: देवरिया-काण्ड से जुड़े सवालों की बारिश हुई, तो कप्तान ने फोन ही काट दिया : आखिर असल कहानी क्या है, सवालों पर बगलें झांकने लगते हैं पुलिस अधीक्षक : मीडिया में केवल वही दिखाया जा रहा है जो पुलिस बताती है :
कुमार सौवीर
लखनऊ : आप अगर देवरिया कांड को साफ-साफ समझना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कम से कम दो सवालों का जवाब खोजना होगा। पहला तो यह कि देवरिया के संवसिनी गृह की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी कोई चिंदीचार आर्थिक अपराध में लिप्त महिला है, या फिर वह वाकई उस संरक्षा-गृह के नाम पर यौनाचार का अड्डा चलाती थी, जैसा कि पुलिस कप्तान रोहन पी कनय ने दावा किया है। और दूसरा सवाल पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय से है कि उन्होंने गिरिजा त्रिपाठी को अपने केंद्र की संवासिनियों से यौनाचार के आरोप में जेल में ठूंसा है, या फिर गिरिजा त्रिपाठी से कहासुनी पर बुरी तरह भड़के कप्तान रोहन ने तिल का ताड़ बना कर इस प्रकरण को कुछ इस तरह पेश किया कि पूरे प्रदेश और पूरी सरकार के चेहरे पर कालिख पुत गयी।
यह तो अब गम्भीर संशयों और सवालों में घिर चुका है यह मामला कि देवरिया में हुआ संवासिनी गृह में यौन-शोषण की हकीकत आखिरकार थी क्या। इस मामले में देवरिया के पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय ने शुरूआत में तो खूब छक्के-चौके जड़ना शुरू किया था। लेकिन जब जब दुलत्ती संवाददाता ने इस बारे में रोहन कनय से पूछताछ शुरू की, तो कनय अपनी बगलें झांकने लगे और सवालों का जवाब देने के बजाय उन्होंने फोन ही काट दिया। बाद में हमारे संवाददाता ने जब दोबारा पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय से सम्पर्क करना चाहा, तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। उसके बाद उनकी फारवर्डिंडे काल उनके पीआरओ तक पहुंची, तो उसने फोन उठाया लेकिन कोई भी जानकारी नहीं दे पाया। जब हमने कहा कि वे फोन एसपी तक पहुंचा दें, तो पीआरओ का जवाब था कि यह हो पाना मुमकिन नहीं है। इतना ही नहीं, हमने वाट्सऐप पर भी बातचीत करनी चाही, मगर वाट्सऐप में मैसेज ही नहीं डिलीवर हुआ।
देवरिया कांड पर पुलिस का पक्ष जानने के लिए पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय से कई बार प्रयास किया, लेकिन उनका फोन नहीं उठा। आज रात करीब साढे ग्यारह बजे जब हमने रोहन को फोन किया तो अचानक फोन उठ गया। हमने उनसे बातचीत करनी शुरू। जानने की कोशिश में शुरुआत में तो रोहन ने बहुत अच्छी रवानी में जानकारियां देना शुरु कर दिया, लेकिन अचानक जैसे ही मैंने रोहन पी कनय से यह पूछना शुरू कर दिया कि 31 जुलाई की एफआईआर के बाद उन्होंने उस पर क्या कार्यवाही की। और यह भी, कि अचानक 5 अगस्त को यह इतनी बड़ी कार्रवाई कैसे कर बैठी आपकी यह पुलिस। हमने यह भी प्रश्न पूछा कि क्या 31 जुलाई के मुकदमे में 7 साल की सजा का प्राविधान न होने के चलते गिरजा त्रिपाठी को 5 अगस्त में तो नहीं नाप दिया गया, तो पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय ने झटपट हमारा फोन ही काट दिया।
इतना ही नहीं, हमने ठीक उसी वक्त उसी नंबर पर दोबारा फोन किया इस संशय को दूर करने के लिए कि कहीं मेरी कॉल ड्रॉप ना हो गई हो, या फिर कोई कनेक्टिविटी की समस्या ना हो। लेकिन काफी देर बाद तक घंटी बजती ही रही। और आखिर में एक व्यक्ति ने वह फोन उठाया, तो बताया कि वह कप्तान का पीआरओ है, और साहब का फोन उसके पास है। आइए सुनिए, हम आपको वह बातचीत सुनाते हैं जिसे पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय ने खुद उठाने के बजाय अपने पीआरओ को सौंप दिया था।
इस पूरे प्रकरण को जानने के लिए कृपया निम्न लिंक पर निम्न वीडियो क्लिक कीजिए:-
प्रदेश के चेहरे पर कालिख पोत दी देवरिया के बड़े दारोगा ने