थाईलैंड यानी लैंड ऑफ़ स्माइल

बिटिया खबर

: थाई का अर्थ है आजादी, लेकिन अनुशासन लाजवाब : : भारत से ढाई गुना महंगा हुआ है थाईलैंड का बाथ। देखते-देखते : राजा पर बोलना और सड़क पर थूकना खासा महंगा पड़ सकता है : झंझट की बला हटाने के लिए बेहतर है कि वीजा पहले ले लीजिए : थाईलैंड यात्रा-1 :

अब्‍दुल करीम कुरैशी

थाईलैंड : अप्रैल 2018 की दरम्यानी रात को बंगाल की खाड़ी के ऊपर से उड़ते हुए यही सोच रहा था कि सचमुच आपकी कुंडली में शायद विदेश यात्रा का योग कुछ ग्रहों के संयोग से ही बना होता है. इंसानी जिस्म में आप जबतक हैं, तबतक लगभग आपकी यह विवशता है कि आप पृथ्वी नामक इस ग्रह से बाहर कदम नहीं रख सकते. हालांकि इस ग्रह की ही दुनियादारी को कहां सम्पूर्णता में देख पाते हैं हम? अगर नसीब वाले हुए आप तब इस धरती का कोई हिस्सा आपके नसीब में भी देखना होता है।
यह भी याद कर रहा था कि पिछले साल उसी समय नियति हमें सागर के ऊपर से उड़ाए ले जा कर साइबेरिया जैसे भयानक हिमप्रदेश में पटका था, इस बार तो यात्रा अपने पड़ोस के थाईलैंड नामक देश की थी, महज़ 6 दिन पहले यात्रा का कार्यक्रम बना और 6 दिन बाद तो मेरे कदम थाईलैंड की भूमि (लैंड ऑफ़ स्माइल) को छू गए।
चाहे आप कितनी भी विदेश यात्राएं करले लेकिन नए देश की नई धरती पर कदम रखना एक बहुत ही रोमांचक अनुभव होता है। इस छोटीसी यात्रा में 3 दिन पटाया तो दो दिन बैंकॉक में रुक कर वापस आ जाने का मेरा प्लान था।
इमिग्रेशन से बाहर निकलते ही घंटो से दबी हुई सिगरेट की तलब जाग उठी, एक बैकपैक और एक ट्रॉली बैग के साथ मध्यम आकार के डॉन मुआंग एयरपोर्ट के बाहर निकलते ही सिगरेट जलाने के लिए कोई अच्छी सी जगह देखने लगा, सीधी दिशा में थोड़ा चलने के बाद आखिर मुझे जगह मिल ही गई, सिगरेट तो थी लेकिन लाइटर सिक्योरिटी चेकिंग में ले लिया गया था। सिगरेट का मजा लेते हुए 2 अंग्रेज बंधुओं को देखकर हाश… वाली फीलिंग के साथ उनकी और बढ़ चला, हाय हेलो के बाद भाई लोग ने अपने करकमलों से मेरी सिगरेट जला दी, लंबा कश खींचने के बाद फेफड़ों से धुएं का गुबार निकालते हुआ शरीर ने जैसे सारी थकान और सुस्ती भी निकाल फेंकी।
इमिग्रेशन पर तमाम देशों के नागरिकों की उमड़ी भीड़ देख कर लगा था कि इस देश की दाल-रोटी तो शायद वीजा के शुल्क से ही चल जाती होगी. थाई एयरपोर्ट्स पर वीजा ऑन अराइवल विभाग भीड़ के मामले में दिल्ली के किसी व्यस्त बस अड्डे जैसा रहता है।
कुछ दशक पहले तक अनजाना अनदेखा सा, भारत की संस्कृति को सीने में छुपाये यह देश अपने विकास की गाथा अब एयरपोर्ट से ही दिखाना शुरू कर देता है. तभी तो देखते ही देखते भारतीय मुद्रा के मुकाबले इस छोटे देश की मुद्रा ‘बाथ’ लगभग ढाई गुना कीमत की हो गई है। हां यहां तक पहुचने में इस देश ने क्या कीमत अदा की है, यह इस विषय मे आगे बात करने की कोशिश करूंगा, हालांकि बिना जजमेंटल हुए या पाठकों पर ही उचित-अनुचित को तय करने का भार डाल देना ही मेरे इस यात्रा प्रसंग को रोचक बना सकता है.
हम सब जानते ही हैं कि कई अन्य देशों की तरह ही थाईलैंड ने भी भारत सहित बहुत सारे देशों के पर्यटकों के लिए ‘ऑन एरायवल वीजा’ की सुविधा दी हुई है. यानी अगर आपके पास केवल पासपोर्ट हो तो आप सीधे बैंकॉक की उड़ान पकडिये, कुछ घंटे कतार में खड़े होकर 2000 बाथ यानी लगभग साढ़े चार हज़ार रूपये का शुल्क अदा कीजिये लेकिन मेरी सलाह तो यही रहेगी की किसी भी देश का अग्रिम वीजा लेकर ही प्रवास किया जाय. खास कर थाईलैंड का एडवांस वीजा ऑन अराइवल वीजा से सस्ता है और सहुलत भरा भी होता है क्योंकी सफर की थकान के बाद कोई भी यात्री एयरपोर्ट पर दो घंटे और खराब करना नही चाहेगा।

कुरैशी नया राहुल सांकृत्‍यायन हैं। थाईलैंड को जी लिया

मन में अनेक तरह के सवाल और सुखद जबावों के साथ ये मेरी कुल 4 थाई यात्रा में से यह पहली यात्रा शुरू हो गयी थी. आगे काफी जिज्ञासाओं का समाधान होना था, आनंद तो खैर इस देश का पर्याय ही हो गया है, जिसे उठाने के लिए हवाई जहाज भर कर दुनियाभर से लोग आते रहते है।
लेकिन कुदरती नजारे घने जंगल और साफसुथरे बीच से भरे पूरे थाईलैंड को सिर्फ सेक्स इंडस्ट्रीज के लिए पहचानना शायद इस सुंदर देश के साथ अन्याय होगा, ‘यहां के राजा के बारे में कुछ भी कहना और दूसरा सड़क पर कहीं भी थूकना, इन दो बात का कड़ाई से पालन करेंगे तो आपकी यात्रा यादगार होगी इसमें कोई शक नही है।
यहां आप सबकुछ करने को आजाद हैं। ‘थाई’ शब्द का मतलब भी ‘आज़ाद’ ही होता है. हालांकि उड़ान के दौरान मैंने महसूस किया कि गुटखे का शौक और थूकने की आज़ादी छीन जाने का भान होते ही कई भारतीय सहयात्री थाईलैंड पहुंचने से पहले ही बेचैन से हो गए थे उनके गुटखे के शौक का क्या होगा, इस चिंता ने मानो कुछ के मन में यहां आने के उत्साह को ज़रा पस्त सा कर दिया हो।
वैसे वहां उतरने के बाद भी पस्त तो मै खुद सब ज़रा हो ही गया था थे. मुंबई और डॉन मुआंग हवाई अड्डों पर बोरियत भरी औपचारिकताओं ने थका तो दिया ही था. वैसे भी ये साढ़े चार घंटे की हवाई यात्रा भी पता नहीं क्यू ट्रेन के चौबीस घंटों की सफ़र से ज्यादा भारी पड़ जाती है, शायद कुछ दोस्तों ने उसे महसूस किया भी होगा।
थाईलैंड की पहली यात्रा थी लेकिन थाईलैंड के बारे मे किया हुआ अभ्यास बहुत काम आया, मेरे जैसे एक नए यात्री को 300/- बाथ की कैब की जरूरत नही पड़ी 40/- बाथ की साफ सुथरी ऐसी बस की टिकट लेकर सीधा खाओसान रोड पर दुनिया भर में मशहूर वाकिंग स्ट्रीट पर पहले से बुक अपने होटल पर पहुंच गया। सिम कार्ड खरीदते वक्त एयरपोर्ट पर ही मुझे अहसास होने लगा था की भाषा यहां एक बड़ी समस्या है. क्योंकि आम थाई आदमी को इंग्लिश से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है, लेकिन मै अपने होटल पर आसानी से पहुंच गया क्योंकी एयरपोर्ट पर टूरिस्ट हेल्प डेस्क की लड़की से मैने अपने होटल का एड्रेस थाई भाषा मे लिखवा लिया था।
थाईलैंड में होटल आपसे 2000 बाथ या फिर आपका पासपोर्ट डिपॉजिट के तौर पर रखने का विकल्प देगी.
मैंने पासपोर्ट रख दिया क्योंकी इससे मुझे विदेश मे पासपोर्ट जैसे कीमती दस्तावेज को संभालने की बड़ी झंझट से मुक्ति मिल गई थी। खाओसान पैलेस होटल पर औपचारिकता पूरी करने के बाद जाकर अपने कमरे में जाकर सो गया अभी 2 घंटा भी गुजरा नही होगा की डीजे कि जोरदार आवाज से मेरी आंख खुल गई।
आज के लिए बस इतना ही

आप कुरैशी से बात करना चाहें, तो उनका नम्‍बर नोट कीजिए:- 9979750050

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