: यह न्याय नहीं हुआ। जिम्मेदारी तय करो योर ऑनर : लखनऊ की युवा वकील ने सवाल और जवाब तजबीज किये हैं आरूषि-हेमराज हत्याकांड पर हाईकोर्ट के फैसले के संदर्भ में : मीडिया को भी औकात में लाना अनिवार्य, अन्यथा भविष्य में मीडिया-ट्रायल बेहद घातक होगा :
शिवानी कुलश्रेष्ठ
लखनऊ : एक युवा अधिवक्ता ने आरूषि-हेमराज हत्याकाण्ड पर हाईकोर्ट के फैसले को लेकर एक कई सवाल और उससे जुड़े कई जवाब खोजने तथा देने की कोशिश की है। न्याय की दहलीज पर भले ही यह सवाल-जवाब कोई बहुत ज्यादा तरजीह नहीं पा सकें, लेकिन भावुकता के स्तर पर इन सवालों और जवाबों को कत्तई भी खारिज नहीं किया जा सकता है। खास तौर पर तब, जबकि न्यायपालिका आज एक मशीनी न्याय उत्पादक की भूमिका के तौर पर तब्दील होती जा रही है।
इस युवा अधिवक्ता का नाम है शिवानी कुलश्रेष्ठ। फिरोजाबाद की मूल निवासी और लखनऊ में कानून की पढाई के बाद अब अदालतों में अपना भविष्य खोजने के साथ ही साथ शिवानी जमीनी मसलों को खोजने और उनकी तह तक पहुंचने की कोशिश करती हैं। आरूषि और हेमराज की हत्या के बाद पुलिस और उसके बाद सीबीआई द्वारा तैयार किये गये मामले को जिस तरह हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया, उससे कई सवाल उठने लगे हैं। इसी मसले पर शिवानी ने कुछ प्रश्न तैयार किये हैं, और उन्हें इन प्रश्नों को इस कड़ी में पिरोने की कोशिश की है कि:- अगर तलवार दंपत्ति का केस मेरे पास आता और मैं हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की जज होती तो मै क्या करती?
शिवानी ने लिखा है कि :- मैं मानती हूं के जजमेंट सबूतों के आधार पर देने पड़ते हैं। जिसका काम केवल साक्ष्य का मूल्यांकन करना होता है तथा न्यायिक विवेक का इस्तेमाल कर के निर्णय सुनाना होता है लेकिन जो वरिष्ठ न्यायालय है, वह ‘कोर्ट ऑफ जस्टिस’ हैं और न्यायालय कानून भी बनाती हैं। जस्टिस ग्रे से पूछा गया कि विधि क्या है तो जस्टिस ग्रे ने कहा विधि वही है जो वृद्ध और भद्र पुरुष कहते हैं। यानी जस्टिस ग्रे, ‘जज निर्मित विधि’ की वकालत करते हैं। कहने का तात्पर्य है कि मुझे इस केस का विचारण करने दिया जाता तो मैं कम से कम पुलिसवालों की जवाबदेही तो तय करती। संबंधित अन्वेषण अधिकारी तथा जांच एजेंसी को दंडित किया जाता क्योंकि नोएडा पुलिस ने पहले ही सावधानी और सतर्कता का प्रयोग नहीं किया। बाद में सीबीआई की दो टीमों ने क्रमशः कार्य किया तो सबूत की गुणवत्ता पर कैसे विश्वास किया जा सकता है क्योंकि साक्ष्य तो ताजा ताजा ही होता है। इसके अलावा मै मीडिया की जवाबदेही भी तय करने का आदेश देती क्योंकि आने वाले भविष्य में मीडिया ट्रायल समाज के लिए घातक होगा। अभी आप समझ नहीं रहे हैं। तलवार संपत्ति का छूट जाना ऑनर किलिंग करने वालों के मनोबल को मजबूत करेगा।