रक्‍तदान की कोशिश का आईएमए के थोपड़े पर कर्रा जूता

बिटिया खबर

: अबे ओए ! आईएमए वाली पॉपर्टी तेरे बाप की है क्‍या ?: दायित्‍वपूर्ण डॉक्‍टरी नहीं, जातिवादी कुल्‍ला करते हैं यहां के धंधेबाज डॉक्‍टर : साढ़े पांच सौ रक्‍तदान का रिकार्ड बनाने वाले युवकों को बुरी तरह फटकारा आईएमए अध्‍यक्ष ने : सहयोगी ब्‍लड-बैंकों को आईएमए ने झूठा-धोखेबाज बताया : भीगे बंदर की तरह कांपते रहे आईएमए के नेतागण :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अभी चंद दिन ही हुआ था वह हादसा हुए, जब जौनपुर के एक बड़े डॉक्‍टर की क्‍लीनिक में पहुंच कर खुद को पत्रकार कहलाने वाले एक छिछोरे-गुण्‍डे ने वहां जबर्दस्‍त बदमाशी, छिछोरापन और जान-माल की धमकियां दीं थीं। लेकिन इस हादसे पर आईएमए के नेतागण और पूरे आईएमए को अपनी प्राइवेट पॉपर्टी की तरह कब्‍जाये डॉक्‍टरों ने मामले को शांत और खत्‍म करने की भरसक कोशिशें की थीं।

लेकिन ताजा खबर तो यह है कि देश में स्‍वैच्छिक प्रयासों के तहत 557 सामूहिक रक्‍तदान कराने के युवकों के प्रयासों को आईएमए ने अपने जूतों से ठुकरा दिया। बदतमीजी तो यहां तक हुई कि आयोजकों के साथ आईएमए के अध्‍यक्ष रहे एनके सिंह ने बाकायदा धमकियां दीं और आयोजकों के ऐसे किसी भी आयोजन में सहयोग नहीं करने का फैसला कर लिया। आयोजकों का कहना था कि उसके पहले हुए एक आयोजन में जिले के जिन दो ब्‍लड-बैंकों ने सहयोग किया है, वे धोखेबाज हैं और ऐसे लोगों के साथ आईएमए कोई सहयोग नहीं करेगा। रक्‍त-दान समारोह के आयोजकों ने आईएमए के जौनपुर अध्‍यक्ष की शर्मनाक और ऐसी घटिया करतूत पर कड़ी कार्रवाई करते हुए आईएमए के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष को पत्र भेज कर ऐसी घटना की निंदा भी की है।
आपको बता दें कि रक्‍तदान का स्‍वैच्छिक क्षेत्र में एक बड़ा कीर्तिमान बनाने में जुटे जौनपुर के उत्‍साही युवकों का संगठन भारतीय चिकित्‍सा संगठन यानी आईएमए बुरी तरह खफा है। इन युवकों की शिकायत भी जायज है। किस्‍सा यह हुआ कि वानर-सेना नामक इस स्‍वैच्छिक संगठन ने विगत को टीडी कालेज में 30 जून-21 को एक बड़ा रक्‍तदान आयोजन किया गया था। इसमें वाराणसी, इलाहाबाद, सुल्‍तानपुर, मिर्जापुर और जौनपुर आईएमए के साथ जिला अस्‍पताल भी सक्रिय था। आईएमए बनाया जाति-विशेष की जायदाद

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इसके लिए वानर सेना ने आईएमए के साथ ही साथ जिला अस्‍पताल तथा शाहगंज के डॉ जेपी दुबे ब्‍लड-बैंक और अनीता ब्‍लड-बैंक की सेवाएं ली थीं। भाजपा की ही बड़ी नेता अनीता रावत का बेटा डॉ अभिषेक रावत इस ब्‍लड-बैंक के संचालक हैं। इस पूरे आयोजन को भव्‍य तरीके से निपटाया गया। डीएम समेत कई अधिकारी भी इस आयोजन में शामिल हुए थे। रक्‍त-दान करने वाले सभी 357 प्रतिभागी को रक्‍तदान का प्रमाणपत्र देने के लिए वानरसेना के लोगों ने दिन-रात एक कर दिया। आयोजन के दौरान ही संगठन ने ऐलान किया था कि 15 अगस्‍त-22 को 557 लोगों से रक्‍तदान का आयोजन किया गया। कहने की जरूरत नहीं कि इस भव्‍य आयोजन के लिए वानरसेना संगठन की पूरे जिले ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में भी भूरि-भूरि प्रशंसा और बधाई मिली। 39 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर वाराणसी के स्‍टेशन एयर-कमांडर राजू नांग्‍याल इस आयोजन के मुख्‍य अतिथि थे।
लेकिन सेना के मुखिया विकास तिवारी और अतुल सिंह का कहना है कि इस आयोजन की सफलता को जौनपुर आईएमए वाले लोग हजम नहीं कर पाये थे। इसी अपच-स्थिति के चलते आईएमए के अध्‍यक्ष एनके सिंह ने अतुल सिंह समेत कई आयोजकों को फटकारा और शाहगंज तथा मछलीशहर के ब्‍लड-बैंक को झूठा और बेईमान व धोखाबाज करार दे दिया ? विकास तिवारी और अतुल सिंह का कहना है कि आईएमए के अध्‍यक्ष के तेवर निहायत बदतमीज और गैरजिम्‍मेदार थे, और उनका ऐतराज इस बात पर था कि इस आयोजन में उन्‍हें ही तरजीह ही क्‍यों नहीं दी गयी। अतुल सिंह का कहना था कि शाहगंज और मछलीशहर के ब्‍लड-बैंकों ने जब आयोजन में दूर से आकर सहभागिता की थी, तो उन्‍हें झूठा और बेईमान कैसे माना जा सकता है। विकास तिवारी और अतुल बताते हैं कि ऐसे स्‍पष्‍टीकरण पर मरखने-कटहे प्राणी की तरह भड़क गये तत्‍कालीन आईएमए अध्‍यक्ष एनके सिंह ने ऐलान कर‍ दिया कि वानर-सेना के किसी भी आयोजन में वे शामिल नहीं होंगे। विकास तिवारी और अतुल सिंह पूछते हैं कि ईशा ब्‍लड-बैंक, शाहगंज और मछलीशहर के ब्‍लड-बैंकों को एनके सिंह झूठा, बेईमान, घटिया करार देते हैं, लेकिन एनके सिंह अपने गिरहबान में नहीं झांकते। 
विकास तिवारी और अतुल सिंह का कहना है कि आईएमए अध्‍यक्ष की इस करतूत से जब कुछ अन्‍य डॉक्‍टरों से बातचीत की गयी, तो पता चला कि जौनपुर के आईएमए का चुनाव तो केवल मनमर्जी और गुंडागर्दी के बल पर चलता है। न चुनाव, न आदर्श और न ही कोई धर्म। वे सब धन, ऐश्‍वर्य, घमंड, हेकड़ी और अहमन्‍यता से सराबोर। वानर-सेना के सब के सब समर्पित कार्यकर्ताओं के अनुसार तब के आईएमए अध्‍यक्ष एनके सिंह और उनके चेले-चपाड़ी लोगों ने अपने जूतों से रौंद कर पूरे आईएमए को पद-दलित कर डाला है। सिर्फ एक जाति ही नहीं, जाति-विशेष के भी एक सीमित लोगों तक ही सीमित होता जा रहा है आईएमए। विकास तिवारी और अतुल सिंह ने तो इस मामले को इंडियन मेडिकल एसोसियेशन के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष तक को सख्‍त ऐतराज करते हुए पत्र भी भेज दिया है।

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