जेल भेज दो, पर धेला तक नहीं देंगे: श्रीश्री रविशंकर

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: आर्ट ऑफ गुण्डई के समर्थन में आ गया आर्ट ऑफ दलाली : इस विवादों के बावजूद नरेंद्र मोदी शामिल होंगे बाबा के धंधे में : उजाला, हिन्दुस्तान ने छापा, जागरण गाने में जुटा प्रशस्तिगीत :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आर्ट ऑफ लिविंग के बड़का दूकानदार श्रीश्री रविशंकर अब बाकायदा गुण्डागर्दी की कला सिखाने के मिशन में लग गये हैं। उधर मीडिया के एक बड़े हिस्से को यह सारा गोरखधंधा दिखायी ही नहीं पड़ रहा है कि जुल्फी बाबा ने पूरे देश, सरकार और पूरी व्यावस्था को ठेंगा दिखाया है। अमर उजाला और हिन्दुस्तान जैसे अखबार इस खबर पर संजीदा दिख रहे हैं, लेकिन दैनिक जागरण को यह घटना ही नहीं दिखायी पड़ी।

यमुना नदी के संरक्षित क्षेत्र मं घुसपैठ और वृक्षों की बेतहाशा कटाई जैसी जघन्य आपराधिक कार्रवाई पर जब राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यू्नल ने हस्तक्षेप किया, तो यह जुल्फी बाबा अब किसी सड़कछाप गुण्डे की तरह धमकियां देने पर आमादा हैं। ट्रिब्यू‍नल ने पांच करोड़ का जुर्माना लगाया, तो रविशंकर ने सरकार की एनजीटी को ठेंगा दिखाते हुए ऐलान कर दिया कि वे अब धेला भर नहीं देंगे, भले ही उन्हें जेल भेज दिया जाए। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविशंकर के इस बयान के बावजूद उस कार्यक्रम में रविशंकर का चरण-चांपने का फैसला किया है।

अब तो यह स्पष्ट होता जा रहा है कि रविशंकर ने इस कार्यक्रम को राजस्थान, यूपी और हरियाणा के जातीय आंदोलन से प्रेरणा ली है। तेवर ठीक वैसे ही हैं, जैसे हरियाणा में सेना को बुलाने की कवायद छेड़नी पड़े। दिल्ली के पर्यावरण को लेकर हुए हंगामे पर ट्रिब्यू्नल की पीठ ठोंकने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला किया है। दिल्ली  के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। आपको बता दें कि राष्ट्रपति ने इस विवाद की पहली बयार बहते ही खुद को इस कार्यक्रम में शामिल करने से इनकार कर दिया था। यह कार्यक्रम आज शुक्रवार की शाम से शुरू होगा और तीन दिनों तक चलेगा।

अब जरा इस कार्यक्रम को लेकर मीडिया के रवैये पर एक नजर डाल लीजिए। सभी चैनल इस कार्यक्रम को लेकर झमाझम नगाड़े बजा रहे हैं, मानो उनके ही बेटे की शादी होने वाली है। अमर उजाला ने इस इस बेहद सनसनीखेज कार्यक्रम पर लाजवाब प्रस्तुति दी है। आज के अखबार में आर्ट ऑफ गुण्डागर्दी की खबर सर्वोच्च प्राथमिकता पर है। दो बड़े-बड़े हिस्सों  में छापी गयी इस खबर के एक हिस्से में एनजीटी की कार्रवाई का तस्करा है, जबकि दूसरे हिस्से में रविशंकर की भभकी-धमकी छापी गयी है, जिसमें रविशकंर ने कहा है:- जेल चले जाएंगे, एक पैसा नहीं देंगे: श्री श्री। हिन्दुस्तान ने इसे पहले पन्ने पर छापा जरूर है, लेकिन सिंगल कॉलम में, मानो बला टाल लिया। खबर में तवज्जो टीएनजी के फैसले पर नहीं, रविशंकर की सफाई पर है।

लेकिन दैनिक जागरण तो रविशंकर के इस कार्यक्रम को लेकर बाबा के प्रति अगाध श्रद्धावनत हो गया है, कि इस विवाद को सुन ही नहीं पाया। आंखों पर पट्टी बांधे किसी बांका घोड़ा की तरह जागरण को रविशंकर के कार्यक्रम को लेकर चल रही जंग को सुनने से इनकार कर दिया। पहले पन्ने के आखिरी लम्बी  खबर में जागरण ने क्या हेडि़ंग लगायी है, आप भी निहार लीजिए।

वसुधैव कुटुंबकम की बहेगी बयार

 

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