पत्रकारों के खिलाफ अपनी चड्ढी फहराया तेजप्रताप यादव ने

बिटिया खबर

: नौ पत्रकारों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की धमकी देकर पचास करोड़ की नोटिस निकाली : लालू यादव का लौंडा निकला पक्‍का बकलोल : कोर्ट-फीस दे पाने की औकात ही नहीं है तेजप्रताप यादव में : औकात धेला भर की, ख्‍वाह पचास करोड़ का : छुटकी कोर्ट के वकील के लिए सुप्रीम कोर्ट की धौंस काहे :

कुमार सौवीर

लखनऊ : बिहार की राजनीति में उठापटक तो खैर सहज ही मानी जाती है, लेकिन बिहारी राजनीति के शातिर खिलाड़ी लालू यादव का बेटा तेज प्रताप यादव इतना मूर्ख साबित होगा, यह समझ में नहीं आता है। तेजप्रताप यादव पैदाइशी बकलोल हों या नहीं, और उनकी राजनीतिक सूरज डूबता जा रहा हो, इसका खुलासा तो बिहार के चप्‍पे-चप्‍पे में रहने वाले हर शख्‍स को पहले से ही हो चुका था। लेकिन अब तो यह भी लीगली प्रमाणित हो चुका है कि तेजप्रताप सिंह वाकई चूतिया ही हैं। आज जिस तरह पटना के नौ पत्रकारों पर तेजप्रताप यादव ने कानूनी कार्रवाई करने की कूकुर-झौंझौं शुरू की है, उससे भी यह साबित हो गया है कि तेजप्रताप सिंह का ऊपरी तल्‍ला यानी दिमाग वाकई नाकाबिल-ए-इलाज हो चुका है। तेजप्रताव यादव की औकात और अदालत में खड़े हो पाने की उनकी जमीनी हैसियत यह कत्‍तई गवारा करती है कि वे इन पत्रकारों को कानून की दहलीज तक घेर पाएंगे।
कानूनी कार्रवाई के विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी मानहानि के मुकाबले में अगर आर्थिक दावा किया जाता है, तो उस मामले में मांगी गयी रकम का 11 फीसदी रकम अदालत को कोर्ट-फीस के तौर पर अदा करना होता है। लेकिन इसके बावजूद कि, राजद के बेताज बादशाह लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप और यूट्यूब्‍लरों के खिलाफ मानहानि की नोटिस देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक वकील का सहारा लिया है, ताकि इन पत्रकारों को औकात में डाल सकें, लेकिन तेजप्रताप यादव की यह कोशिश बंदर-घुड़की से बेहतर नहीं साबित होगी। वजह यह कि तेजप्रताप यादव की औकात महज पौने ढाई करोड़ ही है। वह भी तब, जबकि वह अपना घर-दुकान और तबेला वगैरह सब बेच डालें। और इसके बावजूद तेजप्रताप यादव पचास करोड़ रुपयों का दावा वसूल करने के लिए जरूरी 11 फीसदी कानूनी अदालती शुल्‍क यानी साढ़े पांच करोड़ रुपयों का खर्चा कर पायें। वह भी तब, जब कि अदालत और वकीलों पर आने वाला खर्चा शुल्‍क अलग होगा।
और दिलचस्‍प मामला यह है कि तेजप्रताप यादव ने नौ पत्रकारों के खिलाफ पचास करोड़ की जो नोटिस जारी करायी है, उसकी ड्राफ्टिंग सुप्रीम कोर्ट के वकील से करायी गयी है। तेजप्रताप यादव का इसके लिए मकसद यह कि पत्रकारों को ठीक से धौंसियाया जा सके। लेकिन जानकार बताते हैं कि इस नोटिस तो किसी भी जिला या तहसील स्‍तर के किसी वकील की भी सेवाएं ली जा सकती हैं। असल असर तो तब पड़ेगा, जब तेजप्रताप यादव इस नोटिस को अदालत में पेश करेंगे। और जाहिर है कि यह मुकदमा लोअर कोर्ट में ही दायर होगा, और उस समय वकील सुप्रीम कोर्ट का हो, या फिर लोअर कोर्ट का हो, लेकिन हो होशियार। लेकिन पहले यह तो तय हो सके, कि अदालत में यह केस दायर करने के पहले कोर्ट-फीस दे पाने की औकात तेजप्रताप यादव की है भी नहीं। जाहिर है कि कत्‍तई नहीं है।
लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप फिर से आजकल मीडिया की सुर्खियों में नया कारनामा कर रहे हैं। पटना के नौ पत्रकारों और यूट्यूबरों को कानूनी नोटिस उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता नवल किशोर झा के जरिए से भेजा है, ताकि मानहानि का मुकदमा करने से पेशबंदी की जा सके। लीगल नोटिस में पहला नाम एक निजी यूट्यूबर वेद प्रकाश का है। जिसके साथ हाल ही तेज प्रताप का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उस पर तेज प्रताप ने गलत न्यूज प्लांट कराने का आरोप भी लगाया था। इसके अलावा डिजिटल मीडिया के जर्नलिस्ट प्रशांत राय, आलोक, राष्ट्रीय चैनल से जुड़े सुजीत कुमार, न्यूज एजेंसी के मुकेश, डिजिटल मीडिया से जुड़े गणेश, राष्ट्रीय चैनल के प्रकाश कुमार, राष्ट्रीय चैनल से ही जुड़े प्रकाश कुमार और बड़े पत्रकार कन्हैया भेलारी भी हैं। मामला पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी का है, इन पर पार्टी के एक युवा नेता रामराज यादव ने पिटाई करने का आरोप लगाया। कैमरे पर उन्होंने बयान भी दिया। इसके बाद तेज प्रताप ने पार्टी से इस्तीफा देने व अपने पिता लालू यादव से मिलने तक की बात कही। फिर राबड़ी आवास में शिफ्ट हो गए। इसके बाद पटना के एक यूट्यूबर का उन्होंने ‘ऑपरेशन’ कर डाला। साथ ही उस पर लालू परिवार को बदनाम करने का आरोप भी लगाया।
यूट्यूब पर जारी एक वीडियो में तेज प्रताप ने अपना इंटरव्यू लेने आए एक कथित पत्रकार को एक्सपोज करने का दावा किया है। तेज प्रताप पहले उस कथित पत्रकार से अपने आवास में बात करते नजर आते हैं। पत्रकार को पहले कैमरा रखने के लिए कहते हैं और फिर बातचीत के लिए बुलाते हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि इंटरव्यू लेने की बजाय कथित पत्रकार कैमरा बाहर रखने के बहाने वहां से भागता है। इस बीच तेजप्रताप अपने आवास से बाहर आकर उस कथित पत्रकार का पीछा करते हैं और इंटरव्यू लेने के लिए कहते हैं, लेकिन पत्रकार वहां से निकलकर अपनी कार से भाग जाता है। इसके बाद तेज प्रताप भी अपनी कार में सवार होकर उस कथित पत्रकार का पीछा करने लगते हैं। तेजप्रताप अपनी गाड़ी में बैठ कर जब थोड़ी दूर आगे जाते हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के आवास के सामने उस पत्रकार की गाड़ी लगी होती है। तेज प्रताप भी अपनी गाड़ी में बैठे बैठे वीडियो बनाते हैं और यह आरोप लगाते हैं कि जीतन राम मांझी के आवास से उनको बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। तेज प्रताप ने आरोप लगाया है कि जीतन राम मांझी के घर से उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है औऱ उसका प्रमाण यह वीडियो है।
तेजप्रताप यादव इस खबर को फर्जी करार दे रहे हैं। उन्‍हें मामले को गलत तरीके से पेश करने में मोटी रकम चाहिए, ताकि उनकी मानहानि का हर्जा-खर्चा निकल सके। लीगल नोटिस के हिसाब से इन नौ पत्रकारों से तेजप्रताप यादव पचास करोड़ रुपया वसूलना चाहते हैं। लेकिन हालत यह है कि इतनी रकम तो दूर, तेजप्रताप यादव के पास इतनी औकात ही नहीं है कि वे पचास करोड़ वसूलना तो दूर, इसकी वसूली के लिए जरूरी रकम का कोई छोटा सा हिस्‍सा भी दे पायें।
इस मामले में तेजप्रताप यादव की जेब को टटोलना शुरू कर दिया जाए, तो बेहतर होगा। इससे यह साबित हो पायेगा कि इतनी बड़ी रकम वह कानूनी शुल्‍क के हिसाब से दे पाने की औकात रखते भी हैं या नहीं। चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के मुताबिक 2015 में चुनाव आयोग में उनकी संपत्ति 2,00,97,699 करोड़ रुपए थी। यानी, पिछले पांच साल में तेज प्रताप यादव की संपत्ति में 83 लाख रुपए का इजाफा हुआ है।

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