सोडोमी: भोगा तो सबने, बताता है सिर्फ कुमार सौवीर

दोलत्ती

: गरीब देशों में लडकों से यौन-दुराचार एक डरावना सच है : अधिकांश लोग भुगतते हैं, मगर बताता कोई नहीं : जीभ-लिंग 4 :
कुमार सौवीर
लखनऊ : (गतांक से आगे)। और उसके सातवें दिन ही अखलाक हुसैन की लाश दिल्ली के मेट्रो रेलवे स्टेशन के नीचे बरामद हुई। पोस्टमार्टम में पता चला कि अखलाक ने आत्महत्या कर ली थी।
आप सोडोमी का मतलब समझते हैं? लडकों के प्रति होने वाला यौन-दुराचार। पूरी दुनिया के बारे में तो ज्यादा जानकारी मेरे पास नहीं है, लेकिन कम से कम दक्षिण एशिया के उन देशों के बारे में इतना तो मैं कह ही सकता हूं कि इन विकासशील या गरीब देशों की हालत इस मामले में बेहद दयनीय और दर्दनाक भी है। इतना समझ लीजिए कि हालत भयावह है। मेरा अनुमान है कि एक बडी तादात उन लडकों की होती है, जिनके सोडोमाइज्ड किया जा चुका होता है। कहने की जरूरत नहीं कि यह एक भयावह अनुभव होता है, जो जीवन भर किसी भी व्यक्ति को टीसता ही रहता है। उसका मनोवैज्ञानिक विकास अगर कुंद न भी हुआ होता है, तो भी उसमें मनो-विकत्रति तो आ ही जाती है।

यह ऐसा अनुभव होता है जिसे कोई बता भी नहीं पाता और जीवन भर घुलता ही रहता है। इक्का-दुक्का लोग ही अपने ऐसे अनुभवों को जग-जाहिर करने का साहस दिखा पाते हैं। और मुझे गर्व है कि कुमार सौवीर में ऐसा दम-खम और साहस मौजूद है। और यही वजह है कि मैं पीडित लोगों के घावों पर मलहम लगा सकता हूं।
अखलाक की दर्दनाक कहानी सुनाने का मकसद मेरा सिर्फ इतना ही है कि मैं चाहता हूं कि लोग बोलना शुरू करें। अपने प्रति हुए अपमान या पीडा पर चर्चा करने का साहस जुटायें। दरअसल, यह बोलना ही तो मनुष्य का दैवीय गुण है। वह बोल कर अपने हर्ष, पीडा, उत्साह, आनंद और घणा का प्रदर्शन कर सकता है। हां, अपने अपमान का भी। लेकिन हमारे आसपास के अधिकांश लोग बाकी भावों को खुल कर बोल पडते हैं, लेकिन अपने साथ हुए अपमान को छिपा ले जाते हैं। जीवन भर। महिलाएं तो इस मामले में अव्वल होती हैं। वे ऐसे अपमानों को जीवन भर ढोने पर मजबूर होती हैं, जिनमें उनके भविष्य पर प्रभाव पड सकता हो।
मुनि और ऋषि का जीवन एक-दूसरे के धर्म के मामलों में अधिकांशत: अलग-अलग ही होता है। मुनि का धर्म होता है सोचना, मनन करना। यानी अकर्मक क्रिया। जबकि ऋषि का धर्म मूलत: सकारात्मक क्रिया पर आधारित होता है। इसीलिए बेहतर तो यह हो कि हम पहले मनन करें, और उसके बाद तत्काल ऋषि-धर्म का पालन कर लें। मान और अपमान के संदर्भ में यह बहुत जरूरी होता है। अपने अपमान पर अगर आप खामोश रह गये तो आपका दिमाग फिरने लगेगा। किसी भी काम में मन ही नहीं लगेगा। घूम-घूम कर आपको वही घटनाएं याद आना शुरू हो जाएंगी, जिनसे आप उदिध्न हो जाते हैं। हर्ष गायब होने लगेगा, और नैराश्य की संकरी-तंग गलियों में आपका दम घोंटने लगेगा। अवसाद हावी हो जाएगा। फिर अन्तत: पराजय और उसके बाद मौत। अक्सर तो जिन्दा लाश बन जाता है ऐसा इंसान।
ऐसी हालत में आपको चाहिए कि आप उन सारी घटनाओं को भूलना शुरू करें। और ऐसा भूलना तब ही मुमकिन होगा, जब आप अपने साथ हुए ऐसे व्यवहार पर किसी से जाहिर करें, या फिर जग-जाहिर कर दें। भले ही वह अपमानजनक हादसा आपके साथ किसी ने किया हो, या फिर खुद आपने ही किसी को कभी अपमानित किया हो। और जब तक आप ऐसा नहीं करते हैं, आपके दिल में वह दर्द, टीस और कसक रह-रह कर आपको बेहाल करता ही रहेगा। अधिकांश मामलों में तो ऐसा अव्यक्त दर्द पीडित व्यक्ति के पूरे व्यक्तित्व को ही बर्बाद करने लगता है।
याद रखियेगा, जब तक आप अपने साथ हुए ऐसे व्यवहार को लेकर अपने मित्रों सार्वजनिक कर उस पर चर्चा नहीं करेंगे, आपकी जिन्दगी तबाह ही होती रहेगी। लेकिन जिस भी क्षण आपने उसे चर्चा शुरू कर दी तो समझ लीजिएगा कि आपका वह दर्द आपका नहीं रह जाएगा, बल्कि पूरे समाज के मंथन का विषय बन जाएगा। और आप अपने दिल-दिमाग पर जमे शिला-खण्ड को एक झटके में ही हटा कर भार:शून्य हो जाएंगे।
तो घुट-घुट कर जिन्दगी बर्बाद करने के बजाय हम अपनी जिन्दगी को दोबारा हासिल करने की कोशिश करें। इसी बात पर एक घटना सुन लीजिए, जो बताती है कि किसी भी बात पर खामोश रह जाना कितना भारी हो सकता है। ऐसी घटनाएं आपको रास्ता बताती हैं कि आपको कैसे अपने अपराध बोध को जीतना चाहिए।
अगले अंक में सुनियेगा कि अखलाक हुसैन पर क्या बीती।(क्रमश:)

( पौराणिक गाथाएं को आप खारिज कर सकते हैं, लेकिन उसमें छिपे मर्म को कैसे छिपायेंगे, जो लोगों में साहस भरता है, जोश और स्फूर्ति देता है? शिव और दुर्वासा की कथा इसका सशक्त प्रमाण है। हमने इसी कथा को लेकर यह धारावाहिक श्रंखला बुनी है।
इसके माध्यम से आपके लिए हम एक नया प्रस्‍ताव लाये हैं। आप के जीवन में जो भी कोई खट्टी-कड़वी स्‍मृतियां आपको लगातार कचोटती जा रही हों, आप तत्‍काल उससे निजात हासिल कीजिए। खुद को कुरेदिये, उन घटनाओं को याद कीजिए और उनको सविस्‍तार लिख डालिये। उन घटनाओं को सीधे ईमेल पर भेज दीजिए या फिर वाट्सएप पर भेज दीजिए। आप अगर अपना नाम छपवाना नहीं चाहते हों, तो हमें बता दीजिए। हम आपकी हर याद को आपका जिक्र किये बिना ही प्रकाशित कर देंगे। और उसके साथ ही आपके दिल में छिपा गहरा अंधेरा अचानक समाप्‍त हो जाएगा, और पूरा दिल-दिमाग चमक पड़ेगा। यह लेख-श्रंखला अब रोजाना प्रकाशित होगी। कोशिश कीजिए कि आप भी इस श्रंखला का हिस्‍सा बन जाएं।
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