आरुषि हत्याकांड: हाईकोर्ट का फैसला नहीं, विफलता है सीबीआई की

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: हाईकोर्ट ने दिया नुपुर और राजेश को संदेह का लाभ : हमेशा के लिए दफ्न हो चुकाआरूषि-हेमराज के कत्‍ल का सुबूत : सीबीआई की भूमिका का कड़ी टिप्‍पणी कर दी जजों ने : सवाल कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएगी सीबीआई या नहीं :

मेरीबिटियाडॉटकॉम संवाददाता

इलाहबाद : पूरे नौ बरस तक देश के जनमानस को बुरी तरह मथ डालने वाले बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड पर आरूषि के बाप-मां को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। उन्‍हें संदेह का लाभ दिया गया है। दो जजों की इस पीठ ने अपने फैसले में लिखा है कि राजेश और नुपूर के खिलाफ कोई भी ठोस सुबूत नहीं मिले हैं। इन जजों ने सीबीआई को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कड़ी टिप्‍पणी की है, और कहा है कि सीबीआई को ध्‍यान देना चाहिए कि हर मामले केवल जीतने के लिए नहीं लड़ना चाहिए। बल्कि उसे अपनी भूमिका न्‍याय की प्रणाली में सहायक के तौर पर अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

कुछ भी हो, राजेश और नुपूर को बरी होने से इतना  तो तय ही हो गया कि इसके बाद आरूषि और हेमराज की हत्‍या का राज हमेशा-हमेशा के लिए राज ही बना रहेगा। इतना ही नहीं, हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद इस बात पर भी चर्चाएं शुरू हो जाएंगी कि अगर इस मुकदमे में सीबीआई द्वारा पेश किये गये सारे सुबूत इतने ही हल्‍के और संदेहजनक थे, तो उस बारे में निचली अदालत ने क्‍यों नहीं गौर किया। कहीं ऐसा तो नहीं कि इस मामले को मीडिया में मिले हाईप का प्रभाव तो नहीं रहा निचली अदालती कार्रवाई पर। वैसे हाईकोर्ट के इस फैसले के बावजूद अभी तक यह स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया है कि हाईकोर्ट के इस फैसले को सीबीआई सर्वोच्‍च न्‍यायालय पर चुनौती देगी अथवा नहीं। वजह यह कि यह फैसला सीबीआई की कार्यशैली पर स्‍पष्‍ट आलोचना का है, और उस पर खामोश रहने से आरोप को खुद को आरोपों को कुबूल करने के तौर ही देखा जा सकता है।

बहरहाल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटी की हत्या के आरोप में सजा काट रहे पिता राजेश तलवार और मां नुपुर तलवार को बरी कर दिया है. सीबीआई अदालत का फैसला पलटते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं है इसलिए तलवार दंपति को संदेह का लाभ दिया जाता है. राजेश और नूपुर कल जेल से रिहा हो सकते हैं. मई 2008 में तलवार दंपति के नोएडा के घर पर उनकी बेटी आरुषि अपने कमरे में मृत मिली थीं. उसकी गला काटकर हत्या की गई थी. स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपति को 2013 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद माता-पिता न सिर्फ कत्ल के आरोप से बरी किए गए हैं, बल्कि अपनी ही बेटी का कातिल होने का दाग धुला है. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर आरुषि को कातिल कौन है?

सरकारी वकील का कहना है कि सीबीआई ने कहा था कि अगर इलाहबाद हाईकोर्ट का फैसला उनके खिलाफ जाता है तो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. इस केस की जांच देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने की. 2008 से ये मामला विभिन्न जांच एजेंसियों से गुजरता हुआ सीबीआई तक पहुंचा, उसने इसकी जांच की, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से साफ है कि अब तक आरुषि के कातिल से दुनिया अनजान है.

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि तलवार दंपत्ति के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्य की बुनियाद पर सजा नहीं दी जा सकती. मामला ये है कि निचली अदालत में ये बात सामने आई कि आरुषि और हेमराज का कत्ल किया था. उनकी गर्दन काटी गई थीं. लेकिन पुलिस और सीबीआई कत्ल के वैपन को आज तक हासिल नहीं कर सकी.

आपको बता दें कि आरुषि के माता पिता राजेश तलवार और नुपुर तलवार को सीबीआई की कोर्ट ने कत्ल का दोषी पाया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जिसके खिलाफ तलवार दंपत्ति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की खंडपीठ ने अब ये फैसला सुनाया.

तलवार दंपत्ति के दोस्त राहुल मिश्रा का कहना है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने सीबीआई की जांच की पोल खोल दी है. उनका कहना है कि केवल केस जीतने के लिए सीबीआई को काम नहीं करना चाहिए, बल्कि सच्चाई सामने लाने का काम करना चाहिए. उनका कहना है कि जिस मानसिक तनाव से तलवार परिवार गुजरा है वो किसी दुश्मन को भी ना झेलना पड़े. राहुल मिश्रा ने कहा,  ” बहुत बड़ी राहत मिली, सीबीआई का झूठ सामने आयाा.”

सीबीआई की विशेष अदालत ने राजेश-नुपुर तलवार दंपत्ति को अपनी बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज के कत्ल का दोषी पाया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी. खंडपीठ ने तलवार दंपति की अपील पर सात सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्टूबर तय की थी. जानकारी के मुताबिक गाजियाबाद की डासना जेल में बंद तलवार दंपत्ति रात भर नहीं सोए. सुबह का नाश्ता भी नहीं किया. राजेश तलवार और नुपुर तलवार जेल स्टाफ से बार बार फैसले का अपडेट जानने को लेकर आग्रह करते रहे. पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले इस केस की कहानी 2008 में शुरू हुई थी. 16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार इलाके में 14 साल की आरुषि का शव बरामद हुआ. अगले ही दिन पड़ोसी की छत से नौकर हेमराज का भी शव मिला.

केस में पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को गिरफ़्तार किया. 29 मई 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी. सीबीआई की जांच के दौरान तलवार दंपति पर हत्या के केस दर्ज हुए. मर्डर केस में सभी पक्षों की सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने 26 नवंबर 2013 को नुपुर और राजेश तलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई. सीबीआई के फैसले के खिलाफ़ आरुषि की हत्या के दोषी माता-पिता हाई कोर्ट गए और अपील दायर की. राजेश और नुपुर फिलहाल गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे हैं.

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