मर्दों को मेढ़ा-बकरा बना देती हैं काली कलकत्‍ते वाली बंगाली जादूगरनियां

बिटिया खबर
: भाजपा भूल गयी कि बंगाल में संदेश जैसी मिठाई से ज्‍यादा यहां का काला-जादू ज्‍यादा मारक है : ममता अब पुलिस कमिश्नर के आवास पर पहुँच कर केंद्र सरकार के दांत खट्टे कर रही हैं, वह गम्‍भीर नतीजे देगा : लोकतांत्रिक खतरों का यह सच ममता बनर्जी के साथ नरेंद्र मोदी को भी समझना होगा

कुमार सौवीर
लखनऊ : बंगाल की ख्याति सिर्फ संदेश जैसी लाजवाब मिठाई से ही नहीं, बल्कि यहां काला-जादू के साथ ही साथ दुर्गा और काली देवी की चमत्कारिक छवियों का भी बड़ा जोर है। यहां की बंगालिनों के बारे में पूरे बाकी देश और पड़ोसी मुल्कों में खासा मशहूर है कि वे बाहरी मर्दों को चुटकियों में इंसान से मेढ़ा-बकरा-दुम्बा बना डालती हैं।
ममता बनर्जी ने आज यह कहावत चरितार्थ कर दी। हालांकि जिन मोदी की सभा में बवाल पर जिस तरह सीबीआई को मोहरा बनाया गया, और जिस तरह ममता बनर्जी अपनी मुख्‍यमंत्री की कुर्सी छोड़ कर सड़क पर धरना पर बैठ गयीं, वह अभूतपूर्व घटना है। अब हालत यह है कि ममता बनर्जी की पुलिसवालों ने नरेंद्र मोदी की सीबीआई के अफसरों को कलकत्‍ता पुलिस आयुक्‍त राजीव कुमार के घर के दरवाजे पर गिरफ्तार कर उन्‍हें थाने पर बिठा लिया।

कहने को तो यह ताजा मामला सारदा चिटफंड कम्‍पनी में हुए अरबों के घोटाले को लेकर शुरू हुआ। लेकिन राजनीतिक विश्‍लेषकों का साफ मानना है कि इस मामले में सीबीआई को इस मामले में मोहरे के तौर पर पेश किया गया है। असल मामला तो चौबीस परगना में नरेंद्र मोदी की सभा पर हंगामा और उसके बाद यूपी के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की सभा को न होने के लेकर हुआ। जानकार बताते हैं कि इन मामलों में भाजपा बौखला गया और आनन-फानन सीबीआई का मामला छेड़ दिया गया। असल सवाल तो यह है कि आखिर ऐन वक्‍त पर ही सीबीआई ने यह कदम क्‍यों उठाया।

नतीजतन ममता जिस तरह पुलिस कमिश्नर पहुँच कर केंद्र सरकार के दांत खट्टे कर रही हैं, उसका संदेश आसन्न लोकसभा चुनाव में साफ आग भड़कायेगा। सीबीआई के इस कदम पर दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल, यूपी की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव समेत अधिकांश विरोधी दलों ने कड़ी निन्‍दा की है। इन लोगों ने ममता बनर्जी का पूरा समर्थन देने की भी घोषणा कर दी है।
साफ बात तो यही है कि सीबीआई की यह हरक़त केंद्र की भाजपा सरकार की बौखलाहट का प्रतीक है, जो अपनी उसी डाल पर कुल्‍हाड़ी मार रही है, जिस पर वह बैठी है। वरना ऐन आसन्‍न चुनावी मौके पर ऐसी हरकतों का कोई औचित्‍य नहीं था। सारदा चिट फंड के घोटाले का जो मामला कई बरसों से लटका हुआ था, उसे ऐन चुनावी वक्‍त पर पेट्रोल फेंक कर इस तरह भड़काना निरी मूर्खता ही तो माना जाएगा, जिसमें भाजपा का चेहरा ही झुलस जाए।

हालांकि योगी के हेलीकॉप्‍टर को बंगाल में उतारने से मना करना भी एक अराजक राजनीति का प्रमाण है। लोकतंत्र में इसका कोई स्‍थान नहीं। लेकिन ममता ने यह कर डाला। लेकिन इसके बावजूद ऐसी करतूतों का जवाब सीबीआई जैसे संगठनों के बल पर देना उससे भी बड़ी निरंकुशता का प्रतीक है। किसी भी तर्क ऐसी अराजकता पर समर्थन वाली मोहर नहीं बन सकते हैं। ऐसी घटनाओं पर तत्‍काल विरोध स्‍वर नहीं प्रकट किया जाएगा, तो लोकतंत्र ही मौत के मुंह में समा जाएगा। और यह सच ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस और आज कलकत्‍ता में हुए हादसे पर ममता के समर्थन में गाल बजा रहे विपक्ष के साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भाजपा को भी समझना होगा।

इस पूरे प्रकरण में यह तय हो गया कि इस कांड में ममता बनर्जी की भूमिका किसी कुशल मदारी की तरह है, और अखिलेश यादव, मायावती और अरविंद केजरीवाल समेत पूरा विपक्ष काली कलकत्‍ते वाली की टीम के कुशल सहयोगी हैं। भाजपा की भूमिका अब मेढ़ा-बकरा-दुम्‍बा ही निभायेंगे और पूरा देश ताली ठोंकेगा।

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