ट्रम्‍प बने भीगी बिल्‍ली, घुसे बंकर में, खूंख्‍वार कुत्‍तों का शुक्रिया

बिटिया खबर

: अब थरथर कांप रहा है दुनिया का सर्वाधिक ताकतवर सत्‍ता-केंद्र तो मामला नाजुक है : घमंडी, बड़बोले, निरंकुश और मूर्ख साबित हुए सत्‍ता-नेतृत्‍व से जनता आजिज : “गनीमत है कि खूंख्‍वार कुत्‍ते मेरी सुरक्षा में लगे हैं, वरना न जाने क्‍या होता मेरा” :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बेशक, बेशक। अमरीका की जनता ने ही अमरीकी राष्‍ट्रपति डोनॉल्‍ड ट्रम्‍प को दुनिया का सबसे ताकतवर शक्‍स बनाया है। लेकिन अब वही दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान आज उसी जनता के आक्रोश से बचने के लिए बंकर में जा छिपा है, और अपनी सुरक्षा के लिए सरकारी खूंख्‍वार कुत्‍तों तक की सुरक्षा-कड़ी में सहमा हुआ है, तो समझ लीजिए कि मामला अब बेहद नाजुक है। दरअसल, यह जनता की वही ताकत है, जो दुनिया के सबसे ताकतवर सत्‍ता-केंद्र और सत्‍ता-नेतृत्‍व को भीगी बिल्‍ली की तरह तब्‍दील कर चुकी है। जिस अमरीकी राष्‍ट्रपति को किसी भी आपदा पर भड़के जन-आक्रोश को सुलझाने के लिए जनता के सामने जाने का दायित्‍व और कर्तव्‍य निभाना चाहिए, वह इस वक्‍त उसी प्रजा के सामने थर-थर कांपते हुए बंकर में जा चुका है। इतना ही नहीं, यह भी कह रहा है कि, “गनीमत है कि मेरे पास खूंख्‍वार कुत्‍ते हैं, जो मेरी सुरक्षा में लगे हैं, वरना मेरा न जाने क्‍या होता। ”
आपको बता देंं कि इस वक्‍त अमरीका के 51 शहरों में कर्फ्यू लगा है। लेकिन दंगे बेकाबू हैंंं।।

आप कह सकते हैं कि बस चंद महीनों बाद ही अमेरिका में होने वाले चुनावों को लेकर राजनीति हो रही है। एक लहजे में आपकी यह बात सच भी है। लेकिन एक पहलू भी तो है कि वहां की जनता अब घमंडी, बड़बोले, निरंकुश और मूर्ख साबित होते जा रहे सत्‍ता-नेतृत्‍व से आजिज आ गयी है और अब बदलाव चाहती है।
यह भी सच हो सकता है कि वहां में फैले जन-असंतोष में वामपंथ की हवा है। आपकी बात सच हो सकती है। लेकिन अगर ऐसा है भी, तो भी उसमें बुरा क्‍या है। सत्‍ता नेतृत्‍व की करतूतों का विरोध करना सजग जनता का दायित्‍व है।
हां, यह भी सच है कि भारत जैसे देशों में जनता में यह गुण नहीं है। बस यही दुर्भाग्‍य है।
अमरीकी जनता को अपने देश के नेतृत्‍व की हरकतों को सूंघना आता है और उस का सशक्‍त प्रतिरोध करने की क्षमता उसमें कूट-कूट कर भरी हुई है। सोचिये तनिक। जनता में आक्रोश इतना भड़क गया है कि उसे कोरोना का भय नहीं रहा। वहां के लोग सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर पड़े हैं। इतना ही नहीं, ठीक उसी तरह पार्क और सड़क पर लेट कर लेट कर छटपटा रहे हैं, जैसे वह मारा गया व्‍यक्ति छटपटा रहा था,जिसे एक पुलिस-अफसर ने अपने जूतों में रौंद कर उसे मौत के घाट उतार दिया था। अमरीकी जनता अब उसी तरह छटपटाते हुए खुद को महसूस करना चाहती है, और इस तरह साबित करना चाहती है कि उस तरह की हालात का वह विरोध कर रही है और उसे खारिज कर रही है।
यह सच है कि देश में भड़के इस भारी जन-आक्रोश से बचने के लिए डोनाल्‍ड ट्रम्‍प अपनी जान बचाने के लिए एक अति-सुरक्षित बंकर में छिप गये। सड़क पर लहराने लगा गुस्‍से का सैलाब अब साबित करता है कि अमरीका में होने वाला चुनाव नतीजा क्‍या होगा।
कार्टूनिस्ट: माइकल डे अड्डेर

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