अमृत विचार: यह अखबार है या कोरोना-केकड़ों की फैक्ट्री ?

दोलत्ती

: कोरोना संक्रमित दफ्तर अमृत विचार में आने के लिए मीडिया कर्मियों को जबरन बाध्य क्यों किया जा रहा :

संजीव गंभीर

बरेली : अमृत विचार दफ्तर से अभी तक कोरोना का संक्रमण खत्म नहीं हुआ है कल रात आई रिपोर्ट में इस दफ्तर से जुड़े हुए ही दो कर्मचारी पॉजिटिव निकले हैं इससे पहले बताते हैं कि 9 पॉजिटिव निकल चुके हैं अत्यंत चिंता का विषय भी है और दुख भी हो रहा है लगातार पॉजिटिव केस निकल रहे हैं।

दफ्तर में आकर काम करने के लिए अभी भी जिम्मेदार लोग व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए और फोन के जरिए उन लोगों पर दबाव डाल रहे हैं जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है लेकिन उनको नहीं मालूम एक बार जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ जाए वह पॉजिटिव नहीं होगा इसी दफ्तर में काम करने वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तेजतर्रार साथी उज्जवल झा की रिपोर्ट पहले नेगेटिव आई थी और 5 दिन बाद पॉजिटिव आ गई।

जिस तरीके से नगर निगम में सोनू कश्यप नाम के दिवंगत हुए कर्मचारी की रिपोर्ट आईवीआरआई से नेगेटिव आई थी और जिला अस्पताल में लगी कोरोना जांच मशीन से नेगेटिव की जगह पॉजिटिव हो गई । उसे राजश्री मेडिकल कॉलेज स्वास्थ्य विभाग ने भेजा था जहां बताते हैं बीती रात उसकी मृत्यु हो गई जिससे नगर निगम का दफ्तर बंद कर दिया गया है।

अब सवाल यह उठता है की कोरोना संक्रमित दफ्तर अमृत विचार में आने के लिए मीडिया कर्मियों को जबरन बाध्य क्यों किया जा रहा है ? यह जानते हुए भी कि करीब दर्जनभर मीडिया कर्मी पॉजिटिव निकल चुके हैं। कर्मचारी भयभीत हैं उनकी मजबूरियों का फायदा उठाने का प्रबंधन कोशिश कर रहा है । ऐसे में कोई मीडिया कर्मी बंधु संक्रमित हो गया तो जिम्मेदारी किसकी होगी वैसे भी इस बात की क्या गारंटी जो आज अमृत विचार के लोग नेगेटिव है वह कल पॉजिटिव नहीं होंगे?

दफ्तर बुलाने वाले जिम्मेदार अधिकारी को इस बात की गारंटी मीडिया बंधु और उसके परिवारों को देनी चाहिए कि भविष्य में कोई अनहोनी हो गई और संक्रमित हो गए तो जिम्मेदारी उनकी होगी। इंसान की जिंदगी से बड़ा कुछ नहीं है। जब शहर के बाकी मीडिया संस्थान work-from-home करवा रहे हैं तो फिर अमृत विचार के जिम्मेदार लोग पत्रकार बंधुओं की मजबूरियों का फायदा उठाकर उन्हें संक्रमित वातावरण में काम करने के लिए बाध्य क्यों कर रहे हैं आखिर उन्हें सैनिटाइजर मास्क और फिजिकल डिस्टेंसिंग जो कोविड की गाइडलाइन है उसका पालन दफ्तर के अंदर क्यों नहीं करवा रहे हैं।

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को तत्काल अमृत विचार दफ्तर के अंदर फैले संक्रमण पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने के लिए कठोर कार्रवाई तत्काल करनी चाहिए या फिर जिम्मेदार लोगों से हलफनामा लिया जाना चाहिए कि अगर कोई पत्रकार बंधु संक्रमित हो गया तो उसकी जिम्मेदारी और उसके पूरे परिवार की जिम्मेदारी लेने को वह तैयार हैं जल्द से जल्द इस संक्रमित क्षेत्र को कोविड की नियमावली के अनुरूप हॉटस्पॉट घोषित करके सील किया जाना बहुत जरूरी है।

मित्रों आप इस संबंध में क्या सोचते हैं और क्या कहना चाहते हैं बेबाकी से अपनी बात रखिए और साथ ही मेरी इस पोस्ट को सही समझते हो तो उसको शेयर भी कर दीजिए ताकि जिला प्रशासन तक बात पहुंचे।

संजीव गंभीर
वरिष्ठ पत्रकार एलएलबी
प्रदेश उपाध्यक्ष यूपी जर्नलिस्ट एसोसिएशन उपजा लखनऊ

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