सियाराम शरण त्रिपाठी: पत्रकार-शिष्‍यों को मालामाल कर गया

बिटिया खबर
: वेतन का बीस फीसदी तक ईनाम बांटते थे सियाराम शरण त्रिपाठी, नए रंगरूटों का पूरा ख्याल रखते थे : प्रमोद जोशी-नवीन जोशी को खूब याद होगा बिरयानी काण्ड : मनोज त्रिपाठी कई अखबारों में संपादक जैसे पदों में रहे :

मनोज तिवारी

लखनऊ : स्वतंत्र भारत’ सिर्फ अशोक जी, योगीन्द्रपति जी, एस एन मुंशी जी जैसे नामों तक ही सीमित नहीं था, बेहतरीन इंसानों की एक लम्बी फेहरिस्त उसके इतिहास से जुडी है I चर्चा सभी नामों की होनी चाहिए पर जो बात मुझे और मेरे आसपास के साथियों को शायद कभी भुलाये न भूले- वह था स्वतंत्र भारत का माहौल I घर से बाहर एक नया घर – बिलकुल अपने घर सा I कम वेतन को लेकर कोई अफ़सोस नहीं रहता था I हम फुरसत के पलों में रेस्त्रां में बैठ कर गप्प मारा करते थे और छुट्टी मिलने पर पिकनिक भी मना लिया करते थे I हर माह के पहले सप्ताह में मुरली नगर (दीपक पाण्डे के घर) दो-एक नॉनवेज पार्टी भी हुआ करती थी I बिरयानी काण्ड प्रमोद जोशी – नवीन जोशी को याद होगा I
तब स्वतंत्र भारत से कई वरिष्ठ पत्रकार अमृत प्रभात जा चुके थे फिर भी छह मुख्य उप सम्पादक बचे थे I तीन पुराने- श्री वीरेंद्र सिंह, श्री सियाराम शरण त्रिपाठी और श्री रमेश जोशी I श्री दिनेश कृष्ण टंडन श्री राजशंकर और श्री गुरुदेव नारायण हमारी भर्ती के बाद पदोन्नत हुए थे I इनमे श्री सियाराम त्रिपाठी और जोशी जी ये दो शख्स हम नए रंगरूटों का पूरा ख्याल रखते थे I उनकी कोशिश रहती थी कि हम जल्दी से जल्दी अख़बार का सारा काम सीख कर पारंगत हो जाये I श्री रमेश जोशी भी कुछ समय बाद समाचार संपादक का पद पाकर अमृत प्रभात चले गए I सियाराम जी पत्रकारों के राष्ट्रीय स्तर के नेता होने के साथ बहुत उम्दा पत्रकार थे I दीपक पाण्डे, नवीन जोशी और मैं उनकी पसंदीदा सूची में सबसे ऊपर थे I तब उनका वेतन बहुत रहा होगा तो 1500 रूपये प्रतिमाह I अक्सर वह किसी महत्वपूर्ण खबर का शीर्षक लगाने या इंट्रो लिखने के लिए हम तीनों के बीच प्रतियोगिता कराते – जिसका सबसे अच्छा होगा उसको मिलेंगे दस रूपये I

दीपक अपने सपनों में खोया रहता था I उसका पहला सपना कि जिस दिन वेतन चार अंकों का (यानी एक हज़ार रूपये से अधिक) होगा शादी करूँगा और दूसरा विदेश जाना है I तो प्रतियोगिता मेरे और नवीन के बीच सीमित रहती थी I आप विश्वास करेंगे कि पन्हद्र सौ रूपये वेतन पाने वाले सियाराम जी हर महीने सौ-डेढ़ सौ और कभी दो सौ रूपये इसी मद पर खर्च कर देते थे I रुपया मुझे मिले या नवीन को, मौज हमारी पूरी टीम की होती थी I ऐसे शिक्षक कहाँ मिलते हैं?
उसी दौरान हमारे सहायक समाचार संपादक होते थे श्री शम्भुनाथ कपूर I वह पत्रकार कम अभिभावक अधिक थेI उनके प्रमुख काम थे ड्यूटी लिस्ट बनाना/ अशोक जी की कार के आने की सूचना सम्पादकीय विभाग तक पहुँचाना / हर सप्ताह स्पोर्ट्स पर एक लेख लिखना और समाचार संपादक श्री चंद्रोदय दिक्षित जी के साथ रोज़ दोपहर में काफी हॉउस जाना I मगर उनकी एक आदत निराली थी I पूरा ध्यान रखते थे कि कोई साथी अस्वस्थ तो नहीं है I किसी बन्दे का हाथ अगर उन्हें गरम लगा तो तुरंत उसको घर भगा देते यह कह कर कि हाज़िरी रजिस्टर पर हस्ताक्षर करते जाना और स्वयं उसकी जगह काम करने बैठ जाते थे I स्वप्नदृष्टा दीपक पाण्डे ऐसी दो छुट्टियों का आनंद उठा चुका था और फिर जुगाड़ में लगा रहता था I एक बार दीपक को ‘किसी खास’ से मिलने जाना था I कपूर साहब के आते ही बोला सर, आज बदन बहुत टूट रहा है I कपूर साहब ने कुछ पल दीपक को देखा, अपने कक्ष से आठ-दस पेज की कोई अंग्रेजी रिपोर्ट उठा लाये और दीपक को थमा कर बोले जाओ तुम लाइब्रेरी में आराम से बैठ कर इसका अनुवाद करो I
बेचारा दीपक पाण्डे ! खैर आगे चल कर उसी ‘खास’ (के0जी0एम0सी की छात्रा) से दीपक का विवाह हुआ और वह विदेश भी जा बसा I

(चालीस बरस पुरानी यादें ताजा कर रहे हैं मनोज तिवारी। नवीन जोशी और प्रमोद जोशी के साथ मनोज तिवारी भी स्‍वर्गीय सियाराम शरण त्रिपाठी के प्रमुख शिष्‍य थे, जो बाद में देश के प्रमुख और नामचीन अखबारों में प्रमुख पदों में अपनी धाक जमाये रखे। बाद में कई अखबारों में संपादक जैसे पदों में रहे।)

2 thoughts on “सियाराम शरण त्रिपाठी: पत्रकार-शिष्‍यों को मालामाल कर गया

  1. जय हो इनके जैसा व्यक्ति इस धरती पर कभी-कभी जन्म लेते हैं और अपने कर्म काण्ड को दुनिया के लोगों के समझने के लिये छोड़ कर चले जाते है।

  2. कौन कहता है कि सियाराम शरण त्रिपाठी अब इस दुनियां में नहीं हैं ?
    जिसको भी सियाराम शरण त्रिपाठी की हूबहू परछाइयाँ देखनी हो तो वह उनको आपके रूप मे या कहें तो kumar Sauvir के रूप मे देख सकता है

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