साथी को बचाने के लिये किसी भी हद तक जायेगी पीसीएस एसोसिएशन ?

बिटिया खबर
 : मुजफ्फरनगर के एडीएम रहे पीसीएस अफसर हरीश चंद्र के खिलाफ कार्रवाई वापस लेने के लिये दबाव बना रहा पीसीएस अफसर संघ : सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि 75 वर्षीय कर्नल के साथ मारपीट की थी पीसीएस अफसर हरीश चंद्र ने : अब अपराधियों को भी संरक्षण देगी पीसीएस एसोसिएशन ? :

दोलत्‍ती संवाददाता
लखनऊ : आइएएस अफसरों के सामने दुबक कर चलने वाले पीसीएस अफसर आजकल अचानक दबंग बन निकले हैं। कलेक्टर की तमाम डांट-फटकार-अपमान को खून का घूंट पीकर रह जाने वाले एडीएम-एसडीएम को अपमान महसूस हो रहा है। अपमान इसलिये महसूस हो रहा है की उनका एक साथी जिसने एक गुंडे के माफिक एक 75 वर्षीय बुज़ुर्ग से सरेआम मारपीट की और जिसके साक्ष्य सीसीटीवी में मौजूद हैं, उसके खिलाफ पुलिस ने कार्यवाही कर दी है। 307 यानि की हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज हो चुका है पीसीएस अफसर हरीश चंद्र के खिलाफ। ये बात पीसीएस असोसिएशन को अखर रही है। आखिर एक एडीएम के खिलाफ मुकदमा कैसे दर्ज हो सकता है ? एडीएम को तो गुंडागर्दी का लाइसेंस जो मिला है। वो किसी को मारे-पीटे, गाली-गलैज करे, उससे क्या? ये तो पीसीएस अफसरों का जन्मसिद्ध अधिकार जो है। कई लोग तो इसलिये ही तैय्यारी भी करते हैं की पीसीएस बनकर गुंडई करेंगें और भौकाल बनायेंगें। भले ही आइएएस अफसर हमको जितना चाहें अपमानित कर लें। भले ही प्रमुख सचिव अपने सामने कुर्सी पर बैठने की इजाज़त भी ना दें पर आइएएस अफसरों के खिलाफ कुछ भी नही बोलेंगें। अगर आम जनता ने हमारा विरोध किया तो उसको लतिया देंगें और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवेहलना करते हुए हथकड़ी लगवाकर जेल में डलवा देंगें।
जी हां ! यही हुआ है नोएडा में जहां एक 75 वर्षीय कर्नल के साथ एक पीसीएस अफसर ने पहले तो मारपीट की, फिर उसके बाद उस बुज़ुर्ग को एससी-एसटी एक्ट में फर्जी मुकदमा लिखवाकर जेल में डलवा दिया। बाद में जब सीसीटीवी फुटेज बाहर आई तब सच्चाई का खुलासा हुआ जिसके बाद पीसीएस हरीश चंद्र के फिलाफ धारा 307 में मुकदमा दर्ज करा के जांच शुरू कर दी गई और कर्नल को ज़मानत दे दी गई।
पर ये बात पीसीएस अफसरों को अखर गई की कैसे उनके साथी अफसर को गुंडई करने से रोका गया ? असोसिएशन के पदाधिकारी उमेश प्रताप सिंह एवं पवन गंगवार ने कल मुख्य सचिव को पत्र लिखकर हरीश चंद्र के खिलाफ 307 के मुकदमे पर आपत्ति जताई है।
उनका कहना है की हरीश चंद्र ने एसा कोई भी काम नही किया जिससे 75 साल के बुजुर्ग की जान चली जाती। मतलब उमेश प्रताप और पवन गंगवार के अनुसार एक 75 वर्ष के बुजुर्ग के साथ मारपीट करने से उसकी जान को कोई नुकसान नही होगा। अब मैं ये समझ नही पा रहा हूं की इसे मैं इन अफसरों की मूर्खता समझूं या गुंडई। अगर 75 साल के आदमी के साथ मारपीट करना (जिसकी सीसीटीवी फुटेज भी मौजूद है) इनको छोटी बात लगती है तो मेरी ईश्वर से प्रार्थना है की इनको सद्बुद्धी प्रदान करे और सरकार से अनुरोध है कि ऐसे अफसरों को कभी भी जिले में तैनाती न दी जाये क्यूंकि इनकी हरकतों से लगता है कि इनको सामाजिक व व्यवहारिक ज्ञान बिल्कुल ही नही है।

1 thought on “साथी को बचाने के लिये किसी भी हद तक जायेगी पीसीएस एसोसिएशन ?

  1. वैसे जांच चल रही है जज बनकर निर्णय देने लगे। दुखद

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