महिला कौंसलर से चिकित्‍सा अधीक्षक बोले, रात को मेरे घर आया करो

बिटिया खबर

: हरदोई में एक सीएचसी के अधीक्षक ने अपनी काउंसलर को कुछ ऐसे अभद्र इशारे किये : पिछले 5 महीनों से तनख्वाह से महरूम है महिला कौंसलर : सीएमओ समेत कई अफसरों ने शिकायत सुनी तो, मगर कार्रवाई सिफर : जांच अफसर चाहता है कि अधीक्षक से मांफी मांगे महिला :

कुमार सौवीर
लखनऊ : अगर तुम बीस हजार रूपया नहीं देना चाहती हो तो कोई दिक्कत नहीं। लेकिन तुम्‍हें कुछ न कुछ भुगतान तो करना ही पड़ेगा। पैसा बचाना चाहती हो तो सीधे मेरे घर आ जाया करो। रात के वक्त। कुछ पल मेरे साथ भी बिता लिया करो। फिर आराम से नौकरी करती रहो। परेशान मत हो। मैं अपने घर में अकेले ही रहता हूं।
यह मामला है हरदोई का। यहां एक बड़े कस्बे में उच्चीकृत चिकित्सा केंद्र यानी सीएचसी के अधीक्षक इस समय अपने रंगीले व्यवहार को लेकर चर्चित हैं। अधीक्षक पर यह मोहमत लगाई है उनकी अधीनस्थ एक महिला कर्मचारी ने, जो यहां एड्स-एचआईवी कौंसिलर के पद पर तैनात है। आपको बता दें कि यह अधीक्षक साहब पहले से भी अपनी घूसखोरी वाली प्रवृत्ति को लेकर खासे कुख्यात हैं।
हरदोई के इस सीएचसी पर एक महिला समेत कई अन्य कर्मचारी भी तैनात हैं। यह महिला यहां एड्स काउंसलर के पद पर कार्यरत है। वेतन है केवल 14 हजार रूपल्‍ली। नियुक्ति है संविदा यानी कांट्रैक्ट पर। पिछली अगस्त से इस महिला का वेतन इस अस्पताल के अधीक्षक ने रोक लिया। बिना किसी वजह के। दरअसल अधीक्षक चाहते थे यह महिला अपने वेतन में से तीन हजार रूपया नियमित रूप से हर महीना अदा करती रहे। और इस एवज में यह महिला आफिस आये अथवा अपनी गर्भावस्था के दौरान अपने घर में रहे। चिकित्‍सक अधीक्षक साहब उसकी हाजिरी लगातार मंजूर करते रहेंगे।
अक्टूबर में जब इस महिला को वेतन नहीं मिला तो उसने अधीक्षक से बातचीत की अधीक्षक ने उसे बताया कि अब उसे तीन हजार रूपये के बजाय पूरे बीस हजार रूपयों का भुगतान करना होगा। मिलने के बाद ही उसके दो महीनों का भुगतान किया जाएगा। मतलब यह कि दो महीने के 28 हजार रूपया का भुगतान तब ही होगा, जब महिला चिकित्‍सा अधीक्षक को एकमुश्‍त बीस हजार रूपयों का भुगतान कर देगी।
जाहिर है कि यह महिला इस मांग पर परेशान हो गयी। उसने इतनी बड़ी रकम भुगतान घूस के तौर पर देने में अपनी असमर्थता व्यक्त की। तो अधीक्षक ने उसे एक नया रास्ता सुझाया। चिकित्‍सा अधीक्षक ने इस महिला से साफ-साफ कहा कि अगर वह पैसा नहीं देना चाहती है तो कोई बात नहीं। लेकिन इसके एवज में उसे उसके कमरे पर आना पड़ेगा। वह भी रात के वक्त। चुपचाप। चिकित्‍सा अधीक्षक ने बताया उसके घर में वह अकेला ही रहता है इसलिए परेशान होने की कोई जरूरत नहीं। उसके रात में आने की भनक किसी को भी नहीं लगेगी, और उसका वेतन भी उसे मिल जाएगा।
जाहिर है कि महिला ने चिकित्सा अधीक्षक का यह घटिया और अश्लील प्रस्ताव ठुकरा दिया। लेकिन इसका नतीजा यह हुआ कि अधीक्षक ने उसके हाजिरी रजिस्टर पर दर्ज उसके हस्‍ताक्षरों पर क्रास का निशान लगा दिया। चिकित्‍सा अधीक्षक ने तर्क दिया गया कि वह महिला काउंसिलर तो कार्यालय पर आती ही नहीं है।
कई दिनों की प्रताड़ना के बाद इस महिला कर्मचारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को इस बारे में लिखित शिकायत की और लिखा कि उसे अनावश्यक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इस मामले पर सीएमओ ने एडिशनल सीएमओ को जांच करने के लिए कहा लेकिन एडिशनल सीएमओ ने जांच तो अब तक नहीं की, लेकिन उसे सलाह जरूर दे दी कि इस तरह का झगड़ा-बवाल करने से कोई फायदा नहीं होगा। बल्कि तुम्हारा नुकसान जरूर हो जाएगा। एडिशनल सीएमओ ने इस महिला को सलाह दी कि वह अपनी शिकायत वाली अर्जी वापस ले और अधीक्षक से बिना शर्त माफी मांग ले। उधर इस महिला का आरोप है कि अधीक्षक उसकी संविदा का रिनुअल न करने पर कमर कसे बैठे हैं।
दोलत्‍ती संवाददाता ने जब इस प्रकरण पर बातचीत करने के लिए सीएमओ को फोन किया तो उन्होंने दो बार खुद को मीटिंग में व्यस्त बताते हुए बातचीत करने में असमर्थता व्यक्त कर दी और उसके बाद से उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया। आरोपित चिकित्‍सा अधीक्षक के फोन पर रिंग तो जाती रही, लेकिन फोन नहीं उठाया गया।

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