मेरी बेटी पर गुंडों ने तेजाब फेंका था, मैं लड़ रहा हूं

सैड सांग

6 महीने से अस्पताल में भर्ती है पूरे चेहरे पर झुलसी मासूम बच्ची

सीवान: चेहरा किसी भी शख्स की सबसे बड़ी पहचान होती है। हमारे समाज में तो लड़कियों का चेहरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन अगर इस चेहरे को तेजाब से जला दिया जाए तो उस पर क्या गुजरेगी। यूपी से सटे बिहार के सीमांत जिला के सीवान में एक बच्ची अपने साथ हुए एक अभिशाप को पिछले छह महीने से भोग रही है। लेकिन उसके साथ अपनी जी-तोड़ मेहनत करनेवाले पिता, जो अपनी बेटी को इस हालत में पहुंचाने वाले गुंडों को हर कीमत पर सजा दिलाने पर आमादा है।

कम से कम दक्षिण एशिया में बहुतेरी लड़कियां हैं जो एसिड अटैक का शिकार हो तिल तिल कर जी रही हैं। भारत में तो ऐसी महिलाओं की तादात बेहिसाब हैं और लगातार इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। हालांकि बलात्कार जैसी वारदातों पर तो कानून और चर्चाएं खूब हो रही हैं, लेकिन तेजाब फेंक कर किसी महिला का जीवन हमेशा-हमेशा के लिए तिल-तिल कर मारने जैसी वारदातों पर कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हो पा रही है।

सीवान में ऐसी ही एक बच्ची अपने गले हुए चेहरे से अपने होने को कोस रही है। उसके पिता हैं मोहम्मद आरिफ अशरफ। आरिफ की 15 साल की बेटी के चेहरे पर कुछ दरिंदों ने तेजाब फेंक कर उसका चेहरा हमेशा-हमेशा के लिए बदशक्ल कर दिया था। उसका अपराध यह केवल यह था कि वह उन गुंडों से न तो बातचीत करना चाहती थी और न ही उनसे कोई सम्पर्क भी रखना चाहती थी। उसने कई बार इस बच्ची से अपने प्रेम का इजहार किया और बात जब नहीं बनी तो उसने भद्दी गालियां, जुमले और छींटाकशी करनी शुरू कर दी। उन गुंडों की मर्जी जब नहीं चली तो, आखिरकार इन दरिंदों ने उस बच्ची के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया और फरार हो गये। उसके बाद से ही इस बच्ची का चेहरा पूरी तरह से झुलस चुका है और पिछले 6 महीने से वो अस्पताल में है।

लड़की के पिता अशरफ इस हादसे से हिल गये हैं। मगर अपना हौसला नहीं टूटा है उन्होंने। वे अपनी बेटी की हालत करने वालों पर सख्ते सजा दिलाने के लिए कमर कस चुके हैं। अशरफ का कहना है कि उनकी बेटी की बाईं आंख पूरी तरह खराब हो चुकी है। उनका कहना है कि हालत यह है कि 26 सितंबर को उस पर तेजाब फेंका गया था और तब से वह अपने पैरों पर खड़ी तक नहीं हो सकी। बच्ची के पिता का कहना है कि इस बच्ची के इलाज पर काफी रुपये खर्च कर चुके हैं, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है।

पीड़ित बच्ची के घरवाले अब चाहते हैं कि चाहे कुछ भी हो, लेकिन दोषियों को कड़ी सजा मिले। अगर अब आरोपी लड़के अदालत में खुद को नाबालिग साबित करने में जुटे हैं। लड़कों की असल उम्र के बारे में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने माना है कि लड़कों ने दसवीं का जो सर्टिफिकेट जमा किया है, मगर बच्ची के पिता का दावा है कि वह प्रमाणपत्र पूरी तरह फर्जी हैं और सही उम्र का पता लगाने के लिए उनकी मेडिकल जांच करानी होगी।

सीवान के जिला जज ने भी दसवीं के सर्टिफिकेट की जांच के आदेश जारी किए। लेकिन आरोपी लड़कों के परिवार वालों ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि दसवीं के सर्टिफिकेट सही हैं इसलिए उन्हें माना जाए। अशरफ ने काफी दर्दभरे अंदाज में बताया कि बेटी पर हुए हमले से वे सब पूरी तरह टूट चुके हैं लेकिन जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, लड़ाई जारी रहेगी।

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