: मैं हमेशा से ही जातीय उच्चता-श्रेष्ठता पर सवाल उठाता रहा, फिर यह हमला क्यों : दलितों के लिए जूझते रहे हैं शेषनारायण सिंह, आज व्यथित हैं : आज सवर्णों को जो एक ही झाड़ू से हांका जा रहा है, उसमे मैं कहां हूँ? :
शेषनारायण सिंह
नई दिल्ली : सवर्ण अगर नाराज़ हैं तो उनको गाली देना कहां तक उचित है? मैंने पूरा जीवन आम्बेडकर की जाति विषयक राजनीति के पक्ष में लिखा है। मेरा जन्म क्षत्रिय मां बाप के यहां हुआ है। लेकिन मैं हमेशा जातीय उच्चता का विरोधी रहा हूँ। आज सवर्णों को जो एक ही झाड़ू से हांका जा रहा है, उसमे मैं कहां हूँ? सारे सवर्णों को गाली दी जाएगी तो क्या मैं उसमे शामिल नहीं माना जाऊंगा? मैं इस संस्कृति का विरोध करता हूँ।
क्या मुझे ठाकुर शेष नारायण सिंह कह कर अपना परिचय देना शुरू कर देना चाहिए। एक टीवी डिबेट में भी अभी दो दिन पहले दलित चिंतन के एक उद्यमी ने मुझे जाति के संदर्भ में फिट करने की कोशिश की भी थी । मेरे मित्रों में राजीव रंजन श्रीवास्तव , जयशंकर गुप्ता, अरविंद मोहन , शीतल सिंह, चंचल, अमिताभ श्रीवास्तव, भारत शर्मा आदि बहुत लोग हैं जो जातीय उच्चता का विरोध करते हैं। क्या सवर्णों को मिल रही गालियां इन लोगों को बचाकर निकल रही हैं।