आईटीआई के डीजीएम की बेटी 17 दिनों तक अपहृत रही
: अंधेर है जलदस्यु ! लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूं(2) : अखिलेश के गिरोह में 22 गाडि़यां और 41 स्वचालित असलहे : राकेश पाण्डेय की हत्या ने बिगाड़ा रायबरेली में जातीय समीकरण :
रायबरेली : ( गतांक से आगे- अंक-2 ) इसके बाद सन-92 में इकबाल हैदर की हत्या में भी अखिलेश सिंह का नाम जुड़ा। इसके बाद तो पुत्तन ओझा, शिकांत शुक्ला, राकेश पांडे, रामेश्वर उर्फ मंगल पांडे समेत कई लोगों की हत्या अखिलेश सिंह की फेहरिस्त में जुड़ी। रामेश्वहर उर्फ मंगल पांडे की हत्या तो मिल एरिया थाना के परिसर में दिनदहाड़े हुई थी। इतना ही नहीं, इस रंजिश में जातीय रंग भी चढ़ गया। अखिलेश के एक समर्थक का कहना है कि धुन्नी सिंह की हत्या का बदला लेना अखिलेश का मकसद हो गया। लेकिन इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्री के उप महाप्रबंधक रमेश गुप्ता का क्या दोष था जब फिरोज गांधी डिग्री कालेज में बीएससी की छात्रा उसकी बेटी का अपहरण कर लिया गया था। पुलिस के अपराध संख्या 870-87 में दर्ज इस रिपोर्ट में इस लड़की के अपहरण का ब्योरा है। घटना के 17 दिन बाद लड़की तब बरामद हुई जब अखिलेश सिंह ने उससे शादी का ऐलान किया। हालांकि बसपा के एक एमएलसी का दावा है कि यह परस्पर प्रेम का मामला था, जो विवाह से सम्पन्न हो पाया। इस एमएलए का सवाल है कि प्रेम करना किसी का अधिकार है, और अखिलेश ने अपने इस अधिकार का प्रयोग किया है। हां, दिक्कत यह रही कि यह प्रेम का प्रदर्शन निजी नहीं, बल्कि सार्वजनिक हो गया और कतिपय कारणों के चलते अथवा साजिशों के चलते अपराध से जुड़ गया।
कुछ भी हो, उधर कई लोग बताते हैं कि यह पूरा का पूरा कांड ठीक उसी तरह हुआ, जैसे जयशंकर प्रसाद की कालजयी रचना आकाशदीप थी। आकाशदीप की नायिका ने भी अपनी बदहाली से त्रस्त होकर आखिरकार जलदस्यु से कह दे ही दिया था कि:- अंधेर है जलदस्यु ! लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूं। आखिरकार इस नायिका के पास कोई दूसरा चारा थी भी नहीं था ना। इस आकाशदीप की इस नायिका का वह आर्तनाद में कल और आज के बीच वही आर्तनाद-पीड़ा रही जो आज की इस नाटिका में मौजूद है। हकीकत तो यह है कि आकाशदीप की नायिका ही नहीं, बल्कि वहां के प्रत्येक अभिनेता मानते थे कि जल-दस्यु अपराधी है, और आज रायबरेली में जनता इसी नाटिका में फिर इसी कथानक वाले अभिनेताओं की भूमिका में है।
अखिलेश की हकीकत देखना चाहें तो रायबरेली के विधायक मनोज पांडेय से मिलिये। वे बताते हैं कि इसके बाद से ही अखिलेश पर प्रशासन की भृकुटी टेढ़ी होने लगी। राकेश पांडेय की हत्या जब घर में घुसकर की गयी तो हाईकोर्ट तक सख्त हो गया। हुआ यह कि तब तक भगोड़ा रहे अखिलेशसिंह की जमानत पहले खारिज और फिर मंजूर हुई तो हाईकोर्ट में तब के जज शैलेंद्र सक्सेना ने 12 जनवरी-05 को अखिलेश को जघन्य, क्रूर अपराधी मानते हुए लिखा कि रायबरेली में अपराध लघु उद्योग बन गया है। राजनीतिक दल ऐसे समाज के दुश्मनों की मदद कर अपराध कैंसर बना रहे हैं।
जज ने मुख्य सचिव, जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से कहा कि ऐसा माहौल बनायें ताकि आतंक खत्म हो और इसके लिए ठोस योजना और कड़े कदम उठाये जाएं। बहरहाल, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के चलते एक अपर जिला जज, 4 सीओ, नैनी जेल का जेलर और 12 सिपाही बर्खास्त हुए और एक अपर जिला जज निलंबित है। पुलिस का दावा है कि अखिलेशसिंह गिरोह में 22 गाडि़यां और 41 असलहे हैं जिनमें 22 स्वचालित हैं। यह शायद न्यायिक इतिहास का पहला मौका होगा जब हाईकोर्ट के किसी जज ने किसी मामले में इतना सख्त रवैया अख्तियार किया होगा। अब यह दीगर बात रही है कि इस मामले में इन सारे न्यायिक अधिकारियों को तो दंडित कर दिया गया था, लेकिन अखिलेश सिंह आज भी बदस्तू्र मौजूद हैं। इसके बावजूद कि उनके सूरज की तपिश खासी कम-ढीली हो चुकी है, लेकिन किसी के सामने तो किसी की भी आंखों को चुंधियाने भर की तो है ही। ( जारी )
अगर आप अखिलेश सिंह के सम्बन्धित तीनों एपीसोड को देखना-पढ़ना चाहें तो कृपया क्लिक करें:- जलदस्यु ! मैं तुम्हें प्यार करती हूं
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