी गर्मी निकालने के लिए समंदर पर कूद जाओ।
तुम्‍हारा तो कुछ नहीं होगा, लेकिन मकरध्‍वज पैदा हो जाएगा।
तेरा कुछ तो नहीं होता, होता तो प्‍यार हो जाता।

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