डाकुओं की चंबल या दैव-सरिता ताप्ती!

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

मां ताप्ती जागृति मंच ने भाजपा को घेरा

एमपी का गौरव कौन चम्बल या ताप्ती!

निर्दोषों के खून से नहाई या शांति संदेशवाहिनी

मध्यप्रदेश की फिजां में अब एक ताजा सवाल तैरने लगा है। यहां की आम जनता के दिल और जुबान पर अब एक ही सवाल है। और वह यह कि किस नदी को प्रदेश का गौरव माना जाए। उसे जो डाकुओं की गोली से आम निर्दोषों के खून की होली से नहाई हुई है या फिर वह जो इस पूरे क्षेत्र में सम्माोन की निगाह से पूज्यई ताप्तीज के नाम से जानी जाती है।

हालांकि इस तर्क की आलोचना की जा सकती है, लेकिन लोग तो अब यहां तक कहने लगे हैं कि काश, बैतूल जिले की माटी में भी चम्बल का खून होता। उनके कहने का मतलब यह होता है कि अगर ऐसा होता तो अब तक मांग के स्तहर पर ही चल रही बोली से नहीं, तो गोली से ही सही, कोई तो बैतूल की माटी को इंसाफ दिला पाता !

भौगोलिक तौर पर देखा जाए तो बैतूल जिले की लगभग बीस लाख जनसंख्या आज एक ही सवाल उठा रही है कि मध्यप्रदेश का गौरव आखिर कौन है !

ताप्ती या चम्बल !

इस सवाल को बकायदा बैतूल की जनता की ओर से मां ताप्ती जागृति मंच ने प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान, भाजपा के राष्ट्री य महासचिव नरेन्द्र सिंह तोमर , प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा और बैतूल जिला भाजपा अध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल से किया गया है। हालांकि अब तक अपंजीकृत परन्तुष स्थांनीय आस्थााओं का झंडा पूरी मजबूती के साथ्‍ उठाये संगठन और सूर्यपुत्री मां ताप्ती की महिमा को जन-जन तक पहुंचाने वाले मां ताप्ती जागृति मंच ने यह सवाल उठाया है।

मंच ने पूछा है कि उक्त भाजपा नेता यह बतायें कि मध्यप प्रदेश का गौरव कौन है। मंच का कहना है कि अब यह समय का तकाजा है कि प्रदेश भाजपा बताये कि क्याह कुख्यामत फूलन देवी,  मानसिंह, मंगलसिंह, मलखान सिंह, माधोसिंह या सीमा परिहार की शरणगाह रही चम्बल इस प्रदेश की पहचान है या भगवान श्रीराम के पितरों का तर्पण करने वाली, महान योद्धा, भीष्म  पितामह, धर्मराज युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम के कुल संस्थापक राजा कुरू के माता-पिता,  दानवीर कर्ण की बहन मां ताप्ती है। मंच ने जानना चाहा है कि सरकार और पार्टी बताये कि संत गुरू नानक देव,  महान योद्धा तात्या टोपे, महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी ने जहां पर अपना तर्पण-समर्पण-अर्पण किया, वह पुण्य सलिला ताप्तीा नदी है या रक्तरंजित चम्बल जहां पर आज तक कोई भी ऐतिहासिक-धार्मिक-महान राजनैतिक है जिसने चम्बल में जाकर तप-तप किया हो। मंच का सवाल है कि डाकू और महात्मा में भाजपा यह फर्क तो बताये कि आखिर वह है किसके साथ !

मंच का कहना है कि आज प्रदेश सरकार प्रदेश के गौरव में ताप्ती को शामिल नहीं करती है तो वह सरकार रावण की बहन सुर्पनाखा है, जोकि अपनी जिद के लिए अपनी नाक तक कटवा बैठी थी। मंच नेताओं के अनुसार प्रदेश सरकार रामराज्य-स्वराज-सूराज लाने का दंभ भरती है लेकिन वह तो भगवान श्री राम के कुल संस्थापक भगवान सूर्य नारायण की बेटी मां ताप्ती से ही बैर रखती है। क्योकि वह ताप्ती की महिमा और नाम से इतना डरती है कि उसे नरेन्द्र सिंह तोमर एवं प्रभात झा की कर्मभूमि चम्बल के इतिहास की कालिख को छुपाना चाहती है। चम्बल की रक्त रंजित भूमि को मानसम्मान दिलवाने वाली भाजपा आज उस बैतूल की माटी को भूल गई जहां पर गजन, विष्णुन, बीरसा जैसे महान भारत की आजादी के योद्धा जन्मे थे। इतिहास और  पुराणो तथा पुरातत्व के अवषेशो को दरकिनार कर प्रदेष की सरकार यदि सूर्य पुत्री मां ताप्ती को प्रदेष के गौरव में षामिल नहीं कर सकती तो फिर बैतूल जिले की भाजपा सासंद श्रीमति ज्योति धुर्वे, विधायक अलकेष आर्य, चैतराम मानेकर, श्रीमति गीता उइके एवं पूरे भाजपा संगठन और प्रकोश्ठ के नेताओं को चुल्लु भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिये क्योकि कायर-डरपोक-मुकबहिर- मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियो को जनप्रतिनिधि कहलाने का कोई हक नहीं बनता.

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *