: चुनाव आयोग ने इस डीएम को हटा सख्त चेतावनी दी थी कि इंद्र विक्रम सिंह को अगले एक साल तक किसी भी चुनावी कार्य में न लगाया जाए : डीएम ने एम्बुलेंस ड्राइवर को अपनी गाड़ी से रौंद डालने की धमकी दी थी : जिला अस्पताल में तीन महीना ही एक्सपायर हो चुकी दूध के पैकेट तक वितरित :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यूपी की नौकरशाही द्वारा कहर की तरह बरपायी जा रही करतूतों को संदर्भ के तौर पर अगर देखा जाए तो बलिया के डीएम साहब अव्वल हैं। उनका मान-धाम है अराजकता और गुंडागर्दी। काम-धाम है किसी को भी षडयंत्र रच कर उसे जेल में बंद कर डालना। उनका अंदाज है कि एम्बुलेंस तक को रौंद डालने का ऐलान और ऐसी अराजकता वाले डीएम का दुस्साहस वाला आलम यह है कि चुनाव आयोग तक उनका नाम अपनी ब्लैक-लिस्ट में शामिल कर चुका है।
उप्र के नक्शे को गौर से अगर आप देखेंगे, तो पायेंगे कि यूपी की पूंछ पर बैठा है एक गजब जिला, जिसका नाम है बलिया। शुरू से ही उसे बलिया-बागी के तौर पर जाना, पहचाना जाता है। लेकिन यूपी की पूंछ बलिया में आजकल प्रशासनिक किलनी-कीट चिपक गयी है। इसी जिला के मुखिया हैं इंद्र विक्रम सिंह। कुछ ही बरस पहले शाहजहांपुर जनपद में एक एम्बुलेंस गाड़ी उस डीएम की कार के साथ हल्की सी टकरा गई। लेकिन इस मामले को प्रशासनिक और पुलिस मामले के तौर देखने, समझने के बजाय डीएम साहब बाकायदा गुंडागर्दी पर आमादा हो गये थे। बताते हैं कि इस घटना के बाद डीएम ने एम्बुलेंस ड्राइवर को अपनी गाड़ी से रौंद डालने की धमकी दे दी थी। डीएम इंद्र विक्रम सिंह का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। लेकिन डीएम साहब की मनमर्जी जोरदार से चालू है। वह भी तब, जब यहां के जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को तीन महीना ही एक्सपायर हो चुकी दूध के पैकेट तक वितरित किये गये। आज यह मामला तूल पकड़ गया है और जिला के प्रशासनिक मुखिया की करतूतों पर लोग थू-थू कर रहे हैं।
डीएम साहेब ! तुम चोर हो क्या ?
लेकिन इस डीएम साहब की कलई तो चुनाव आयोग ने चार बरस पहले ही उखाड डाली थी। उस घटना में शामली के डीएम की कुर्सी पर लदे हुए थे इंद्र विक्रम सिंह। चुनाव आयोग ने इस डीएम को हटाते हुए सख्त निर्देश जारी किए और सख्त चेतावनी भी दी कि इंद्र विक्रम सिंह को अगले एक साल तक किसी भी चुनावी कार्य में न लगाया जाए। दरअसल इस साल मई में कैराना लोकसभा उपचुनाव के दौरान इंद्र विक्रम सिंह की तरफ से लापरवाही हुई थी जिसके बाद चुनाव आयोग ने यह सख्त कदम उठाया है। कैराना लोकसभा सीट 2014 में बीजेपी के हुकुम सिंह ने जीती थी। उनके निधन के बाद 28 मई को कैराना में उपचुनाव हुआ था, जिसमें बीजेपी के खिलाफ संयुक्त विपक्ष ने चुनाव लड़ा था। 31 मई को घोषित नतीजे में विपक्ष की संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम हसन ने बीजेपी की मृंगाका सिंह को 44618 वोटों से हरा दिया था।
बलिया में दो-कौड़ी का डीएम: कर दिया “शूट द मैसेंजर”
तबस्सुम के जीतने के बाद भी डीएम ने आठ घंटे तक रिजल्ट रोके रखा। काफी विवाद के बाद फिर से काउंटिंग की गई और तबस्सुम की जीत घोषित की गई। सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग की जांच में करीब 3000 वोटों की गणना में गड़बड़ी मिली है। टेबुलेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले फार्म 21-ई में हर राउंड के वोटों की प्रत्याशीवार एंट्री की जाती है। इसमें भी गलतियां सामने आई हैं। रिटर्निंग अफसर के तौर पर इसकी सीधी जिम्मेदारी डीएम की थी। चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस उपचुनाव में जीत का अंतर काफी अधिक होने के चलते नतीजे पर भले ही कोई असर नहीं पड़ा लेकिन नजदीकी मुकाबले में यह गड़बड़ी अप्रत्याशित हालात पैदा कर सकती थी।
और अब यह ताजा मामला है बलिया का, जहां शाहजहांपुर से आकर यहां डीएम बने इंद्र विक्रम सिंह ने अपनी अराजक प्रशासनिक कार्रवाइयों पर पर्दा डालने के लिए तीन पत्रकारों को जेल में बंद कर दिया। लापरवाहियों के चलते ही बलिया में इंटर बोर्ड के प्रश्नपत्रों को लीक कर दिया गया था, लेकिन अपनी करतूतों को छिपाने के लिए अफसरों ने पत्रकारों को ही जेल में ठूंस दिया।