लखनऊ हाईकोर्ट: अपनी ही छीछालेदर कराते वकील

दोलत्ती

: फैसला कानून और लंतरानी से होगा, तो दिलचस्प ही होगा : शर्मनाक और घटिया सवालों से दो-चार है वकीलों का झगडा : वकीलों का झगडा, किश्त दो :
कुमार सौवीर
लखनऊ : (गतांक से आगे) हाईकोर्ट में बहुत कम ही ऐसे मुकदमे आते हैं, जो खासे दिलचस्प, हंगामाखेज ही नहीं, शर्मनाक मसलों पर होते हैं। लेकिन आजकल हाईकोर्ट एक ऐसे झगडा निपटाने के लिए तारीखें दे रहा है, जिसमें वकील अपनी ही ऐसी की तैसी कराने पर उतारू है, एक-दूसरे की छीछालेदर करने के लिए कमर कसे हैं, और एक-दूसरे के चेहरे पर न जाने कौन सा नकाब नोंचने पर आमादा हैं। खास बात तो यह है कि इस मामले में एक पक्ष खुद में ही एक बडा चैम्बर माना जाता है, जबकि दूसरा पक्ष को सतीशचंद्र मिश्र चैम्बर का सदस्य कहलाता है।
यह मामला है अवध बार एसोसियेशन में गैरकानूनी संचालन, विश्वास का संकट और लाखों रूपयों की बेईमानी का। एक पक्ष का कहना है कि बार एसोसियेशन पूरी तरह कानूनी काम कर रही है, और कहीं भी कोई गडबड नहीं है, लेकिन दूसरी ओर हाईकोर्ट की फिजां में फैली चर्चाओं के अनुसार एसोसियेशन का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है, लेकिन उसे गैरकानूनी तरीके से चालू रखने की साजिशें चल रही हैं। दोनों ही पक्ष इस मामले पर अपने वैधानिक मंच पर बातचीत करने के बजाय सीधे अदालत तक पहुंच गये हैं। लेकिन हैरत तो सबसे ज्यादा इस बात पर है कि बार एसोसियेशन की एल्डर्स कमेटी के अध्यक्ष ने बार पर आधिपत्य जमायी कमेटी को गैरकानूनी करार दे दिया है।
दोलत्ती संवाददाता ने हाईकोर्ट के कई वकीलों से बातचीत की। अधिकांश वकीलों का कहना है कि प्रशांत चंद्रा आम वकीलों से दूरी बनाये रखते हैं। काफी एरोगेंसी है उनमें। अपने आपको इलीट क्लास का पितामह मानते हैं प्रशांत चंद्रा। मिलनसार तो हरगिज़ नहीं। जबकि कुछ वकील कहते हैं कि उनका यह अभिजात्य भाव उनका खानदानी है, और वे अपने आप आने वालों के साथ खांटी अवधी में बतियाते हैं। प्रशांत चंद्रा के पास जबर्दस्त कानूनी समझ है, परिश्रम है, पैसा है, पहचान है और औरा यानी प्रभामंडल व प्रभाव भी है। प्रशांत चंद्र पर एक आरोप जरूरत लगता है, और वह है बेंच हंटिंग। हालांकि ऐसे आरोप की खुलेआम किसी भी वकील ने आवाज नहीं उठायी। इसके बावजूद लगभग सभी वकीलों का मानना रहा है कि प्रशांत चंद्र बहुत मेहनती, कानून की जबरदस्त समझ रखने वाले और अपटूडेट व्यक्तित्व के स्वामी हैं। अपने आपको टिपटॉप रखना और अपने फार्म हाउस में पार्टियां आयोजित करना उनकी विशिष्ट इच्छाओं में शामिल है। खाने-पीने के शौकीन माने जाते हैं प्रशांत चंद्रा।
दूसरी तरफ अब तक खासे विवादित हो चुके अवध बार एसोसियेशन के अध्यक्ष आनंद मणि त्रिपाठी मिलनसार हैं, लेकिन अध्यवसाय में कमजोर माने जाते हैं। अध्यक्ष से अलग कोई विशेष छवि भी नहीं है। हां, मृदुभाषी हैं, व्यवहार कुशल हैं आनंदमणि त्रिपाठी। लेकिन जिन लोगों से भी दोलत्ती संवाददाता की बातचीत हुई, उनमें से अधिकांश का मानना ही था कि आनंद मणि त्रिपाठी समस्याओं को फेस करने से बचते हैं, डींग हांकना उनका शगल है। और यह शायद उनकी मजबूरी भी। शाकाहारी भोजन और अध्यात्म उनकी विशेषता है।
लेकिन अधिकांश वकीलों को शिकायत इस बात पर है कि आनंद मणि त्रिपाठी ने स्वास्थ्य भवन के प्रकरण पर बहुत गैरदायित्वपूर्ण व्यवहार किया था। नतीजा यह हुआ कि उसके परिणाम स्वरूप उपजी घटनाओं को फेस नहीं किया, मुंह मोड़ किया। स्वास्थ्य भवन में हुई तोड़फोड़ के बारे में कई वकीलों ने बताया कि आनंद मणि त्रिपाठी ने वकीलों को उकसाया था। नतीजा पुलिस ने वकीलों पर लाठीचार्ज किया और वकीलों पर एफआईआर दर्ज कर ली थी। इस पर जब मामला काफी भडका, तो वकीलों ने मदद की गुहार लगानी शुरू की। लेकिन पूरे दौरान आनंद मणि त्रिपाठी का फोन बंद रहा।
प्रशांत चंद्र पर कभी भी पैसे का आरोप नहीं लगा जबकि आनंद मणि त्रिपाठी की कमेटी पर छियालिस लाख रूपयों के घोटाले का आरोप हाईकोर्ट के गलियारों में गूंज रहा है। इतना ही नहीं, हाईकोर्ट की एल्डर्स कमेटी के अध्यक्ष डॉ अशोक निगम ने खुलेआम बेईमानी की हालातों पर उंगली उठाई है। इस पूरे मामले में अशोक निगम खुद भी अपने स्तर पर लगातार पहलकदमी कर रहे हैं। जबकि प्रशांत चंद्र जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता पर पहली बार ऐसा आरोप लगा है कि बेईमान हैं। यह दीगर बात है कि हाईकोर्ट की इस बेंच ने इस कमेंट को अपनी डायरी में दर्ज नहीं किया। लेकिन इस पूरे मामले पर एक अजीब सा विक्षोभ जरूर है।
वजह यहकि आनंद मणि त्रिपाठी ने यह केवल कमेंट ही उछाला है, लेकिन कोई भी तथ्य नहीं पेश कर पाये हैं आनंदमणि त्रिपाठी। जबकि प्रशांत चंद्रा और उनके अन्य साथियों ने एकसुर में और सीधे:सीधे तौर पर आनंद मणि त्रिपाठी की कमेटी पर आर्थिक और नियमावली में आपराधिक हरकत करने का आरोप लगाया है।
चर्चा तो यहां तक चल रही है कि प्रशांत चंद्र की छवि एक माहिर कानूनची वकील के तौर पर है जबकि आनंद मणि त्रिपाठी को अपनी ही बार एसोसिएशन के नियमों का तनिक भी जानकारी नहीं है।

अवध बार एसोसियेशन का झगडा अब सतह पर ही नहीं, बल्कि हाईकोर्ट की दीवारों से बाहर निकल कर दहशत फैला रहा है। इस पूरे मामले पर दोलत्ती लगातार सतर्क है और आपको पल-पल की खबर देने को संकल्पित है।
देखते रहिये www.dolatti.com ( क्रमश: )

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