: सूनी रोड पर पुलिसवाले करते हैं रक्तिम-पीटीओ की रस्म : वानरी-उछलकूद का जिम्मा जातक का, पुलिसवाले कोहबर में साली-सलहजों की तरह :
कुमार सौवीर
लखनऊ : “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी”। यह तो समाज के विभिन्न क्षेत्र ही नहीं, बल्कि खासकर यातायात के संदर्भ में एक सर्वमान्य मंत्र है। कहने की जरूरत नहीं है, कि आजकल कोरोना से प्रभावित माहौल में यह मंत्र बेहद प्रभावी है।
दोलत्ती संवाददाता के अनुसार अब देखिए न, कि हमारे लोग हमेशा जिज्ञासु भाव में रहते हैं। किसी षड्यंत्र के तहत नहीं, बल्कि सब कुछ देख लेने की प्रवृत्ति के चलते। कोरोना के खतरों से उन्हें अपनी मौत की कत्तई चिंता नहीं, लेकिन वे यह जरूर देखना चाहते हैं कि कर्फ्यू कैसा होता है, सड़कें कैसी सन्नाटेदार होती हैं, खाली सड़कों पर पुलिसवाले कैसे घूमते हैं और कैसे सफाचट सड़क पर भूखे कुत्ते लोट लगाया करते हैं।
लेकिन यही जिज्ञासा अक्सर ऐसे कर्फ्यू-दर्शक और जिज्ञासुओं पर भारी पड़ जाती है। दरअसल, पुलिसवालों का हाथ और दिमाग वैसे ही खौरियाया रहता है, उंगलियां अकर्मण्यता के चलते रौरीयाया करती लगती हैं, और दिमाग भन्नाया रहता है। उप्पर वाली कमाई न होने से दिमाग का पीलिंजर और फ्यूज पहले से ही फ्यूज रहता है।
ऐसे में अगर कोई कर्फ्यू-दर्शक अथवा जिज्ञासु सड़क पर दिखता है तो पुलिसवाले बाकायदा पीटी उषा को भी मात करते हुए मचल पड़ते हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि कर्फ्यू का दर्शक-जिज्ञासु सिर पर पैर रख कर स्पीडोमीटर लेकर भागता है। रेस लगती है हताश पुलिस और पलायनकारी दर्शक-जिज्ञासु के बीच।
दोलत्ती रिपोर्टर के मुताबिक अब ज्यादातर पुलिसवाले तोंदियाल होते है, जबकि दर्शक-जिज्ञासु होते हैं आमतौर पर ऋत्विक रोशन जैसे। लेकिन कभी-कभार पुलिसवाले रणनीति के तहत कुछ सिपाहियों को सड़क के दूसरे कोने में छिपे होते है। एक हुंकार-ललकार हुई नहीं, कि दोनों ओर से सिपाही शिकार को दबोच कर धरचुक्क देता है।
फिर होता है दर्शकों-जिज्ञासुओं में रक्तिम-पीटीओ की रस्म की अदायगी। पीटीओ अर्थात प्लीज़ टर्न ओवर। यानी पकड़े गए जातक के पिछवाड़े को सुर्ख लाल-लाल करने का अनिवार्य अनुष्ठान। इस दौरान वानरी-उछलकूद और चीत्कार गीत गाने का जिम्मा होता है जातक का, जबकि पुलिसवाले कोहबर में दबोचे गए जातक को घेरे बैठी साली-सलहजों की तरह मंगल-गालियां सुनाया करते हैं।
हम यह नहीं कहते हैं कि आप ऐसे दर्शकों-जिज्ञासुओं में से एक हैं। लेकिन ऐसा तो संविधान में बाबा भीमराव अंबेडकर ने लिखा नहीं था कि आप ऐसा नहीं करेंगे, और ऐसा करते वक्त पकड़े नहीं जाएंगे और आपका रक्तिम-पीटीओ नहीं होगा।
दोलत्ती की खबर है कि ऐसी हालत में दोलत्ती आपके लिए लाए हैं एक अनोखी दोलत्ती-चड्ढी। बस चिल्लायेगा जरूर, वरना साले-सलहजों को अगर पता चल गया तो आपकी चड्ढी उतार कर रक्तिम-पीटीओ होने से कोई नहीं बचा पायेगा।
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चलते चलते:-
पुलिसवाला: अबे ओए, कहाँ जा रहे हो बे ? पता नहीं है कि कर्फ्यू लगा हुआ है…?
बेहाल नागरिक : साहब ! कर्फ्यू लगाने का पता तो पिछले चौराहे पर ही लग गया था। अब तो मै “Moov” लेने जा रहा हूँ।