: मैं भी बनूँगा छक्का, बरास्ते जुल्फी समुदाय : जुल्फी प्रशासन और सरकार है असली छक्का :
कुमार सौवीर
लखनऊ : असली मर्दानगी तो छक्कों में पायी जाती है।
जिंदगी का यह सुपरहिट फलसफा मेरे जेहन में अब पूरी तरह से समझ आ गई है। इसीलिए तो, मैं अब अपनी दाढ़ी बढ़ा रहा हूँ, सर के बाल भी बढ़ा रहा हूँ। मूंछों से होंठों को ढंकने की जुगत में हूँ। जल्दी ही प्रवचन भी शरू कर दूंगा। स्वामी और गुरुदेव का उपनाम तो मुझे मिल ही चुका है। अब आप पाएंगे कि मेरी भाव-भंगिमा रफ्ता-रफ्ता स्त्रैण होती जायेगी। आप लोग मेरे ऐसे स्त्रैण लोगों को मेहरा, सीला, ढीला, लिबलिब, लिजलिजा या मजाक में छक्का के तौर पर पहचानना शुरू कर देंगे।
तो ऐसा है मेरे दोस्त ! छक्का-पन का गुण केवल ब्यूरोक्रेसी में ही नहीं होता है। अब तो बाबा-स्वामी लोग भी छक्का बनने में अपना राष्ट्रीय गुण समझते और अख्तियार कर लेते हैं। जैसे जुल्फी बाबा या फिर जुल्फी अफसर।
तो कुल बात यह कि फिर मैं भी जल्दी ही मुकम्मल छक्का हो जाऊंगा। क्योंकि तब तक मुझ छक्के बाबा के समर्थक-छक्कों की संख्या बढ़ जाएगी। फिर मैं यमुना नदी के संरक्षित क्षेत्र में अपना एक नौटंकी-उत्सव मनाऊंगा, जिसका नाम रखूँगा:- आर्ट आफ गुंडागर्दी।
इस समारोह के लिए इस संरक्षित इलाके में सैकड़ों पेड़-संहार करूँगा। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे लोगों को सर के बल बुलाने पर मजबूर कर दूँगा। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के एक जस्टिस की अगुआई वाला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल मुझ पर इस दुष्कर्म का दोषी मान कर मुझ पर पांच करोड़ रुपयों का जुर्माना ठोंक देगा।
फिर मैं चमत्कार करूँगा। अपने छक्कात्मक चोले से एक टनाटन्न मर्द निकालूँगा और जोरदार दहाडूंगा:- “हिम्मत हो तो जेल भेज दो। मगर एक धेला तक नहीं दूंगा। जो चाहो, उखाड़ लो।”
उपसंहार:- जो पुरुष होता है, वो मर्द नहीं होता है। और जो छक्का होता है, वो असली मर्द होता है। देख लीजिये न, कि खासकर यूपी में बर्बर बलात्कार और नृशंस हत्याएं होती हैं, कोई भी पुरुष हाथ बांधे बैठ रहता है। जौनपुर में किशोरी से सामूहिक बलात्कार होता है, जुल्फी-प्रशासन उसकी रिपोर्ट दर्ज कर जांच के बजाय उसे पागलखाने भेज दिए जाने की साजिश करता है, मगर एक भी पुरुष अपनी मर्दानगी का प्रदर्शन करते हुए चूं तक नहीं करता है।