और अब पारो भी चली गयी

सैड सांग

कष्टकारी है अभिनेत्री सुचित्रा सेन का देहान्त

कोलकाता : प्रख्यात अभिनेत्री सुचित्रा सेन का दिल का दौरा पड़ने से शुक्रवार सुबह निधन हो गया। सुचित्रा को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के कारण उन्हें बुधवार से श्वसन प्रणाली पर रखा गया था।

बेले व्यू क्लीनिक के चिकित्सकों के मुताबिक, 82 वर्षीय अभिनेत्री की रात में दो बार हालत अधिक बिगड़ने के बाद उनकी बेटी मुनमुन और पोतियों रिया और राइमा ने पूरी रात क्लिनिक में ही गुजारी।

डॉक्टरों के अनुसार विख्यात बंगाली अभिनेत्री ठीक से भोजन नहीं ले पा रही थी और उन्हें पाइप के जरिए भोजन दिया जा रहा था। सुचित्रा पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थीं और उन्हें आईसीयू में रखा गया था। श्वसन तंत्र में संक्रमण को लेकर 23 दिसंबर को उन्हें  अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें लगातार ऑक्सीजन थेरेपी, चेस्ट फिजियोथेरेपी और नेबुलाइजेशन पर रखा गया था। वह ठीक से खाना भी नहीं खा पा रही थीं, जिससे उनकी सेहत में और गिरावट आ गई थी। 50 के दशक में अपने अभिनय के दम पर सबके दिलों में राज करने वाली सुचित्रा कोलकाता के सेन बेल व्यू क्लिनिक में भर्ती थीं।

सुचित्रा सेन को 23 दिसंबर को इस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने 70 के दशक में फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था। सेन ने ‘देवदास’ और ‘आंधी’ जैसी हिन्दी फिल्मों के अलावा कई मशहूर बांग्ला फिल्मों में अभिनय किया था।

सुचित्रा सेन का फिल्मी सफर 1952 में बांग्ला फिल्म ‘शेष कोठाई’ से शुरू हुआ था। 1955 में उन्हें हिंदी फिल्म ‘देवदास’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। वह पहली भारतीय अभिनेत्री थीं, जिन्हें किसी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सम्मानित किया गया। उन्हें 1963 के ‘मास्को फिल्म समारोह’ में ‘सात पाके बंध’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला था। सेन बाद में एकांत जीवन बिताने लगीं और उन्होंने 2005 में सार्वजनिक रूप से दिखायी नहीं देने को तरजीह देते हुए कथित तौर पर दादा साहब फाल्के पुरस्कार से इनकार कर दिया था।

पारम्परिक मूल्यों को मानने वाले शिक्षक करुनामोय दासगुप्ता की बेटी सुचित्रा का विवाह आदिनाथ सेन से सन् 1947 में हुआ जब वे मात्र सोलह वर्ष की थीं। विवाह के चार वर्ष बाद उसकी असफलता को ढोना छोड़कर सुचित्रा सेन ने अभिनय यात्रा प्रारंभ की। उनकी और उत्तम कुमार के प्रेम की बातें हमेशा उछाली गई परंतु दोनों ने कभी इकरार किया और ना इनकार किया।

उन्होंगने `दीप ज्वेले जाई` और `उत्तर फाल्गुनी` जैसी मशहूर बांग्ला फिल्मों और हिंदी फिल्म `देवदास`, `बंबई का बाबू`, `ममता` और `आंधी` में काम किया था। उन्हेंफ 1972 में पद्मश्री से नवाजा गया था।

सुचित्रा सेन 33 साल से गुमनामी की जिंदगी जी रही थीं। उन्होंने 1978 में फिल्मों में काम करना छोड़ दिया था और उसके बाद से केवल चार मौकों पर ही वह सार्वजनिक रूप से नजर आई थीं। इसलिए आज की युवा पीढ़ी उन्हें शायद ही जानती हो। लेकिन ये बातें फिल्मों के दीवानों के दिलों में उन्हें हमेशा जिंदा रखेंगी…

सुचित्रा सेन की चंद खासियतें दर्शकों में खूब प्रशंसित हुईं। मसलन, हिंदी की पांच फिल्में, मसलन  ‘देवदास’, ‘बंबई का बाबू’, ‘सरहद’, ‘ममता’ और ‘आंधी’।

मशहूर किरदार में ‘देवदास’ में पारो। मशहूर गाने मसलन, रहें ना रहें हम, महका करेंगे…

इस मोड़ से जाते हैं…

तेरे बिना जिंदगी से कोई…

छुप गया कोई रे…

रहते थे कभी जिनके दिल में हम…

तुम आ गए हो…

और आखिर में उनकी खूबसूरती, जो गजब थी। उन्हें  नजर न लगे, इसके लिए शूटिंग के दौरान उनके चेहरे पर जख्म. दिया जाता था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *