कांग्रेसी कायर होते हैं, असल मर्द तो भाजपा में हैं

बिटिया खबर

: एनडी तिवारी उठाते थे संजय गांधी की चप्‍पल, डंपी गाली देते थे : प्रधानमंत्री ने फोन कर चुनाव न लड़ने का आग्रह किया, लेकिन परमार ने ठुकराया : सीतापुर के विधायक भी खुलेआम सरकार को गरिया चुके : राज्‍यमंत्री सुरेश खटिक तो अपना इस्‍तीफा सीधे अमित शाह को थमा चुके :

कुमार सौवीर

लखनऊ : एक वक्‍त हुआ करता था जब देश ही नहीं, बल्कि कांग्रेस में उसकी चाण्‍डाल-चौकड़ी का आतंक हुआ करता था। आज के करीब 50 बरस पहले इस चांडाल-चौकड़ी का नेतृत्‍व करता था तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी का बड़ा बेटा संजय गांधी, और बाकी लोगों में बंसीलाल, आरके. धवन, ओम मेहता, विद्याचरण शुक्ला और अहमद अकबर डम्‍पी वगैरह। ऐन-केन प्रकारेण देश में कांग्रेस का दबदबा बनाना ही इस चौकड़ी का मकसद था, जिसमें कानून नहीं बल्कि गुंडागर्दी ही माध्‍यम था।

इनमें अहमद अकबर डम्‍पी की खासियत थी बात-बात पर मोटी-सी गंदी-गंदी गालियां बकना। हालत यह थी कि उत्‍तर प्रदेश के तब के मुख्‍यमंत्री नारायण दत्‍त तिवारी भी संजय गांधी और डम्‍पी की चप्‍पलें उठाने में हिचकते नहीं थे। तिवारी जी डंपी की गालियों को प्रसाद या गंगाजल की तरह अपनी अंजुरी में समेट लेते थे। लेकिन मजाल नहीं थी किसी की, कोई कांग्रेस इस चांडाल-चौकड़ी की गुंडागर्दी पर चूं भी बोल सके।
लेकिन भाजपा कांग्रेस से अलहदा दल है। यहां के बड़े से छोटे नेता भी अपमान का मुंहतोड़ जवाब देने में तत्‍पर रहते हैं। भले चाहे उसका पद हो, या फिर पार्टी की सदस्‍यता। अराजकता वे तनिक भी बर्दाश्‍त नहीं करते हैं। कोई साथ रहे या न रहे, लेकिन यह लोग पार्टी को भी टका सा जवाब दे डालते हैं। ऐसे लोगों में चाहे वह कल्‍याण सिंह रहे हों या चाहे कोई भी तुर्रम-खां। और ताजा खबर तो हिमाचल प्रदेश से आ गयी है, जहां कांगड़ा कि फतेहपुर विधानसभा सीट पर जबर्दस्‍त बवाल शुरू हो गया है। कारण यह है बीजेपी के बागी उम्मीदवार कृपाल परमार।

उनको पार्टी ने टिकट नहीं दिया, तो कृपाल परमार ने बागी के तौर पर अपना पर्चा भर दिया। कृपाल परमार चूंकि प्रदेश की राजनीति में खासा प्रभाव रखते हैं, इसलिए हंगामा खड़ा हो गया। मामला इतना बिगड़ा कि उनको मनाने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधे फोन कर दिया। मोदी का आग्रह था कि उनको बहुत सही और उचित से भी बेहतर दायित्‍व दिया जाएगा, बस वे इस चुनाव में बैठ जाएं ताकि पार्टी का कंडीकेट चुनाव जीत जाए। लेकिन कृपालु ने साफ-साफ आरोप लगाया कि जेपी नड्डा उनको पिछले 15 बरसों से लगातार बेइज्‍जत कर रहे हैं। आपको बता दें कि जेपी नड्डा ने अपने बेटे हरीश को हिमाचल प्रदेश में अपनी जड़ें मजबूत करने का जिम्‍मा देकर उन्‍हें अपनी विरासत थमाने का संकेत दे दिया है। 
मोदी के फोन के बाद हैरत की बात है कि कृपालु परमार ने न केवल चुनाव में बैठ जाने से इनकार कर‍ दिया, बल्कि नरेंद्र मोदी के उस फोन-कॉल क्लिप को वायरल कर दिया। यानी सत्‍यानाश। कृपाल बोले कि प्रधानमंत्री उन्हें कह रहे हैं कि आप पर मेरा अधिकार है और मैं आपको इसके लिए कह रहा हूं। इसके जवाब में कृपाल परमार कहते हैं कि आपका आदेश मुझे भगवान का आदेश है।

इसमें परमार ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मुझे 15 साल से जलील कर रहे हैं। इस पर मोदी ने कहा कि इसमें पार्टी अध्यक्ष का कोई भूमिका नहीं है। मैं कुछ नहीं सुनूंगा, आपकी जिंदगी में मेरी कोई जगह है तो आप चुनाव से हट जाओ। एक मिनट तीन सेकंड के इस वीडियो में परमार और मोदी से वार्तालाप के अंत में परमार कहते हैं कि यह अगर दो दिन पहले हो जाता तो बेहतर रहता।
कुछ भी हो, लेकिन इस घटना ने इतना तो तय ही कर दिया है कि प्रधानमंत्री अब एक छोटे से प्रदेश के चुनाव में भी अपनी गणित लगाने में मशगूल हैं। भाजपा के बड़े नेता प्रचार में जुटे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसके लिए मेहनत कर रहे हैं। असंतुष्टों को मनाने के लिए भी प्रधानमंत्री को खुद फील्ड में उतरना पड़ रहा है। यह भी आश्‍चर्य की बात है कि जब नरेंद्र मोदी पार्टी का इस तरह काम करेंगे, तो प्रधानमंत्री का दायित्‍व कैसे पूरा कर पायेंगे।
सीतापुर के सदर विधायक राकेश राठौर ने तंज कसते हुए कहा था कि जो सरकार कह रही है, वही ठीक मानो। उन्होंने इशारों में ही सरकार पर चुटकी लेते हुए कहा था कि अब वह समय नहीं है कि लब आजाद रह सकें। पहले भी उन्होंने थाली बजाने को लेकर एक कार्यकर्ता को जमकर खरीखोटी सुनाई थी। यह ऑडियो भी इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हुआ था।
इसके पहले यूपी में भी यही नजारा दिख चुका है। सदर विधायक रहे राकेश राठौर राकेश राठौर बयानबाजी को लेकर सुर्खियों रहे। वह अपनी ही सरकार पर तंज कसते रहे। एक वायरल वीडियो में उन्होंने कहा था कि आखिर विधायकों की हैसियत ही क्या है। ज्यादा बोलेंगे तो देशद्रोह, राजद्रोह हम पर भी तो लग सकता है। सरकार और प्रशासन एक ही पहलू हैं, फिर चाहे प्रशासन की मानें और चाहे सरकार की, बात तो एक ही है। हम तो यही कहेंगे कि सब-कुछ बहुत अच्छा चल रहा है। इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता।
आपको बता दें कि इसके बाद से ही उन्‍होने किसी भी सरकारी कार्यक्रमों में शिरकत की और न ही पार्टी के आयोजनों में। अभी कुछ समय पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ कमलापुर में क्षय रोग दिवस पर कार्यक्रम का शुभारंभ करने के लिए आए थे, तब भी उनकी कुर्सी खाली ही पड़ी रही थी। बाद में इस कुर्सी पर एक अधिकारी को बैठाया गया था।
पीलीभीत के बीसलपुर विधानसभा से बीजेपी विधायक रामशरण वर्मा अपनी सरकार से नाखुश थे। नौ सूत्रीय मांगों को लेकर बीजेपी विधायक ने तमाम समर्थकों के साथ धरना प्रदर्शन शुरू किया।वर्मा के सुर बागी हो गये और बीसलपुर के रामलीला मैदान में बीजेपी विधायक अपने तमाम समर्थकों के साथ सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए।
बता दें, बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने भाजपा सरकार को कई बार घेरा है। किसानों के मुद्दों को लेकर और सरकार की नीतियों पर कई बार सवाल उठाए हैं। कई बार सीएम योगी चिट्ठी भेजकर और ट्वीट के जरिए पर भी सरकार से सवाल किए हैं।

लेकिन सबसे बड़ी मर्दानगी तो राज्‍यमंत्री सुरेश खटिक ने। उन्हें कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के साथ जलशक्ति विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके विभाग के मंत्री ने उनको कामधाम नहीं दिया, तो सुरेश खटिक नाराज हो गये। इतना गुस्‍सा दिखाया कि उन्‍होंने अपने पद से जो इस्‍तीफा ही दे दिया। वह तो गनीमत थी कि यह इस्‍तीफा राज्‍यपाल को दिये जाने के बजाय उन्‍हें अपना त्‍यागपत्र अपने आका और देश के गृह मंत्री अमित शाह को दे दिया।

 

 

 

 

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