: बोली कि गांड़ में दम नहीं, हम किसी से कम नहीं : आईटी-सेल ने शुरू कर दिया भारत के पक्ष में चीनी-क्लोन : इसके पहले ममता बनर्जी का भी क्लोन बना चुका है भाजपा का आईटी-सेल :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यह हमारी श्रेष्ठता है या फिर हमारी जाहिलियत, कि हमअपनी मातृभाषा हिन्दी को तो ठीक से नहीं लिख सकते हैं, लेकिन हमारी गली-नुक्कड़ और सड़कछाप नंगी-नंगी गालियों का खुल्लमखुल्ला इस्तेमाल अब चीनी लोग करने लगे हैं। इतना ही नहीं, ऐसी संस्कारी मानी जाने वाली गालियों का इस्तेमाल वहां की महिलाएं भी कर रही हैं। वे यह भी जान-समझ कर उन भी चुनिंदा निशानेदार अंगों के शब्दों का खुलेआम प्रयोग कर रही हैं। वे यह भी समझती हैं कि उन शब्दों का क्या-क्या अर्थ होता है और उन भावार्थ का शब्दों में किस तरह रसयुक्त गालियों को प्रवाहमान बनाया जा सकता है।
लेकिन हैरत की बात है कि इस तरह की गालियां बुनने-गढ़ने की महारत उन चीनी महिलाओं ने हासिल कर ली है जिनकी चीनी भाषा दुनिया को सबसे कठिन भाषा माना जाता है। कारण यह कि यह भाषा अक्षरों के बजाय चित्रों से लिखी, पढ़ी, समझी और बोली जाती है। लेकिन भारतीय राजनीतिक दुष्प्रचार के अभियान में अग्रणी माने जाने वाले भारतीय आईटी-सेल ने इसको बेहद सहज और सुगम्य बना दिया है। आईटी-सेल ने इसका एक आसान तरीका खोजा है, जिसमें बस चंद चीजों की जरूरत पड़ती है। पहली तो यह कि आप किसी चीनी महिला के नाम से ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे किसी सोशल मीडिया में एक खाता खोल लें। फिर किसी भी चीनी खूबसूरत और आकर्षक महिला की फोटो का इस्तेमाल कर उस सोशल मीडिया पर चस्पां कर दें। बस, उस फर्जी फोटो और खाता के आधार को पुख्ता करने के लिए आप धकाधक दुष्प्रचार करना शुरू कर दें। इस वक्त तो फिलहाल भारत में असहमति व्यक्त करने वालों को ऐसे फर्जी खातों के माध्यम से देशद्रोही, दलाल, नपुंसक, अपराधी जैसे शब्दों से सजाने की साजिश चल रही है।
चीन ने हमारे जवानों पर क्या जानलेवा हमला किया, हाहाकार ही मच गया। इसके कि पहले कि भारत इस चीनी हमले का जवाब खोज पाये, आईटी-सेल सक्रिय हो गया और फ्रंट-लाइन पर पहुंच कर उसने मोर्चा सम्भाल लिया है। इस मोर्चाबंदी का असली अस्त्र-शस्त्र कोई परम्परागत युद्धक गोला-बारूद नहीं हैं, बल्कि इसमें तकनीकी और सोशल मीडिया के सहारे लड़ना शुरू कर दिया जाता है। आजकल चीन की ओर से जिस तरह की कोशिशें सोशल मीडिया पर लड़नी शुरू हो गयीं हैं, वह वाकई हैरतअंगेज है।
यह गजब युद्ध-शैली है हमलानुमा बचाव की। अपनी असफलताओं को खारिज कर देना इस शैली की खासियत है। लेकिन यह शैली तब अचानक पलटी मार देती है, जब हमलावर पराजय की हालत पहुंच जाता है। ऐसी हालत में जब लोग उस हार की समीक्षा करने लगते हैं, लेकिन इसी आईटी-सेल ने ऐसी समीक्षा करने की प्रक्रिया में जब सवाल उठाने वालों को राष्ट्र-अपराधी करार देना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, महिलाओं के नाम पर बने ऐसे फर्जी खातों से खुलेआम वे गालियां लिखी जा रही हैं, जो ठेठ भारतीय सड़कछाप और देशज संस्कारी मानी जाती हैं।
इनको गौर से देखिये। यह हैं लियु फियूई और लियु चिंग चांग। अपने ट्विटर से यह चीन वाली बाईजी बाकायदा गालियां बकने में महारत हासिल किये दिख रही हैं। अपनी एक पोस्ट में इन्होंने तो खुल्लमखुल्लम लिख दिया कि गांड़ में दम नहीं, हम किसी से कम नहीं और हैंडल करते हो ट्विटर।