पूर्वांचल यूनिवर्सिटी में भूत-प्रेतों का डिस्‍को-डांस, कुलपति की झम्‍मर-झइयां

बिटिया खबर

: पूर्व डीन ने खुलासा किया नेहरू, गोडसे और राजीव दीक्षित की आत्‍माओं का सम्‍मेलन : अरे होंगी निर्मला मौर्या कुलपति, मैं पूर्व डीन और मैनेजमेंट डिपार्टमेंट का हेड हूं : प्रो शर्मा को पता है कि गोडसे ने नेहरू के इशारे में किया था गांधी बाबा का कत्‍ल : यूनिवर्सिटी में सिर्फ परस्‍पर झोंटा-नुचव्‍वर, या फिर तेलिया-मसान :

कुमार सौवीर

लखनऊ : जय गुरुदेव:- बोल रे नेहरू के भूत-प्रेत। तूने गांधी की आंतडि़यां क्‍यों निकालीं रे ?
जवाहर लाल नेहरू :- नहीं बाबा, बाईगॉड की कसम आपके एक बीघा में सौ मन अनाज वाले संकल्‍प की। आपके मलमली कपड़े की शपथ, और आपके टाटम्‍बरी चेलों में परस्‍पर गुप्‍तांग से खबड़-खबड़ खुजवाते हरकतों से उड़ती बदबू की बदहाली वाली कसम। हमने केवल बाघम्‍बरी बैताल से केवल इतना ही कहा था कि उस बुड्ढे को टें बोलना है, बस। लेकिन यह क्‍या हो गया, मेरी समझ में नहीं आ रहा है करोड़ों वाली कार के काफिले वाले मेरे बाबा।
जय गुरुदेव:- फिर बाबा रामदेव वाले राजीव दीक्षित से तूने यह क्‍यों कहा कि तूने गोडसे की आत्‍मा को काले कपड़े में ओढ़ा कर तेलिया-मसान की खोपड़ी पर लघुशंका कर राधे-मां की तरह सरेआम कुबूल करवा लिया था कि तू हिन्‍दुस्‍तान की आजादी को सन-51 में गांधी के साथ भारतीय संविधान के बजाय अंग्रेजों के संविधान के सामने नतमस्‍तक हो कर हिन्‍दुस्‍तान को गोरी हुकूमत के हक में 99 बरस के लिए लीज पर कर पूरे देशवासियों के साथ धोखा दिया ?
जवाहर लाल नेहरू :- अब मैं मजाक भी नहीं कर सकता। आखिर देश का लीज-रेंटधारी प्रधानमंत्री था। वैसे भी, मैंने तो केवल चुप्‍पे से शपथ के लिए अंग्रेजी संविधान की प्रति सामने रखने को कहा था, लेकिन वहां अचानक भाजपा की प्रवक्‍ता डॉ रुचि पाठक पहुंच गयी, और उसने पूरी हकीकत पूरे देश के सामने जग-जाहिर कर दिया। यह गलती मेरी नहीं, डॉ रुचि पाठक की है माई-बाप।
जय गुरुदेव:- और तू बोल गोडसे। राजीव दीक्षित से तुमने क्‍या कहा था ?
नाथूराम गोडसे:- बाबा सरकार। मोदी और अमित शाह के कहने पर मैंने तो राष्‍ट्रप्रेम का रास्‍ता मजबूत कर दिया था, लेकिन बीच में सावरकार का एजेंडा सामने आ गया। ऐसे में मैंने तो केवल नेहरू और सुभाष की तरफ देखा मैंने मंगल पाण्‍डेय और स्‍वामी विवेकानंद की सहमति पूछी। उन दोनों के एक खास अंदाज में खांसते ही मैंने महात्‍मा गांधी के सीने पर एक गोली धांय से धंसा दिया।
जय गुरुदेव:- और तू बोल राजीव दीक्षित। तू भी तो बड़ा नौटंकीबाज था उस दौर में।
राजीव दीक्षित:- बाबा अब मैं क्‍या कहूं ? रामदेव काना वाले लफड़े के बाद से मैं ही खुद ही दीवार पर फ्रेम पर जड़ गया हूं। मेरे राष्‍ट्रवाद को उस बनिया रामदेव ने कैच कर मोदी के चरणों में लम्‍बलेट कर दिया। मुझे टोटल दक्खिन कर डाला ससुरे ने। लेकिन इतना जरूर है कि वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्‍वविद्यालय के पूर्व डीन प्रो विक्रम देव शर्मा को पूरी जानकारी मैंने दे दिया था, जिसको उसने कुछ ही दिनों पहले अपने फेसबुक में पोस्‍ट कर दिया था। अरे वही पूर्वांचल विश्‍वविद्यालय, जिसकी कुलपति निर्मला मौर्या की नियुक्ति और उसके कामधाम को लेकर आजकल जोरदार हंगामा चल रहा है। तो खैर, उसी विक्रम देव शर्मा ने उस पोस्‍ट को कुछ ही देर डिलीट भी कर दिया। बाकी बात आप सीधे शर्मा से ही बात कर लीजिए।
जय गुरुदेव:- लेकिन उसके बारे में तो यह अफवाह चल रही है कि वह किसी शिक्षक की किसी हरकत में बेहोश होकर धड़ाम गिरा था। कपार के बल पर फट्ट से, दिमाग भी सटक गया है आजकल शायद।
राजीव दीक्षित:- अरे वह तो उसका यूएसपी है। मैनेजमेंट का बंदा है न वह, इसलिए। अब एक टीचर पर उसकी फटीचरी फंस गयी है तो सबको बता रहा है कि एक टूअर में वह एक छात्रा के शर्ट के भीतर अपना हाथ घुसेड़ रहा था। यह देख कर क्‍या करता, उसकी समझ में ही नहीं आया। गरीब विक्रम शर्मा है बेचारा, नतीजा यह खड़े-खड़े गिर गया। कपार में ज्‍यादा टेंशन हो गयी उसके बाद से, इसलिए अंट-शंट बोल रहा है आजकल। किसी ने उसको तेज उस्‍तरा और आइना का एक टुकड़ा थमा दिया, उसके बाद से वह सब की टेक-ओवर करने पर आमादा है। अब तो वह कुलपति निर्मला से लेकर बाकी सारे शिक्षकों, अफसरों और सरकार तक के बड़े लोगों को पानी पी-पी कर गरिया रहा है। एक दिन तो निर्मला मौर्या को उसने प्रो विक्रमदेव शर्मा के साथ मानस पांडेय को भी मीटिंग में बुला लिया। बस क्‍या था, वहीं पर उसने मानस पांडेय और निर्मला को कस कर खौखिया दिया, सब का दिमाग टाइट। निकल गयीं बैठक से निर्मला मौर्या, निकल चुकी छुच्‍छी हाथ में पकड़े-पकड़े। अरे होंगी कुलपति, मैं भी तो पूर्व डीन और मैनेजमेंट डिपार्टमेंट का हेड हूं। शोले वाले असरानी से कम नहीं हूं। चप्‍पे-चप्‍पे में मेरे हरिदास नाई लोगों का डेरा है। वह ससुर मानस है, तो मैं धकाधक स्‍थूल तेलिया-मसान का रिश्‍तेदार हूं। निर्मला तो नाम होता है, ऐसी निर्मला तो करोड़ों होती हो चुकी होंगी मैनेजमेंट के चलते। लेकिन मेरा नाम भी विक्रम है। विक्रम-बेताल जैसा, हा हा हा। एक बार ओझा-सोखा को बुला कर एकाध आत्‍मा पकड़ कर निर्मला के पास ठेल दिया, तो कुलपति-गिरी छोड़ कर वह सीधे चेन्‍नई भाग जाएगी। अभी इन को पता नहीं कि यूपी के तांत्रिकों के कितना भसोट होती है। हा हा हा।
लेकिन जयदेव बाबा सरकार। एक बात तो जरूर है कि यह ससुरा जब ठठाकर हंसता है कि रामानंद वाले रामायण के रावण की हंसी तक सेक्‍सी होने लगती है। बाईगॉड की कसम, भारी पड़ जाता है विक्रमवा। हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि वह ट्रांसफार्मर का तेल लगा रहा है आजकल, या फिर किसी दूसरे तेल में प्रयोगशील है। हालांकि बताते हैं कि उसके कुछ चेले जापान गये थे, तब से ही हर चीज में जापानी टोन ही नहीं छोड़ रहे हैं। विक्रमवा भी आजकल जापानी मूड में बात करने लगा है। एड़ी से लेकर खोपड़ी और नाक की बाल तक में सिवाय जापानी तेल के कोई दूसरा प्रॉडक्‍ट इस्‍तेमाल ही नहीं करता आजकल। लेकिन एक बात जरूर है कि ससुरे ने गांधी के कत्‍ल में भाजपा के आईटी-सेल तक को पिछाड़ रखा है।

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