: लोकतंत्र का सेफ्टीवॉल्व है असहमति बता रहा है सुप्रीम कोर्ट : नरेंद्र मोदी को शिकायत है कि सोशल मीडिया से गंदगी फैलाना समाज के लिए ठीक नहीं : भाजपा और कांग्रेस ही अपना अभियान सोशल साइट्स में जुटे :
कुमार सौवीर
लखनऊ : आज के अखबारों में दो खबरें सुर्खियों में हैं। लेकिन मेरी समझ में ही नहीं आ रहा है कि इनमें से कौन सच है, और कौन सी झूठ। पहली खबर तो सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पर बनी है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच इस समय उन पांच बड़े साहित्यकारों, लेखकों, कवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तरी के मामले को सुन रही है, जिसे मोदी सरकार ने मुल्क के कुख्यात देशद्रोहियों के तौर पर पहचान लिया है। इस बेंच के सदस्य हैं चंद्रचूड़। उन्होंने इस मामले की सुनवाई करते समय साफ लिखा है कि :- लोकतंत्र का सेफ्टीवॉल्व है असहमति
उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान दिया है कि:- सोशल मीडिया से गंदगी फैलाना समाज के लिए ठीक नहीं है।
हैरत की बात है कि सोशल साइट्स को बढ़ाने का अभियान की शक्ल देने में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। करीब तीन महीना पहले ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोशल साइट्स के कार्यकर्ताओं की बम्पर भर्ती की है। एक सूत्र ने बताया कि इस अभियान में करीब दो लाख सोशलसाइट्स सेनानियों को शामिल किया जाएगा। देहरादून में अपने पहले दो दिवसीय शिविर में उन्होंने नये भर्ती सोशल साइट्स कार्यकताओं से बातचीत की थी।
अब सवाल यह है कि गंदगी कौन फैला रहा है और यह भी कि किसकी गंदगी को सकारात्मक सूचना माना जाए और किसकी सकारात्मक सूचना को गंदगी करार दिया जाए। साफ हो चुका है कि सोशल साइट्स में गंदगी फैलाने की शुरूआत और उसे युद्ध-अभियान के तौर पर विकसित करने का आइडिया भाजपा के ही दिमाग की उपज है।