यह बेहूदा अखबार है। बिन जूतों के कैसे समझेगा

बिटिया खबर

: राजधानी में गड्ढे में मिली बच्‍चे की लाश का लिंग और नाम तक बदल दिया हिन्‍दुस्‍तान अखबार ने : प्रमुख संवाददाता ही नहीं, पूरे अखबार में जाहिलियत का एकाधिकार : प्रमुख संवाददाता जब इतना जाहिल, तो बाकी अखबार में क्‍या होगा : पुलिस का कहना है कि मृत बच्‍चे का नाम देवांश है, हिन्‍दुस्‍तान बोला, मरी बच्‍ची डिम्‍पल है :

कुमार सौवीर

लखनऊ : राजधानी के गोमतीनगर के पानी भरे गड्ढे में गिरने से एक मासूम बच्‍चे की मौत हो गयी, लेकिन इस खबर को छापने में हिन्‍दुस्‍तान अखबार ने अपनी नाक कटवा डाली। पुलिस और सारे अखबारों में छापा गया कि इस गड्ढे में डूब कर एक मासूम बच्‍चे देवांश की जान चली गयी है। लेकिन हिन्‍दुस्‍तान अखबार के प्रमुख संवाददाता स्‍तर के बड़े रिपोर्टर ने अपनी संवेदनाओं तक को अपनी ही जूतों से रौंद कर उस उस बच्‍चे को बच्‍ची और उसका नाम देवांश के बजाय डिम्‍पल ही कर डाला।
आपको बता दें कि गोमतीनगर के विराजखंड में गुरुवार शाम को रेलवे लाइन के किनारे की जमीन पर भरे पानी में डूबने से एक बच्‍चे की मौत हो गई थी। बच्‍चे का नाम देवांश है और उसकी उम्र चार बरस बतायी जाती है।

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बताते हैं कि विराजखंड में रेलवे लाइन के किनारे काफी जमीन खाली है। इस पर बरसात के पानी के अलावा आस पास की निकासी से आने वाला पानी भी भरा रहता है। इसी में एक खाली प्लाट में बहराइच के कैसरगंज निवासी गुड्डू का परिवार रहता है। गुड्डू के एक बेटा देवांश व चार साल की बेटी डिम्पल है। देवांश गुरुवार शाम को खेलते हुये दीवार से नीचे गिर गया था। बाद में शव खोजा जा सका।
लेकिन किसी माहिर प्रत्‍यक्षदर्शी रिपोर्टर की तरह हिन्‍दुस्‍तान अखबार के प्रमुख संवाददाता मौके पर पहुंचे और पूरी कहानी लिख मारी। यह भी लिखा कि मिला शव एक बच्‍ची का है, जो अपने परिवार के साथ ही रहता थी और प्‍लॉट में भरे तालाब में वह गिर गयी और पानी में औंधे मुंह गिरने से वह चीख भी नहीं सकी। इधर काफी देर तक डिम्पल नहीं दिखी तो घर वालों ने उसे ढूंढ़ना शुरू कर दिया। अंधेरा होने पर लोगों ने टार्च की रोशनी में बच्ची को ढूंढ़ा। भरे पानी की तरफ लोगों ने रोशनी फेंकी तो बच्ची उतराती मिली।
हिन्‍दुस्‍तान अखबार के प्रमुख संवाददाता स्‍तर के बड़े रिपोर्टर ने पाया कि प्‍लॉट में मिली लाश एक बच्‍ची की है, जिसकी उम्र चार बरस है और उसका नाम डिम्‍पल है, डिम्‍पल है और बाकायदा डिम्‍पल ही है।

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2 thoughts on “यह बेहूदा अखबार है। बिन जूतों के कैसे समझेगा

  1. हिन्दुस्तान के नाम पर कलंकित अखबार के कलंकित चेहरों का पर्दाफाश करने के लिए आपका तहेदिल से क्रांतिकारी अभिवादन…!!!

    जयहिंद!
    सादर चरणस्पर्श स्वीकार करें आदरणीय भ्राताश्री जी…🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹

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