हाईकोर्ट: भोंसले गये, पर विवादों की चिंगारी भड़कने को तैयार

बिटिया खबर
: लखनऊ के जिला जज रहे राजेंद्र सिंह को है अब उचित समय पर उचित प्‍लेटफार्म की खोज : गायत्री प्रजापति की जमानत को लेकर भड़के विवाद पर भोंसले ने राजेंद्र को कोलेजियम से हटाया था :

कुमार सौवीर
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश डीबी भोंसले कल सेवानिवृत्‍त हो गये। लखनऊ हाईकोर्ट में सुबह उनको लेकर फुल कोर्ट रिफरेंस सम्‍पन्‍न हुआ और उसके बाद वे इलाहाबाद चले गये, जहां उनकी विदाई की रस्‍म निभायी गयी। लेकिन इसके बावजूद ताजा हालात यह है कि डीबी भोंसले को लेकर विवाद की चिन्‍गारी अभी भी सुलग रही है। कई विवादों को लेकर डीबी भोंसले की घेराबंदी चल रही है।
ताजा विवाद तो लखनऊ के जिला जज रहे राजेंद्र सिंह ने खड़ा कर दिया है। हालांकि उन्‍होंने भोंसले को लेकर अपनी तल्‍खी को केवल संकेत तक ही सीमित किया है, लेकिन तय है कि वह अपने प्रति हुए व्‍यवहार पर खामोश नहीं रहेंगे। उन्‍होंने फेसबुक पर लिखा है कि इस प्रकरण पर वे जल्‍द ही समुचित समय पर हस्‍तक्षेप करेंगे। उन्‍होंने लिखा है कि:- विरोध उचित प्लेटफार्म पर। थोड़ा इंतेज़ार कीजिये ।
आपको बता दें कि सपा सरकार में खनन माफिया के नाम से कुख्‍यात खनन मंत्री गायत्री प्रजापति को जमानत दिये जाने को लेकर डीबी भोंसले ने जमानत देने वाले जज को सस्‍पेंड किया था। उनका आरोप था कि इस मामले में करोड़ों रूपयों की घूस खायी गयी थी। इतना ही नहीं, भोंसले ने इस मामले में राजेंद्र सिंह को भी लपेट लिया था और उन्‍हें लखनऊ के जिला जज पद से हटा कर चंदौली भेज दिया था। इतना ही नहीं, भोंसले ने राजेंद्र सिंह के नाम उस कोलेजियम सूची में दर्ज की गयी सूची से राजेंद्र का नाम हटवा दिया था, जिसमें राजेंद्र सिंह को हाईकोर्ट के जज के पद पर पदोन्‍नत किया जाना था। इस के बाद से ही राजेंद्र सिंह का न्‍यायिक कैरियर हमेशा-हमेशा के लिए खत्‍म हो गया था।
दरअसल, राजेंद्र सिंह ने कल शाम को ही एक पोस्‍ट डाली थी। इसी को लेकर चर्चा बढ़ गयी। राजेंद्र ने लिखा था कि:-
At Last .
Gone with the wind.
इस पर बहस शुरू हो गयी। आइये, देखिये कि इस पर लोगों की प्रतिक्रियाएं क्‍या और कैसी रहीं। इतना ही नहीं, इस पर राजेंद्र सिंह का रवैया क्‍या रहा।
Purnendu Srivastava : Everyone has to go but some forget this.
Kumar Sauvir : विरोध को संकेत नही, आवाज़ की जरूरत होती है सिंह साहब।
जीवन के इस मोड़ में हुए अपने इस अपमान के खिलाफ अगर आप जैसे वरिष्ठ न्यायाधिकारी भी अगर चुप रहे, संकेत में कायरता का प्रदर्शन करते रहे , तो यह आपके जीवन भर की संचित कायरता की निधि ही मन जाएगा।
आपको ही तय करना है कि आप कायर ही बने रहना चाहते हैं, या अन्याय के खिलाफ जंगजू।
Sri Prakash : Very true
Kumar Sauvir : और सच बात तो यही है, कि आप जैसे निरीह बेरोजगार जजों से मैं जैसा बेरोजगार पत्रकार लाख नहीं, करोड़-अरब-खरब गुना होता है, जो कम से कम अपनी आवाज का दमन तो नहीं करता ।
ऐसे में सवाल यह है कि मैं किसको पराक्रमी या योद्धा मानूं?
मालामाल कायर को, या फिर अशक्त योद्धा को ?
राजेन्द्र जी, मेरे पास पाने का मौका होता है, मगर जूझता हूं। मगर आप सब कुछ खोकर भी गुपचुप पलायन कर के सिर्फ संकेतों में ही शेर मारते हैं।
दुख है मुझे
Rajendra Singh : Just wait for some time .
Rajendra Singh : विरोध उचित प्लेटफार्म पर। थोड़ा इंतेज़ार कीजिये।

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