: वारुणी और विजया दोनों उनकी रससिक्तता की संगिनी थीं : अटल बिहारी वाजपेयी ने भरपूर जिंदगी जी है, करोडों में कोई ऐसा कर -हो पाता है : राज कुमारी कौल मित्र से अधिक हो कर मृत्यु पर्यंत साथ रहीं :
शम्भू दयाल बाजपेई
बरेली : मैं यह कामना नहीं करता अटल जी और जियें । जिन्हें मेरा यह भाव बुरा लगे उनसे विनम्र क्षमा याचना के साथ । दुआ – प्रार्थना करनी मुझे आती नहीं और जिससे की जाती है ‘ उससे’ रिश्ते भी वैर भाव वाले हैं ।
ये दुआ – प्रार्थनायें , हवन , यज्ञ , जाप आदि फलीभूत होते हैं , ऐसा भी नहीं मानता । बडे लोगों के लिए ये सब होते हैं , किये – कराये जाते हैं , लेकिन ये मृत्यु का रास्ता नहीं रोक पात ।
बीमार शेरे पंजाब महाराजा रंजीत सिंह के लिए तो काशी के कितने ही वेदपाठी वटुक कई दिन तक अहर्निश जप, पाठ अनुष्ठान में लगे रहे , नामी मौलाना कुरान पाठ करते रहे , पादरी और ग्रंथी भी जुटे , वैद्य, हकीम , यूरोपियन डाक्टर , देशी चिकित्सक , तंत्र – मंत्र और झाड -फूक वाले सब लगे थे , लेकिन ये समवेत प्रयास भी उन्हें जाने से नहीं राेक पाये ।
जो आया है , जाता ही है । अब तक यही देखा – सुना है । मुझे भी जाना है ।
अटल बिहारी वाजपेयी ने भरपूर जिंदगी जी है । राजनीतिक सफलता आैर लोक प्रियता का शीर्ष छुआ है । करोडों में कोई ऐसा कर – हो पाता है ।
वह ऐसे विरले राजनेता हैं जो दलीय सीमाओं से परे भी अपनी स्वीकार्यता रखते रहे । आरएसएस के होकर भी ।
उनकी वाक पटुता , शब्द – सम्पदा, विचारशीलता, शालीनता , हास्य बोध और देह -भाषा उनके ब्यक्तिव को मोहक और विशाल बनाती रही ।
उन्हों ने किशोरावस्था में प्रेम किया और किन्हीं वजहों से उसे विवाह में न बदल पाने पर बाद में साथ जिया । राज कुमारी कौल मित्र से अधिक हो कर मृत्यु पर्यंत साथ रहीं । 7 , रेसकोर्स रोड में साथ रहते दोनों परस्पर प्रगाढ आदर भाव रखते थे ।
अटल काव्य प्रेमी थे , रस प्रेमी भी । वारुणी और विजया दोनों उनकी रस सिक्तता की संगिनी थीं ।
समय चक्र देखिये , जिसे वह मुख्य मंत्री पद से हटाने पर अडे थे , आज वह देश के कर्णधार हैं । 2005 में भाजपा के रजत जयंती समारोह में उन्हों ने सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषण करते हुए कहा था कि अब से लाल कृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन पार्टी के राम – लक्ष्मण होंगे । महाजन रहे नहीं और ‘राम’ जबरिया राजनीति के नेपथ्य में ठेल दिये गए हैं ।
वर्षों से एम्स और चिकित्सीय उपकरणों के सहारे खींचे जा रहे अटल जी की जो स्वास् गत स्थितियां हैं , उसमें उनका जाना ही बेहतर ।
शम्भू दयाल बाजपेई ji, आप पत्रकार लोगो में एक समस्या है …. जो सर्व प्रामाणिक हो उसे छुपा लेते हैं और जो प्रामाणिक न हो अथवा सिर्फ कहा सुना हो उसे आप प्रमुख खबर बना देते हैं…….आप यह भी तो लिख सकते थे की वाजपेयी जी जिसे अचानक बुलाकर एक झटके में मुख्यम्नत्री बना दिया था वह अब देश के प्रधानमंत्री हैं …. अतः बड़े खेद के साथ लिखना पड़ रहा है की आपका यह श्रद्धांजलि लेख नहीं लग रहा बल्कि देश के प्रधानमंत्री के प्रति वामपंथी लेखनी वाली दुर्भावना झलकती है |
घंटा दो लत्ती ……दो लात पाने वाले लेख लिखते हो……. क्या बिगाड़ा है तुम्हारा देश के PM मोदी जी ने जो झूठी बाते लिखते हो ?………हलाला वाले कठमुल्लों को खुश करने के लिए यह लिखते हो जो अपने बाप के सगे नहीं हैं ? ऐसा भी लिख सकते थे की ” बाजपेयी जी ने फर्श से उठा कर अर्श में पहुँचाया था मोदी जी को जो आज देश के कर्णधार हैं ” | तुम्हारी सोच है की उल्टा लिखो तो आतंकी जमात वाले कठमुल्ले खुश और तुम्हे देंगे हलाला में हिस्सा …..बाबा जी का ठुल्लू ले लेना हलाला में हिस्सा, वह इसे परिवार में बाप और भाई के साथ ही बाँट लेते हैं 🙂