योगी को बेच कर जनता को लूट लेंगे बैक्‍सी वाले ?

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: बैक्‍सी धंधे में चेक कर लो, धोखा की गुंजाइश ज्‍यादा है : एक साल में एक लाख बाइक का दावा गले से उतर नहीं रहा : फिलहाल तो फर्जी ही दिख रहा है यह नये तर्ज के धंधे का धंधा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : बैक्‍सी का धंधा का ऐलान। एक लाख बैक्‍सी का दावा। धेला भर लगाना नहीं है, हासिल कर लेना है सब-कुछ। जिन्‍दगी बदल जाएगी बैक्‍सी। आमदनी के सुनहरे अवसर हैं। सबकुछ खुला-खुला। कुछ भी छिपा-छिपा नहीं। सीधे आओ, खाली जेब आओ, जेब भर कर वापस जाओ। अपनी पसंदीदा बाइक चुन लो। किक लगाओ, और थोड़ी सी मेहनत में रूपयों के वारे-न्‍यारे कर डालो।

जी हां। यह बैक्‍सी के धंधा का धंधा है। बाइक का मतलब, वह टैक्‍सी सेवा, जो मोटरबाइक से की जा सके। ठीक उसी तरह ओला या उबर जैसी कम्‍पनियां करती हैं। तीन दिन पहले पूरे प्रदेश में बैक्‍सी डॉट बैक्‍सी ने इस बाबत सारे अखबारों में जोरदार प्रचार अभियान छेड़ा था। दावे ढेर सारे हैं। कहा जा रहा है कि यूपी में बेरोजगारी दूर कर ली जाएगी। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की मुस्‍कुराती हुई फोटो पर शुक्रिया अदा किया जा रहा है, जैसे पुराने जमाने की नौटंकी में नगाड़े की गड़गड़ में होता था।

लेकिन इन पूरे किस्‍सों में कई पेंच छूटे दिख रहे हैं, और जाहिर है कि इसके चलते कई शक-शुबहों की परत चढ़ चुकी है। कई सवाल अनसुलझे हैं, जबकि कई अबूझ पहेलियां ऊंचे खम्‍भों में अटक चुकी हैं। सारे अखबारों में दो-दो पन्‍नों के फुल-पेज विज्ञापन दिये गये हैं। रंगीन विज्ञापन, पहले और दूसरे पन्‍ने के क्रम में। अनुमान लगाया जा सकता है कि इसमें तकरीबन पचास लाख रूपयों से भी ज्‍यादा का खर्च किया गया है। लेकिन यह तक स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि इस पूरी बैक्‍सी योजना की जमीन कहां हैं।

जानकार बताते हैं कि इस बैक्‍सी का पोर्टल ही बहुत संदिग्‍ध है। दावे भी उलटबांसी वाले हैं। पहले तो किया जा रहा है कि इसमें बाइक का सौ फीसदी फाइनेंस बैक्‍सी ही करेगी, लेकिन साथ ही यह भी रकम मांगी जा रही है कि 5999 रूपया जमा करना होगा, इसके लिए ऐप व टीशर्ट वगैरह के तौर पर वसूला जाएगा। ड्राइवर को बैक्‍सी की पीली ड्रेस पहनना होगा।

यह भी कहा गया है कि नोएडा में तीस बाइक के रजिस्‍ट्रेशन के लिए अर्जी लगायी जा चुकी है। सवाल यह है कि बैक्‍सी की ड्रेस पहन कर कौन बाइक मालिक सड़क पर फर्राटा भर पायेगा। खास तौर पर तब जबकि इस बाइक से आमदनी तीन से चार हजार रूपया मासिक होगी। दूसरी बात यह कि एक साल में एक लाख बैक्‍सी की योजना अगर पिछले एक महीने के दौरान 30 वाहनों की संख्‍या के तौर पर रजिस्‍ट्रेशन के लिए लटकी हुई है, तो फिर टारगेट कैसे पूरा होगा।

आपको बता दें कि प्रमुख न्‍यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम ने पिछले छह महीनों के दौरान अखबारों में फर्जी विज्ञापन छपवा कर भारी-भरकम धोखाधड़ी कर लाखों लोगों को ठगने की साजिशों का पर्दाफाश किया है।

हैरत की बात है कि इस बैक्‍सी से बातचीत करने के लिए केवल एक नम्‍बर पर मिस कॉल का ही प्राविधान है। फिर अगर कोई इच्‍छुक अगर बात करना चाहे, तो कैसे।

कुछ भी हो, कुछ अखबारों ने इस बारे में खबरें छापी हैं। मसलन, अमर उजाला ने छापा है कि :- शहर में इस वक्त एक अनोखे प्रयोग की तैयारी की गई है अब यहां कुछ महीनों बाद शुरू होने जा रही है बाइक टैक्सी। युवाओं की बाइक अब रोजगार का साधन बनेगी। कार-टैक्सी के बाद अब बाइक टैक्सी का जमाना भी आ गया है। अब आपको शहर के प्रमुख प्वाइंटों से बाइक टैक्सी भी मिल सकेगी। परिवहन विभाग ने शहर के आरटीओ को बाइक टैक्सी चलाने की अनुमति प्रदान कर दी है। जल्द ही बाइक टैक्सी के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू होंगे और सड़कों पर चलती नजर आएंगी।

नवभारत टाइम्‍स ने छापा है कि :- नोएडा की सड़कों पर अगले हफ्ते से बाइक टैक्सी दौड़ने लगेंगीं। इसका संचालन उबर के सहयोग से ओएनएन कंपनी करेगी। नोएडा उत्तर प्रदेश का पहला जिला होगा, जहां इसका संचालन होने जा रहा है। एनसीआर में इसकी रैकिंग दूसरी है। गुरुग्राम में बाइक टैक्सी का संचालन इसी कंपनी की ओर से पहले से किया जा रहा है। ओएनएन कंपनी ने नोएडा में 222 बाइक टैक्सी चलाने की पेशकश परिवहन विभाग के अधिकारियों से की है। 30 बाइक टैक्सी का संचालन अगले सप्ताह से शुरू किया जाएगा। कंपनी ने संभागीय परिवहन कार्यालय, गाजियाबाद में 30 बाइक परमिट के लिए आवेदन किया था। इसमें से आठ बाइक को संभागीय परिवहन अधिकारी मंयक ज्योति की ओर परमिट जारी कर दिया गया है। कंपनी के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बाइक टैक्सी के रजिस्ट्रेशन, फिटनेस, कामर्शियल टैक्स जमा करने के लिए सेक्टर-32 स्थित परिवहन कार्यालय, गौतमबुद्ध नगर पर संपर्क किया।

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