नशेड़ी आला पत्रकारों की खाल में भूसा भर रहा है यह जज

बिटिया खबर

: नशेड़ी दीपक चौरसिया, कार्तिकेय शर्मा, घटिया राणा यशवंत और एंकर अंचल आनंद को अदालत में पहुंचने का हुक्‍म, भागेंगे हाईकोर्ट : लखनऊ के पूर्व जिला जज ने दायर की इन पत्रकारों के खिलाफ नालिश : खामोशी के खिलाफ एक जोरदार जंग छेड़ दी राजेंद्र सिंह ने, सभी पत्रकार टीवी न्‍यूज के :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह तो सभी जान चुके हैं कि आज की पत्रकारिता पूरी तरह निरंकुश, अराजक और तर्कों-विधानों को दफ्न कर केवल सनसनी फैलाते हुए दलाली पर ही आमादा हैं। चूंकि ऐसे पत्रकारों की धौंस का हमलावर अंदाज किसी को भी घायल कर सकता है, इसलिए नेता और राजनीतिज्ञ भी उनसे चंद कदमों की दूरी ही बनाये रखते हैं। ऐसी हालत में आम आदमी तो दूर सरकारी अफसर और अदालतों की अहम कुर्सियों तक पर जमे लोग भी उनको इग्‍नोर कर देते हैं। कौन लगे ऐसे कटहे कुत्‍तों के मुंह। ऐसे में समाज में खून पीने वाले पत्रकारों की तादात और उनकी करतूतों से आहत-पीडि़त लोगों की आबादी लगातार बढ़ती ही जा रही है।
लेकिन राजेंद्र सिंह कुछ अलग ही मिट्टी के बने हैं। वे अपने पर हमला करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने का साहस रखते हैं, और ऐसी निरंकुश, दलाल और कटही पत्रकारिता को ऐसा सबक सिखाने पर आमादा रहते हैं, जिसकी याद आते ही ऐसे पत्रकार ही नहीं, बल्कि उनकी नानी तक को छठी का दूध याद आ जाए। राजेंद्र सिंह की एक याचिका पर अदालत ने देश में प्रमुख माने जाने वाले चार पत्रकारों पर वारंट जारी कर दिया है। अपर मुख्‍य न्‍यायायिक दंडाधिकारी की अदालत के आदेश के मुताबिक इन पत्रकारों को 16 जुलाई को अदालत में हाजिर होकर अपना पक्ष रखना होगा। इन पत्रकारों में हैं शराब पीकर एंकर-गिरी करके पत्रकारिता को कलंकित करने वाला दीपक चौरसिया है, कार्तिकेय शर्मा भी ऐसी ही झूठी जमात का अहम शाहंशाह है। महुआ न्‍यूज को बेच कर पूरे महुआ चैनल को बर्बाद और बेच डालने पर आमादा राणा यशवंत है जबकि एक एंकर आंचल आनंद भी शामिल हैं।
आपको बता दें कि कुछ बरस पहले अखिलेश यादव के मुख्‍यमंत्रित्‍व काल में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति की जमानत लखनऊ के अपर जिला जज ने मंजूर कर ली थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने कार्रवाई की, लेकिन उस कार्रवाई की खबर के नाम पर इन पत्रकारों ने तब के अपर जिला जज के साथ ही साथ जिला जज राजेंद्र सिंह पर भी बेहद आपत्तिजनक खबरें प्‍लांट कीं। इन किसी भी खबर में इन पत्रकारों ने न तो तथ्‍यों की जांच की और न ही तथ्‍यात्‍मक तर्क समझने की कोशिश की। साफ लग रहा था कि वे किसी साजिश के तहत ही यह खबर राजेंद्र सिंह के खिलाफ प्‍लांट कर रहे थे। जाहिर है कि यह नैतिक, सामाजिक और कानूनन अपराध ही था।
आपको बता दें कि इस मामले में याची राजेंद्र सिंह अपने खुद के कपड़ों पर कींचड़ फेंकने या कींचड फेंकने वाले पर बर्दाश्‍त करने वाले कोई डरपोक अफसर नहीं हैं। बल्कि राजेंद्र सिंह का नाम न्‍यायिक जगत में एक धाकड़ जज के तौर पर पहचाना जाता है। राजेंद्र सिंह लखनऊ समेत कई जिलों में जनपद जिला एवं सेशंस जज रह चुके हैं। कुछ बरस पहले उनको लेकर इनफॉरमेशन टीवी नामक एक मीडिया और चंद समाचारपत्रों के पत्रकारों ने निरंकुशता की सारी सीमाएं ही तोड़ दी थीं। वह भी बिना सत्यता की परख किए और पीड़ित से बिना सत्यापन कराए। कहने की जरूरत नहीं कि यह पत्रकारों ने अपनी मर्ज़ी से जो चाहे श्वेत श्याम अंदाज में आम जनता को झूठी खबरें परोस दी थीं। दीगर मामलों में पीड़ित व्यक्ति ग्लानि के कारण चुप रहता है, लेकिन Law of hot pursuit अंतराष्ट्रीय विधि का सिद्धान्त है पर है तो है। ऐसा ही एक समाचार घराना Information TV ltd भी है जिसने नेत्रहीन होकर TRP के उद्देश्य से निंद-लेख का प्रसारण किया अपने चैनल पर। मानहानि के परिवाद में लखनऊ के अपर मुख्‍य न्‍यायिक दंडाधिकारी ने इस मीडिया के निम्न नामचीन के विरुद्ध ज़मानती वॉरंट 20,000 का 22 जून को निर्गत करते हुए उनको 16 जुलाई को न्यायालय में उपस्थित करने का आदेश दिया। राजेंद्र सिंह कहते हैं कि Only Civil Courts follow Rule of Law।
जाहिर है कि अब ये लोग उच्च न्यायालय की ओर प्रस्थान करेंगे और 482 में अपनी गिरफ़्तारी के विरुद्ध स्थगन आदेश लाएँगे । It is rule of unrule law .

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