वाह-वाह मछलीशहर की पुलिस, वाह-वाह उसकी कार्यशैली

दोलत्ती

: शराब माफिया को छुड़ाने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया थानेदार ने : मछली शहर में सुजानगंज थानेदार की करतूत बनी क्षेत्र में चर्चाओं का सबब :
आनंद कुमार सिंह
जौनपुर : योगी सरकार में पुलिस के लगातार भ्र्ष्टाचार के नित्य नए मामले सामने आ रहे हैं। निरंकुश पुलिस कहीं शराब गांजा बेचवाकर मोटी रकम वसूल रही है तो कहीं भ्र्ष्टाचार की पराकाष्ठा को लांघ जाती है। एक ऐसा ही मामला है मछलीशहर कोतवाली का जहां जहां चर्चित शराब माफिया को दबोचे जाने पर मछलीशहर कोतवाल निष्ठा के साथ तत्पर दिखे तो सुजानगंज थानाध्यक्ष निजी स्वार्थ में बचाव में उतर गए। देर रात्रि फोन पर बात न बनने पर एक अच्छा खासा ऑफर लेकर पहुंच गए थे।
बतातें चले कि सुजानगंज थानांतर्गत ग्राम बारां पदुमपुर निवासी राजेश यादव उर्फ साधू यादव प्रधान पति हैं। उसने कोटेदार का कोटा सस्पेंड करवाकर अपने खासमखास को दिला दिया है। मकसद यह कि मनमाफिक वितरण हो सके। इसके अतिरिक्त जनपद का चर्चित अवैध शराब व गांजा का उच्चस्तरीय व्यवसाय का आरोपित है जो बड़े सफेदपोशों को आये दिन के अलावा चुनाव में शराब देकर सहयोग करता है। इस अपने रसूख के बल पर सरकार किसी की हो अपनी मनमानी करता रहता है। फिलहाल तो समाजवादी पार्टी में अच्छी पैठ है। वहीं निजी स्वार्थ की पूर्ति के चलते सुजानगंज थानाध्यक्ष अजय सिंह को अपने जेब में रखता है और इसी शराब माफिया के इशारे पर थाना चलता ही नहीं है बल्कि जिसका भी चाहे एक पल में जेल की हवा खिला देता है।
ऐसा ही एक मामला बीस दिन पूर्व का है जब ग्राम के कुछ अल्पसंख्यक वर्ग के लोग अनाज लेने गए तो उन्हें अनाज न देकर मारपीट कर भगा दिया गया। बाद में उनके ऊपर लूटपाट का आरोप लगा कर उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी। दूसरे मामले में ऐसे ही इसके इशारे पर एक निर्दोष परिवार समेत कुछ लड़कों को मुकदमा दर्ज कर सलाखों के पीछे डाल दिया गया तो वहीं गंभीर मारपीट के मामले में जिसने मारा उसे खुला छोड़कर दूसरा जो मरणासन्न के परिजन को थाने बैठाए रखा गया। ऐसा इसी शराब माफिया के इशारे पर किया गया।
ताजा मामला मछलीशहर कोतवाली का है जहां कोतवाल दिनेश पांडे ने उक्त शराब माफिया राजेश उर्फ साधू यादव और नंदू यादव को 500 लीटर अवैध शराब व बोलेरो के साथ बुधवार को दबोच लिया। लेकिन अन्य दो आरोपित भागने में सफल रहे। मामले की जानकारी होते ही सुजानगंज थानाध्यक्ष अजय सिंह इसे छुड़ाने के लिए एड़ी चोटी का दम कर डाले। साथ ही एक बड़ा ऑफर भी तो वहीं सफेदपोश के भी फोन घनघनाने लगे। लेकिन कोतवाल दिनेश पांडे ने ईमानदारी की मिसाल पेश करते हुए किसी की नहीं सुनी। बल्कि वर्षों से फलफूल रहे कारोबार को बंद कर दिया। वहीं मुकदमा दर्ज कर इन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया। चर्चा है कि ऐसी क्या मजबूरी है कि खुद थानाध्यक्ष अजय सिंह पहले फोन कर छुड़ाने का प्रयास किया तो बाद में थाने में डटे नजर आए।

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