यह बौद्ध देश अपनी बेटियों को बना चुका आम्रपाली

बिटिया खबर

: वियतनाम और अमेरिका सांढों की लड़ाई में अपनी ‘फसल’ बर्बाद कर चुका था थाईलैंड : टैक्‍सी से बेहतर होता है टेन-सीटर पर सफर करना : लेक से मेरी पहली मुलाकात यहीं हुई : नशे में टल्‍ली हो चुके लोगों में महिलाएं भी अव्‍वल होती हैं : थाईलैंड यात्रा-3 :

अब्‍दुल करीम कुरैशी

थाईलैंड : देर रात भूख लगने की सालों पुरानी आदत से मजबूर 2 बॉटल ठंडा “मायो” पीकर रात 10-39 को बिस्तर पर गिर पड़ा, बैकपेन की पुरानी समस्या फिर से परेशान करने लगी थी लेकिन मैं बेफिक्र था क्योंकि मेरे लिए तो ये हर रोज का मामला था “अल्ट्रासेट” नामक ब्रह्मास्त्र जैसी पेनकिलर हमेशा अपने साथ रखता था. अब डीजे की तेज आवाज रूम की दीवारों को चीरकर अंदर तक आ रही थी।
सिर्फ 900/- भारतीय रुपए वाली खाऊसान की एसी विथ डबल बेड अटैच टॉयलेट बाथरूम वाली अच्छी और सस्ती होटल का सीक्रेट भी शायद यही था की आपके कान मजबूत होने चाहिए या फिर आप कुंभकर्ण के वंशज होना चाहिए।
एकदम से खयाल आया की वियतनाम और अमेरिका नामक दो सांढों की लड़ाई में नाहक अपनी ‘फसल’ बर्बाद कर, काफी कुछ हारकर सुन्दर, सरस यह देश किस तरह आज सेक्स का बाज़ार बन चुका है, बुद्ध को मानने वाला यह प्यारा देश किस तरह अपनी बेटियों को आज ‘आम्रपाली’ बना देने पर स्वेच्छया मजबूर है, यह विवशता मात्र है या सामयिक ज़रूरत?
विचारों में खोया हुआ मै कब नींद के आगोश में समा गया पता ही नही चला।
सुबह 4-30 बजे आंख खुल गई थोड़ी देर सुस्ताने के बाद किसी भी आम भारतीय की तरह चाय की तलब लगने लगी तो नित्यक्रम से फारिग होकर ब्लू ट्रैकसूट और जूते पहनकर हमेशा खुले रहने वाले सेवन इलेवन स्टोर का रुख किया सोचा थोड़ा वाकिंग भी कर लूंगा. होटल से बाहर निकला तो सुबह मे भी दोपहर की तरहा उजाला फैला हुआ था। लगा कोई भ्रम हो रहा है !! घड़ी और फिर मोबाइल चेक किया तो पता चला की हां सुबह के चार बजकर पचपन मिनिट हो रहे थे।
कुछ बंद पड़े क्लब और दुकानों की सीढ़ियों पर रात की थकी हुई कुछ थाई लड़कियां सुस्ता रही थी. कुछ लड़कियों के हाथों में अब भी बीयर की बोतलें पकड़ी हुई थी एक लेडीबॉय और 2 अंग्रेज झगड़ रहे थे शायद पैसों का मामला था. सड़क किनारे एक अंग्रेज लाट साहब औंधे मुंह पड़े थे. बियर और व्हिस्की की खाली बोतलें प्लास्टिक के ग्लास और बीयर के खाली टीन। और कुछ जगहों पर इंसानी उल्टी के निशान गुजरी हुई रंगीन रात की हकीकत बयां कर रहे थे।
सड़क पार करके जल्दी से सेवन इलेवन में घुस गया. चाय तो नसीब नही हुई लेकिन सेवन इलेवन से कड़वी सी नेसकैफे का ग्लास पकड़कर स्टोर की सीढियों पर बैठ गया। कॉफी का एक घूंट लेकर सिगरेट जलाई तभी कानों में आवाज पड़ी “स्वादिखा ( थाई भाषा में नमस्ते) सामने एक लगभग ,35/36 साल की एक थाई महिला नमस्ते की मुद्रा मे खड़ी थी.उसने विदेशी ट्रैक सूट और जूते पहने हुए थे. “स्वादिखाप” मैने जवाब दिया।
इंडिया?
यस!
जवाब देते हुए मुझे रात वाला किस्सा याद आ गया तो मै थोड़ा सतर्क हो गया लेकिन उसे देखते ही लग रहा था औसत थाई से अलग लंबी नाक वाली काफी खूबसूरत कोई अच्छे घर की महिला दिख थी.असल में वो भी स्टोर से कुछ खरीदकर निकली थी। बिना किसी संकोच के वो मेरे बाजू में आ बैठी, तो बात कुछ यूं थी कि स्टोर में खाने के लिए मैं कुछ लेना चाहता था लेकिन खाने पीने वाली लगभग सारी चीजों पर थाई भाषा में लिखा हुआ था और “पोर्क” यानी सुअर का मांस थाईलैंड में बहुत ही आम भोजन है जैसे की भारत में चिकन होता है।
एक दो बार काउंटर पर खड़ी लड़की को मैने सेंडविच दिखा कर वेज या नॉनवेज जानना चाहा लेकिन वो समझ नही पाई थी। स्टोर में मौजूद ये महिला मेरी समस्या समझ गई. और वो मेरे लिए 2 वेज सेंडविच खरीदकर ले आई थी और मुझे देना चाहती थी। पहले तो मैंने मना किया लेकिन कुछ ना नुकुर के बाद में मान गया क्योंकी उसकी आवाज और आंखों में गजब का खिंचाव था. बाद में भी वो बैठी रही और इधर उधर की बातें करती रही आश्चर्य तब हुआ जब वो थाई होने के बावजूद एकदम फ्लूएंट इंग्लिश और टूटी फूटी हिंदी में भी बात कर रही थी।
थाईलैंड के एक जाने माने आइलैंड पर चल रहे एक बड़े रिसोर्ट के मालिक की अनाथ भतीजी थी उसके दो बच्चे थे और जर्मन पति से 8 महीने पहले तलाक हो चुका था भारत, भारतीय लोग भारतीय खाने हिंदी गाने और कश्मीर के लिए उसके दिल में हद दर्जे की दीवानगी थी. उसने बताया की हर साल वो कश्मीर घूमने आती है. बैंगकॉक में उसका अपना एक स्टूडियो अपार्टमेंट था और महीने में एक दो बार आपने रिसॉर्ट के लिए समान कि थोक खरीदारी करने वो खुद अपने टापू से बैंगकॉक आती है. और यहां तकरीबन एक हफ्ता ठहरती है।
इधर उधर की बातें हुई उसने मुझे अपने रिसोर्ट पर आने का न्योता दिया मेरा भारत और थाईलैंड का नंबर लिया. नाम नंबर और अपनी LINE messager की आईडी देकर मुस्कुराते हुए बाय करती हुई काली चमचमाती हुई बड़ी सी निसान एसयूवी गाड़ी लेकर वो निकल गई।
मोमिन ख़ाँ मोमिन का शेर दिल में गूंजने लगा
“ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे किसी से हम,
पर क्या करें कि हो गए नाचार जी से हम”
आज मुझे एक बात तो समझ में आ गई की देश हो या विदेश भाग्य और दुर्भाग्य हमेशा आपके साथ ही चलता हैं उठता बैठता सोता है,भाग्य/दुर्भाग्य हर दम आपके साथ ही रहता है। अब तक यकीन नही हो रहा था की आधे घंटे में क्या कुछ बदल गया, एक जवान अमीर और खूबसूरत थाई औरत मुझे जानती थी. और मै उसे पहचानता था।
“क्या दिल को ले गया कोई बेगाना-आश्ना
क्यूँ अपने जी को लगते हैं कुछ अजनबी से हम”
अब तक के घटनाक्रम ने जैसे सबकुछ उल्टा सीधा कर दिया था. कॉफी और 2 सिगारेट खत्म करने के बाद दिमाग कुछ सही हुआ तो अपने होटल की तरफ चल पड़ा
दूसरे दिन सुबह मुझे पट्टाया निकलना था।
चलते चलते मुझे सुखद आश्चर्य हुआ. देखा की सड़क अब बिलकुल साफ सुथरी हो चुकी थी और यहां भी किसी आम टूरिस्ट स्पॉट की तरहा रास्ते में जगह जगह पट्टाया के लिए बस, कैब और वेन के बोर्ड लगे हुए थे। एक दो ट्रैवल एजेंट्स कि ऑफिस के सामने विदेशियों के ग्रुप सुबह के ठंडे मौसम मे पट्टाया जाने के लिए टोयोटा की छोटी 10 सीटर वैन मे सवार हो रहे थे।
अभी भी मेरे पास बैंगकॉक मे लगभग 24 घंटे थे लेकिन मेरे पास कोई प्लान नही था की आज का दिन कैसे गुजारा जाए. 9-00 बजे नहा धोकर फ्रेश होने के बाद भारतीय रेस्त्रा मे 75 रूपये की चाय पी और होटल वापिस आ गया, उसके बाद मुझे याद आया की मेरी बैग में गिरनार इंस्टेंट टी प्रिमिक्स के 30 पाउच और इलेक्ट्रिक कैटल है जो मै भारत से अपने साथ लाया था।
फिर भी थाईलैंड मे अगर भारतीय स्टाइल की घर जैसी चाय मिल जाए तो किसी भी कीमत पर सस्ती है. वापसी के वक्त नीचे होटल के रिसेप्शन पर एक थाई नैननक्श वाली पूनम नाम की लडकी को फर्राटे से हिन्दी बोलते हुए देख कर ज़रा आश्चर्यचकित हुआ था, बाद में पता चला कि वह म्यानमार की है और यहां ऐसे हज़ारों बर्मीज़ थाईलेंड काम करते हैं जो हिन्दी बोलते है।
एसी रूम में थोड़ा रिलेक्स होने के बाद मैने बाहर निकलने का फैसला किया,
दो ढाई घंटे इधर उधर भटकता रहा, कभी किसी दुकान से कोकोनट आइसक्रीम तो कभी सड़क के किनारे खड़े होकर पाइनप्पल,ऑरेंज और अनार का जूस गटकने के बाद मैने अपने लिए कुछ टी शर्ट्स और शॉर्ट्स खरीदे, ज्यादा चलने और उमस की वजह से खुद को तरोताजा रखने के लिए मै बार बार जूस और पानी पी रहा था फिर भी बाथरूम जाने की कोई इच्छा नही हो रही थी. उसकी वजह थी कि शरीर में पानी जा रहा था लेकिन सामने ढेर सारा क्रिस्टल क्लियर बिना गंध का शुद्ध पसीना भी बह रहा था।
सरदारजी की छोटी सी इंडियन फूड रेस्टोरेंट मे दोपहर के भोजन के लिए फिर एक बार 570 भारतीय रुपए के बराबर थाई बाथ शहीद करने के बाद अब आराम करने का समय था थकान सामान्य से कुछ ज्यादा ही लग रही थी. “उमस” मेरे लिए गर्मी से भी ज्यादा परेशान करने वाली चीज थी. ऐसे मौसम में मेरे शरीर का पानी कम हो रहा था और मुझे खुद को हाईड्रेड रखने के लिए बहुत ज्यादा लिक्विड लेना पड़ रहा था मैं अपने होटल लौट आया।
सुबह के सुखद घटनाक्रम के बाद दिमाग जैसे सुन्न हो गया था, सूरत के कुछ गुजराती और मध्यप्रदेश के चार पांच लड़के भी इसी होटल में ठहरे हुए थे. थोड़ा हाय हेलो और गपशप के हुई शाम को लड़कों का यहां के सबसे प्रसिद्ध सांस्कृतिक शो ‘अलकायजर’ देखने जाने का कार्यक्रम था. सब बहुत खुश थे लड़कों द्वारा “अलकायजर” देखने के बाद रात भर खाने पीने और मौज मस्ती के लिए नाना प्लाजा जाने का प्रोग्राम बन रहा था।
मै जहां रुका हुआ था वो खाऊसान रोड असल मे एक पार्टी प्लेस है. देह व्यापार यहां बहुत कम होता है दूसरे स्थानों से आउट ऑफ डेट हो चुकी लड़कियां और कुछ गरीब अफ्रीकी देशों की ब्लैक औरतें ही यहां हाजिर मिलेंगी. बैंकॉक मे “सुखूमवित” एक बहुत बड़ा नाम है यहां का सबसे प्रमुख आकर्षण सोई (गली) 4 स्थित नाना प्लाजा है. ( ये सबसे बड़ा और मशहूर नाना प्लाजा तीन मंजिल ऊंचा है), सोई काउबॉय और पटपोंग (सबसे पुराना और सबसे कुख्यात रेड लाइट एरिया जो घोटालों के लिए भी प्रसिद्ध है।
कमरे में “एसी” चलाकर बैठ गया सिगरेट पीने के लिए जब कमरे से लॉबी में निकलता तब अहसास होता की बाहर गर्मी और उमस बढ़ रही है. बाहर कहीं जाना ठीक नही समझा. सुबह वाला सुखद हादसा अभी भी दिमाग में चल रहा था, होटल का वाईफाई 10-12 Mbps की स्पीड से ठीक ठाक चल रहा था.वैसे भी परदेश मे इंटरनेट आपके लिए और भी किमती हो जाता है क्योंकी ये परिवार और दोस्तों से संपर्क का एक मात्र माध्यम होता है।
मेरे फोन में LINE MESSENGER नही था तो उसे डाउनलोड कर लिया और एक्टिवेट करने के बाद आंखे मूंदकर पड़ा रहा. दिमाग में घमासान मचा हुआ था दस पंद्रह मिनिट गुजरे होंगे की सुबह स्टोर पर मिली “लेक” का हाय इमोजी वाला मैसेज आ गया, लेक! हां उस सुंदरी का नाम लेक था।
सुबह की एक छोटी सी घटना ने मेरी पूरी यात्रा का रुख ही मोड दिया था. मैंने भी हाय लिखकर भेजा तो फौरन जवाब आया, वो आज शाम सात बजे अपने रिसॉर्ट पर जाने के लिए फ्लाइट लेगी, अगर समय हो तो उसके अपार्टमेंट पर चाय पीने की दावत दे रही थी, वो खुद इलाइची वाली इंडियन स्टाइल चाय की शौकीन थी. उसने लिखा था तुम आओ भारतीय चाय बनाओ खुद भी पीयो और मुझे भी पिलाओ अब इतना प्यारा निमंत्रण कौन ठुकरा सकता था।
मैंने खुशी जाहिर करते हुए OK लिख कर उसे जवाब भेज दिया तो उसने भी अपने अपार्टमेंट का एड्रेस वाला मैसेज भेज दिया और लिखा की अगर कोई दिक्कत हो तो वो खुद मुझे लेने मेरे होटल पर आ जाएगी।
मैंने उसे मैसेज कर के मना कर दिया नहीं मैं खुद Grab से आ जाऊंगा। Grab थाईलैंड में ओला और उबर टाइप की एक टेक्सी सर्विस है.
मै अपना फोन बेड पर रखकर एक बार फिर से सोचने लगा की एक नया देश उसमे भी पहले ही दिन इतना सुखद अनुभव!! क्या ये कोई सपना है या थाईलैंड सच्में लैंड ऑफ़ स्माइल है? सच कहूं तो मै थोड़ा आशंकित भी था क्योंकि अब तक मामला मेरी समझ से बाहर था।
आज के लिए बस इतना ही।
थाइलैंड का ये सफर नाम जारी रहेगा।

आप कुरैशी से बात करना चाहें, तो उनका नम्‍बर नोट कीजिए:- 9979750050

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