योगी ने जिसे अपनी देवी माना, अफसरों ने मार कर नदी में फेंका

बिटिया खबर

: सड़क पर मार डाली गयी नवजात बच्‍ची, ऐसे होगा यूपी में कन्‍या-सम्‍मान अभियान : जौनपुर में एक नवजात बच्‍ची से हुई आपराधिक मौत से डीएम और एसपी ने पल्‍ला झाड़ा : अफसरों की काली करतूतों से योगी अनजान, या अपने इन बिल्‍लौरी-आंखों वाले नौकरों की करतूतों से योगी बेफिक्र : कन्‍या-हत्‍या में एक हफ्ते बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : विजयादशमी के दिन मुख्‍यमंत्री योगी ने गोरखपुर के मठ में नन्‍हीं बच्चियों का पैर पूजा, भोजन कराया, उपहार दिया और घोषित किया कि वे साक्षात पवित्र देवी हैं। योगी ने यह तक ऐलान किया कि किसी भी बच्‍ची के साथ किसी भी तरह का अपराध यूपी सरकार बर्दाश्‍त नहीं करेगी। लेकिन इसके एक हफ्ते में ही योगी की इसी ही एक पवित्र देवी को अफसरशाहों ने न केवल मौत तक पहुंचा दिया, बल्कि जगह-जगह उसकी मौत का पुख्‍ता इंतजाम करने के बाद उस बच्‍ची को नदी में भी प्रवाहित करने की व्‍यवस्‍था कर दी।

यह हालत है उप्र में केवल महिला, युवतियों और किशोरियों ही नहीं, बल्कि नवजात बच्चियों के प्रति योगी के निष्‍ठावान अफसरों के रवैये की। सरकार में मनपसंद कुर्सी झपट कर केवल मौज और सुविधाएं जुटा रहे इन अफसरों ने आम आदमी को होने वाली किसी भी दिक्‍कत को ठेंगे पर रखना शुरू कर दिया है। जिलों में तो यह हालत भयावह और दुर्दशा की स्‍तर तक पहुंच चुकी है। हालत यह है कि अधिकांश अफसर अपने जिले में होने वाले नृशंस, अमानवीय और जघन्‍य अपराधों को न केवल प्रश्रय दे रहे हैं, बल्कि अपराधी और दोषी लोगों की करतूतों पर पर्दा डालने की भी रणनीति बना रहे हैं। इन अफसरों को इस बात पर तनिक भी फिक्र नहीं पड़ती है कि उनकी हरकतें किसी उन बच्‍ची की मौत का कारण और उसकी लाश को हमेशा-हमेशा के लिए गायब करने जैसे अपराध पर है, जिस बच्‍ची को उसका मुख्‍यमंत्री समाज की पवित्र देवी की दर्जा दे चुका है।

तुम्‍हारी नवजात बिटिया नदी में प्रवाहित, तुम बेफिक्र

ताजा मामला है वाराणसी मंडल के जौनपुर जिले का। यहां केखुद को मिस्‍टर-क्‍लीन की छवि बनाये जिलाधिकारी मनीष कुमार गुप्‍ता और खुद को एनकाउंटर-स्‍पेशलिस्‍ट के तौर पर अपनी पीठ ठोंकने वाले पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी जैसे आला अफसरों की बेशर्म आपराधिक शह और षडयंत्र ने यहां पिछली छह नवम्‍बर को चंद घंटों पहले ही जन्‍मी एक बच्‍ची को मौत के घाट उतार दिया। बच्‍ची को संरक्षण देने के बजाय समाज की इस बच्‍ची को शहरी क्षेत्र के कलीचाबाद में करीब तीस फीट गहरे पुल से नीचे फेंक दिया। खबर मिलते ही प्रत्‍यक्षदर्शियों ने उस बच्‍ची को तत्‍काल जिला महिला अस्‍पताल भिजवाया।

नन्‍हीं बच्‍ची की लाश को कच्‍चा चबा गये डीएम-एसपी

जिला अस्‍पताल प्रशासन के एक अधिकारी ने दोलत्‍ती को बताया कि घटना के समय वहां डॉक्‍टर मिला, जिसने उस बच्‍ची को मृत घोषित कर दिया। लेकिन शर्म की बात है कि इस मृत्‍यु की सूचना महिला अस्‍पताल ने करीब पचास मीटर दूर बने भंडारी पुलिस चौकी को भेजने की कोशिश नहीं की। नतीजा यह हुआ कि बच्‍ची को लेकर जिला महिला अस्‍पताल से चले गये। हालांकि बताया जाता है कि भंडारी पुलिस चौकी रोहित मिश्र और एएसपी नगर डॉ संजय कुमार तथा कोतवाली के पुलिसवालों ने इस मामले में पल्‍ला झाड़ लिया और उसे अपनी कस्‍टडी में लेकर उसका पोस्‍टमॉर्टम कराने का अनिवार्य कानूनी दायित्‍व सम्‍भालने की सम्‍भावनाएं ही हमेशा-हमेशा के लिए खत्‍म कर दीं। बाद में इस बच्‍ची को उसके तीमारदारों ने गोमती नदी के पानी में प्रवाहित कर उसका किस्‍सा समाप्‍त कर दिया।

लेकिन हैरत की बात है कि डीएम-एसपी और बाकी पुलिस अधिकारी ने उस नवजात बच्‍ची को सड़क से नीचे फेंकने की घटना का संज्ञान लेने तक की जिम्‍मेदारी नहीं निभायी। यह जानते हुए कि कन्‍या-भ्रूण, नवजात बच्‍ची और कन्‍याओं-महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध किसी भी समाज ही नहीं, बल्कि सरकार और उसके जिलाधिकारी-पुलिस अधीक्षक तथा उनके अधीनस्‍थ अमले के सर्वोच्‍च दायित्‍व में शामिल होते हैं। बेशर्मी की बात यह है कि एक नवजात की इस तरह की हुई भयावह मौत को उस घटना के एक बाद भी जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक तक ने भी संज्ञान लेकर उस मामले पर हस्‍तक्षेप करने की जरूरत नहीं समझी।

बेटा है, शुक्र है। बेटी होती तो मार कर गायब कर देते यह लोग

यह हालत है उप्र में सरकार के मुखिया की चिंता, और उसकी चिंता, दायित्‍व और उसे क्रियान्वित करने का जिम्‍मा पूरा करने के लिए जिलों में भेजे गये उसके चिंटू-पिंटू जैसे अफसरों की बेशर्म हरकतें। बस, पता ही नहीं चल पा रहा है कि इन अफसरों की ऐसी काली करतूतों का पता योगी तक को हो जाता है, या फिर योगी खुद ही अपने ऐसे बिल्‍लौरी-आंखों वाले नौकरों की करतूतों को अनदेखी कर देते हैं।

 

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