यूपी लोकसेवा आयोग: सइयां हैं लतखोर, कोर्ट ने हौंका तो झुक्‍की खाने लगे

बिटिया खबर
: हाईकोर्ट ने जब दिखाया कन्‍टेम्‍प्‍ट का बिना छीला बांस, तो उचक के भागा आयोग प्रशासन : मामला सिविल जज परीक्षा का, लोक सेवा आयोग कल जारी करेगा तत्‍सम्‍बन्‍धी विज्ञापन : महीनों से शासन और आयोग दबाकर रखे थे सिविल जजों के पदों का अधियाचन : जब हौंके जाएंगे तभी तो झुक्‍की खायेंगे :

दोलत्‍ती रिपोर्टर
इलाहाबाद : कहावत बहुत पुरानी है कि जो भूत लातों के आदी होते हैं, वे कभी भी बातों से नहीं समझ पाते हैं। ऐसे भूतों-दानवों-राक्षसों-डाकिनों-चुड़ैलों और पिशाचों को समझाने के लिए हमेशा जूतों की ही जरूरत होती है। दरअसल, वे ऐसी ही भाषा समझ पाते हैं, इसलिए दीगर किसी अन्‍य भाषा से नौटंकी करना शुरू कर देते हैं। यही हालत है इलाहाबाद वाले उत्‍तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की, और मामला है सिविल जजों की भर्ती का। आयोग के भूत इस मामले में कुण्‍डली मारे बैठे थे, लेकिन हाईकोर्ट ने जैसे ही उनकी सेवा में ठीक से हौंक दिया, वे तड़ समझ गये। खबर है कि कोर्ट के इस बिना छीला बांस से आतंकित इन भूतों ने रातोंरात ही इस भर्ती की तैय्यारी की पहलकदमी कर दी है। पक्‍की खबर यह है कि कल यानी मंगलवार को ही जारी होगा यूपी के सिविल जजों की भर्ती का विज्ञापन।
कल यानि मंगलवार को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग सिविल जज यानि की मुंसिफ भर्ती परीक्षा का विज्ञापन जारी करने जा रहा है। आप सोच रहे होंगे कि ये तो अच्छी बात है कि आयोग काम कर रहा है और नई भर्ती निकाल रहा है। पर आपको हैरानी होगी की आयोग ये भर्ती अपनी कार्यकुशलता के चलते नहीं निकाल रहा है बल्कि उसे हाईकोर्ट के डंडे का डर है।
जी हां ! एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदसीय विशेष पीठ ने बीती 28 अगस्त को शासन व उप्र लोक सेवा आयोग को आदेश दिया था कि वे सुनवाई की अगली तारीख यानि कि 12 सितंबर को ये लिखित बतायें कि वो सिविल जज परीक्षा का फार्म कब निकाल रहे हैं और कितने दिनों में पूरी परीक्षा की प्रक्रिया कब तक पूरी कर के रिजल्ट दे देंगे। इस बाबत मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश और सचिव लोक सेवा आयोग दोनों को आदेश दिया गया था। परसों यानि 12 सितंबर को इस मामले की अगली सुनवाई होनी थी। एसे में आनन फानन में तैय्यारी कर के कल यानि 11 सितंबर को परीक्षा का विग्यापन निकालने की तैय्यारी कर ली गई ताकि हाईकोर्ट की क्रोध अग्नि से बचा जा सके !
प्रवर अधीनस्थ सेवा के मामले में भी क्या हाईकोर्ट की फटकार का इंतजार कर रहा है आयोग? हाईकोर्ट के डर से मुंसिफ की परीक्षा तो समय से कराने के लिये आयोग बाध्य हो गया है परंतु प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा को लेकर अभी भी आयोग चेता नही है। 2016 में हुई परीक्षा का परिणाम आज भी लंबित है। 2018 की प्रारंभिक परीक्षा 19 अगस्त को होनी थी जिसे टालकर 28 अक्टूबर कर दिया गया है। आलम ये है कि चंद छात्र नेता जाकर अगर आयोग के सामने धरना दे देते हैं तो भी आयोग दबाव में आकर परीक्षा टाल देता है जिससे मेधावी छोत्रों का नुकसान होता है। ऐसे में सवाल है कि क्या अब इस मामले में भी कोई जनहित याचिका दायर करना होगी? ये हम छात्रों के विवेक पर छोड़ते हैं। समझदार को इशारा काफी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *