भास्‍कर की बिजली गुल करायेगा दैनिक भास्‍कर का संपादक

बिटिया खबर

: इन मूर्खों को कौन बताये कि चापड़ से नहीं रेता जा सकता है किसी का गला : अलीगंज में एक महिला की हत्‍या पर रिपोर्टिंग देखिये, अनपढ़-जाहिलों का गिरोह दिखता है भास्‍कर में : सारे अखबारों ने लिखा था कि चापड़ मारा गया, लेकिन भास्‍कर-टीम में तो चमन-चूतिये भरे हैं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : हर अस्‍त्र या शस्‍त्र का अपना-अलग तरीका, विशेषज्ञता और उसकी अनोखी प्रहार-कला होती है। मसलन, किसी तोप से किसी को उड़ाया तो जा सकता है, लेकिन उससे किसी को घायल नहीं जा सकता है। तोप का वार केवल नेस्‍तनाबूत करने के लिए होता है, और पूरी तरह प्रभावी और मुकम्मिल होता है। ठीक उसी तरह बंदूक या पिस्‍तौल से किसी को मारा नहीं जा सकता है, बल्कि उसके माध्‍यम से किसी वस्‍तु, प्राणी या व्‍यक्ति पर गोली मारी जा सकती है। यह वैसा ही है, जैसा शब्‍द-वेधी वाण केवल किस्‍सा-गाथाओं में होती हैं, यथार्थ में नहीं।
ठीक उसी तरह किसी प्राणी या व्‍यक्ति पर चाकू वगैरह से हमला तो किया जा सकता है, लेकिन जब वह हमला उसके गले पर हो जाए, तो उसे रेत दिया जाना कहा जाता है। पत्रकारों से अपेक्षा की जाती है, कि वे कम से कम इस तरह के हमले को उनके प्रहार के हिसाब से ही देखें और लिखेंगे। ऐसा न करने वाले रिपोर्टर और उसकी कॉपी चेक करते वक्‍त ऐसी शब्‍दावली का उपयुक्‍त प्रयोग न करने वाले संपादक को केवल चूतिया ही नहीं, बल्कि चमन-चूतिया माना और कहा जाता है।
आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले राजधानी लखनऊ में इसी तरह का एक हादसा हुआ, जिसमें एक महिला की मौके पर ही मौत हो गयी। यह मामला है अलीगंज में केंद्रीय विद्यालय के पास की एक सड़क पर। अखबारों के मुताबिक अपने पति से अलग रहने वाली पिंकी नामक एक महिला पर उसके पति ने चापड़ यानी गंड़ासा से उसकी गर्दन पर मार कर उसकी हत्‍या कर डाली है। बताते हैं कि हत्‍यारे ने अपनी पत्‍नी के गले पर दो वार किये थे और हत्‍या के बाद वह भागा नहीं, बल्कि मौके पर ही मौजूद रहा।
इस हौलनाक हादसे की रिपोर्टिंग सभी अखबारों, न्‍यूज चैनलों और बाकी समाचार संस्‍थानों ने प्रमुखता के साथ किया था। सभी रिपोटरों ने इस हादसे को महिला के गर्दन पर चापड़ के हमले के तौर पर देखा और तदनुसार उसी रिपोर्टिंग भी की। लेकिन दैनिक भास्‍कर के रिपोर्टर और उसके संपादक ने चूंकि पत्रकारिता की धारा में अपनी निपट मूर्खता की अलग गंदगी फैलाने का अभियान छेड़ दिया है, इसलिए दैनिक भास्‍कर के रिपोर्टर ने इस घटना को इस तरह पेश किया कि हत्‍यारे ने पत्‍नी की गर्दन रेत कर हत्‍या कर डाली है।

यह तो है दैनिक भास्‍कर में रिपोर्टरों की करतूत। लेकिन शर्मनाक बात तो यह है कि इस रिपोर्टर की कॉपी को एडीट करने के लिए संपादक या संपादकीय प्रभारी ने तनिक भी जहमत नहीं निभायी।

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