: चौधरी चरण सिंह और महेंद्रटिकैत होते तो दिल्ली को अन्न-सब्जी और दूध सप्लाई रोक कर जवाब देते : सिर्फ दिल्लीवालों का ही इलाज कराने की तैयारियां : तुम हमें इलाज नहीं दोगे, तो हम तुम्हारी दिल्ली को रोटी नहीं देंगे :
कुमार सौवीर
लखनऊ : केजरीवाल ने सुझाव मांगा है कि दिल्ली के बाहर से आये-बसे लोगों को दिल्ली में इलाज की सुविधा दी जानी चाहिए या नहीं। उन्होंने दिल्लीवालों से इस बारे में अपनी राय देने की अपील की है, ताकि अपने इस संकल्प पर आम आदमी मन टटोल लें और उसके हिसाब से ही फैसले करें कि गैर-दिल्लीवालों को इलाज की सुविधा दिल्ली में दी जाए अथवा नहीं। लेकिन कुछ भी हो, केजरीवाल की यह रणनीति देश में क्षेत्रवाद की एक घिनौनी पहल की तरह देखी जा रही है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों से बॉर्डर खोलने को लेकर सुझाव मांगे हैं. उन्होंने कहा है कि दिल्ली के हिसाब से अस्पतालों में मरीज के लिए बेड की पर्याप्त व्यवस्था है लेकिन अगर दूसरे राज्यों के मरीज आए तो दिक्कत हो सकती है. ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए? क्या उन्हें अपनी सीमाएं सील कर देनी चाहिए या फिर सभी राज्यों के लिए खोल देना चाहिए? दरअसल, वे यह जानना चाहते हैं कि दिल्ली के हिसाब से अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था दूसरे राज्य के लोग आएं तो दिल्ली में क्या-क्या दिक्कत आ सकती है। दिल्ली के हिसाब से अस्पतालों में मरीज के लिए बेड की पर्याप्त व्यवस्था है लेकिन अगर दूसरे राज्यों के मरीज आए तो दिक्कत हो सकती है. ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए? क्या उन्हें अपनी सीमाएं सील कर देनी चाहिए या फिर सभी राज्यों के लिए खोल देना चाहिए?
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली दिलवालों की है, इसलिए वे लोगों से भी उनकी राय जानना चाहते हैं. सीएम केजरीवाल ने फिलहाल एक सप्ताह के लिए दिल्ली की सीमा सील रखने को कहा है. अगला आदेश लोगों के सुझाव आने के बाद आएगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने शुक्रवार तक अपने जवाब भेजने को कहा है. इसके लिए सीएम ने मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी भी जारी किया है. उन्होंने कहा है कि दिल्लीवासी 8800007722 नंबर पर अपना सुझाव व्हाट्सएप कर सकते हैं. इसके अलावा लोग 1031 नंबर पर कॉल कर भी अपनी बात बता सकते हैं. या फिर delhicm.suggestions@gmail.com पर अपना सुझाव मेल कर सकते हैं। सीएम केजरीवाल ने कहा कि वे लोगों के सुझाव के बाद एक्सपर्ट और जानकारों से भी इस संबंध में राय लेंगे. उसके बाद ही आगे की दिशा तय होगी.
लेकिन सच बात तो यही है कि केजरीवाल की मंशा दरअसल कुछ अलग ही है। केजरीवाल निर्मम नेता है, लेकिन जनता तो निर्मल है। निर्मल भी है, और असहाय भी। असहाय इसीलिए कि गैर-दिल्लीवालों के राज्यों की सरकारों ने कोरोना चिकित्सा की दिशा में कोई ठोस कदम ही नहीं उठाये। सिर्फ हवाई दावे ही चल रहे हैं। और दूसरी बात यह है कि गैर-दिल्लीवालों के पास चौधरी चरण सिंह और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत जैसी शख्सियतें ही नहीं हैं। वरना अरविंद केजरीवाल जैसे लोगों की हैसियत नहीं होती कि इस बारे में तनिक भी हरकत कर पाते। चौधरी जैसे लोग अगर आज होते तो दिल्ली को राशन, सब्जी,दूध जैसी चीजों की आपूर्ति ही ठप्प कर देते।
दिल्ली की सभी छोटी बड़ी औद्योगिक इकाइयों से भी पूछ लेते, बड़ी बड़ी बिल्डिंग के आफिस में काम करने वालों से पूछ लेते। रेहड़ी वाले, चाय पिलाने वाले ऑटो वाले के सहारे दिन काटने वालो से पूछ लेते.. की दिल्ली के बाहर से आने वालों के बिना दिल्ली अपने पैरों पर खड़ी हो पाएगी क्या। साला सुवर केजरीवाल धूर्तता की पराकाष्ठा है