यह मंत्री हैं, वह अफसर। यह बेईमानी करेंगे, अफसर की खाल खिंचवायेंगे

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: गाजीपुर के नियम वाले डीएम पर खौखिया रहे हैं जुगाड़ वाले मंत्री जी : सत्‍ता-तुला में छटांक भासपा अध्‍यक्ष राजभर ने दिया था यूपी सरकार से इस्‍तीफे की धमकी : फिलहाल तो अपनी मांद में घुस चुके हैं ओमप्रकाश राजभर : जालौर और पाली में रह चुके हैं खत्री :

कुमार सौवीर

गाजीपुर : एक बहुत पुरानी कहावत है, आप भी सुन लीजिए:- चित्‍त भी मेरी, पट्ट भी मेरी, अंटी मेरे बाप की। इस कहावत को लोगों ने सुना तो खूब होगा, लेकिन उसे साकार होते नहीं देखा होगा। आइये, अब पहचानिये कि इस कहावत का मूल किरदार कौन है। लीजिए, संकेत हम आपको दे देते हैं। बात यूपी के गाजीपुर की है, शख्‍स राजनीति से जुड़ा है, फितरती है, जुगाड़ में माहिर है, अतिक्रमण उसका धंधा है, और संदर्भ है पूरी सरकार को अपनी मुट्ठी में कुछ इस तरह दबोच लेना, कि प्रशासन और सरकार कांख मार दे।

अब तो समझ ही चुके होंगे आप, कि यहां किस शख्‍स के बारे में बात कर रहे हैं।

जी हां, आपने बिलकुल ठीक समझा। यह ओमप्रकाश राजभर ही हैं। उप्र की योगी सरकार के मंत्री। पूर्वांचल के दो-चार जिलों में आंशिक जनाधार रखने वाली भारतीय समाज पार्टी कोटे से भाजपा-सरकार में मंत्री का पद हासिल पाये हैं राजभर। सरकार किसी की भी हो, वे चुनाव से पहले और चुनाव के बाद भी सरकार के निर्माण में अपने लिए सेंध लगाने के लिए जोड़-तोड़ करने में माहिर माने जाते हैं ओमप्रकाश राजभर। योगी सरकार में उनको राज्‍यमंत्री का ओहदा क्‍या मिला, उन्‍होंने पूरी सरकार और प्रशासनिक ढांचे को अपनी हथेलियों में मसल डालने की फितरत शुरू कर दी। लेकिन अब ताजा खबर यह है कि ओमप्रकाश राजभर में भरी हुई सारी हवा को निकालने के लिए उनकी छुच्‍छी खींच ली गयी है।

ताजा मामला है गाजीपुर का। जहां के जिलाधिकारी संतोष कुमार खत्री के खिलाफ उन्‍होंने अपना परचम उठा कर तान लिया है। मंत्री ओमप्रकाश का आरोप है कि यह डीएम बेईमान है, बडा-बाबू की तरह व्‍यवहार करता है, भ्रष्‍टाचारियों को पालता है, जनता विरोधी है, और जनता का जीना हराम किये हुए है, सरकार की छवि खराब कर रहा है, उनकी करतूतों के चलते पूरे जनपद की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। ओमप्रकाश के अनुसार उन्‍होंने इस बेईमान, बदमाश और अराजक आईएएस को कई बार डांटा कि वह जनता के साथ ऐसा व्‍यवहार न करे, लेकिन उसकी समझ में नहीं आया। मुख्‍यमंत्री से भी बात की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसी हालत में उन्‍होंने योगी आदित्‍यनाथ को चेतावनी दे दी कि या तो अब गाजीपुर में यह डीएम रहेगा, या फिर मैं सरकार में रहूंगा। उन्‍होंने योगी सरकार से इस्‍तीफा देने की धमकी दी।

अब जरा इस सिक्‍के के उस पहलू को देख लीजिए, जिस पर कई अमिट सत्‍य दर्ज हैं।

योगी सरकार बनने के बाद ही सरकार ने यूपी को अवैध कब्‍जों से मुक्‍त करने का अभियान पूरे प्रशासनिक अमले को दिया था। जिसके अनुपालन में कई जिलों में भारी अतिक्रमण अभियान चला। इसी में गाजीपुर का कासिमाबाद थाना क्षेत्र भी शामिल है, जहां कुछ दबंगों ने सरकार की जमीन पर पिछले लम्‍बे समय से कब्‍जा कर रखा था। लेकिन इस अभियान के तहत पुलिस और तहसील प्रशासन ने इस जमीन को अतिक्रमण मुक्‍त कर दिया और उसे सरकार की जमीन के तौर पर अपना कब्‍जा कर लिया।

बस, इसी पर बवाल हो गया। इस अभियान का विरोध स्‍थानीय कुछ नेताओं ने किया, तोड़फोड़ की और अभियान दल के सरकारी कर्मचारियों को पीट दिया। इस पर प्रशासन ने इन बलवाइयों पर मुकदमा दर्ज कर लिया और उनकी पकड़ के लिए छापामारी करना शुरू कर दिया।

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बड़ाबाबू

यही बात भासपा के ओमप्रकाश राजभर को खटक गयी। वजह यह कि उस जमीन पर जो शख्‍स काबिज था, वह राजभर का ही करीबी रिश्‍तेदार था और उनकी पार्टी का जिला अध्‍यक्ष भी। लेकिन मुकदमा दर्ज होने पर उस अध्‍यक्ष और मंत्री की सारी साख-प्रतिष्‍ठा ही पूरी तरह दक्खिन हो गयी। ऐसे में मंत्री राजभर ने उस मुकदमे को खारिज कराने की जुगत भिड़ानी शुरू कर दी। लेकिन जिलाधिकारी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। बताते हैं कि संजय खत्री ने साफ कह दिया कि अभियान के दौरन हुआ हमला यह प्रशासन और सरकार पर हमला है।

खत्री के इस जवाब से ओमप्रकाश राजभर के हाथों से सारे तोते ही उड़ गये। इसके लिए उन्‍होंने पहले तो यह प्रचार करना शुरू कर दिया कि संजय खत्री केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्‍हा का मुंहलगा है, इसलिए मनोज सिन्‍हा के साथ मिल कर योगी सरकार को झुकाने की साजिशें कर रहा है। इसके लिए उन्‍होंने अपनी सरकार के मुखिया से गुहार लगायी, लेकिन योगी ने टका सा जवाब दे दिया। हताश होकर उन्‍हें लगा कि अगर उन्‍होंने तत्‍काल कोई कार्रवाई नहीं की, तो उनकी हैसियत दो कौड़ी की हो जाएगी। ऐसे में उन्‍होंने धमकी दी कि अगर योगी सरकार ने इस डीएम को तत्‍काल जिले से नहीं हटाया तो वे योगी सरकार से इस्‍तीफा दे देंगे।

लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। चूंकि राजभर की यह गीदड़-भभकी ही थी, और योगी सरकार अपने फैसले पर अडिग थी, इसलिए ओमप्रकाश राजभर अपना मुंह लगाये लखनऊ में ही हैं। इस मामले में उनका पक्ष जानने के लिए ओमप्रकाश राजभर से बातचीत कई बार कोशिशों के बावजूद नहीं हो पायी।

कौन है ओम प्रकाश राजभर

यह जहूराबाद सीट से भासपा के विधायक और पार्टी के अध्‍यक्ष है। इसके पहले उन्‍होने कांग्रेस, कौमी एकता दल आदि पार्टियों से गठबंधन कर दो बार विधानसभा और एक बार लोकसभा का चुनाव लडा, लेकिन सभी में बुरी तरह हारे।

कौन हैं संजय खत्री

बाड़मेर में जन्‍मे खत्री का कानून की पढाई के बाद राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयन हो गया। जहां दो साल तक उन्होंने जालौर व पाली में अपनी सेवा दी। उसी बीच वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हो गए।

परिषदीय स्‍कूलों में शिक्षा के सतर में सुधार के मकसद से इन्‍होने गाजीपुर में ”नई दिशा” कार्यक्रम शुरू किया जिसके तहत मेधावी छात्र छात्राओं को सिंगापुर तक ले जाकर शिक्षा देने का प्रवधान किया गया।  इनके प्रयासों से स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत गाजीपुर के कई गांव आज खुले में शौच मुक्‍त हो गए। संगीत और फिटनेस से भी इनका खास लगाव है। जिम जाना और निजी कार्यक्रमों में अपना सुर बिखेरना संजय खत्री नही भूलते।

बतौर प्रशिक्षु अफसर जालौन में बसपा सरकार के कार्यकाल में उन्होंने खनन सिंडिकेट पर छापेमारी की थी। यह सिंडिकेट सीधे पॉन्टी चड्ढा से जुड़ा हुआ था। तब ऐसी कार्रवाई के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। दरअसल खनन विभाग के कुछ अफसरों पर जपनद के खनन माफियाओं ने हमला किया था। इसके बाद कार्रवाई का नेतृत्व तत्कालीन डीएम राजशेखर ने संजय खत्री को सौपा। संजय ने जिस ठिकाने पर छापा मारा, वहां से हथियार और नकदी भारी मांत्रा में बरामद हुए थे। तमाम सिफारिशों और दवाबों के बावजूद संजय ने किसी तरह से अपने कदम पीछे नहीं खींचे। लोकसभा चुनाव के दौरान झाँसी के मऊरानीपुर में एक स्थानीय दबंग माफिया को चुनाव में गड़बड़ी की सूचना मिलने पर इस अफसर ने खदेड़ लिया था। तब मऊरानीपुर का वह दबंग माफिया गाडी से कूदकर गलियों के रास्ते होकर भाग निकला था।

अब जाने-अनजाने उन्‍होंने ओमप्रकाश राजभर में भरी अहंकारी हवा से छुच्‍छी निकाल दिया है।

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