हटो, बचो। निकल रही है हिन्‍दुस्‍तान अखबार की शवयात्रा

मेरा कोना

: ऐसा कत्‍तई लगता ही नहीं कि एक जिम्‍मेदार पत्रकार ने यह साक्षात्‍कार लिया : केंद्रीय मंत्री रविशंकर सिंह का निहायत मूर्खतापूर्ण इंटरव्यू लिया है शशिशेखर और निर्मल पाठक ने : जब शीर्ष पर जमे समूह सम्‍पादक ऐसी हरकत करेंगे तो फिर छोटे पत्रकारों से क्‍यों शिकायत : शशिशेखर ने रविशंकर का इंटरव्यू नहीं लिया, खुश किया है, लेकिन क्‍यों :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अधिकांश हिन्‍दू महिलाएं अपने व्रत-उपवास और धार्मिक अनुष्‍ठान का उद्यापन अक्‍सर सोमवार के दिन ही करती हैं। आज यह स्त्रियोचित कर्म-काण्‍ड का दारोमदार देश के एक प्रमुख अखबार दैनिक हिन्‍दुस्‍तान के समूह सम्‍पादक शशि शेखर ने निबटा लिया। इतना ही नहीं, इस उद्यापन में उन्‍होंने अपने राजनीतिक सम्‍पादक निर्मल पाठक को भी लपेट लिया। खबरची समुदाय के लोग अब इस उद्यापन का फलित और उसके बाद बंटने-लुटने वाली पंजीरी और पंचामृत को छीनने की प्रक्रिया का आंकलन में जुट गये हैं।

जी हां, देश के नव-निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले मशहूर उद्योगपति घनश्‍याम दास बिड़ला ने अपनी जन-प्रतिबद्धता के लिए अपनी अधिकांश पूंजी पत्रकारिता की सेवा में लगा दी थी। हिन्‍दुस्‍तान समूह गठित किया और हिन्‍दुस्‍तान टाइम्‍स और दैनिक हिन्‍दी हिन्‍दुस्‍तान अखबार का प्रकाशन शुरू हुआ। इस समूह ने समाज के हर इकाई तक समाचार पहुंचाने के लिए कई-कई पत्रिकाओं का भी प्रकाशन किया। यह समाचार समूह और उसकी पत्र-पत्रिकाएं अब तक बेमिसाल रही हैं। लेकिन हालात अब बिगड़ रहे हैं। मेरी बिटिया डॉट कॉम ने आज 26 सितम्‍बर-16 के सम्‍पादकीय पृष्‍ठ का जायजा लिया तो दंग रह गया।

सच बात तो यह है कि बिड़ला जी ने जो अपना यह सपना साकार किया था, आज के मालिकान और उसके बड़े चाकर अब उसे लतियाय-जुतियाने में जुट गये हैं। अब हालत यह है कि बिड़ला जी का यह अखबार विशुद्ध दलाली, अनर्थकारी समाचार और मक्‍कार साक्षात्‍कारों का प्रतीक बनता जा रहा है। इस ताजा अभियान-अनुष्‍ठान का उद्यापन आज दैनिक हिन्‍दी हिन्‍दुस्‍तान के समूह सम्‍पादक शशि शेखर ने आाज सोमवार को कर डाला।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर का एक इंटरव्यू आज इस अखबार ने छापा है, जो कानून और सूचना तकनॉलॉजी विभाग के मुखिया हैं। यह साक्षात्‍कार छपा है सम्‍पादकीय पृष्‍ठ के ठीक सामने। मंत्री से यह बातचीत की है इस अखबार के समूह सम्‍पादक शशि शेखर ने। साथ में पुछल्‍ला-लटकन के तौर पर इस अखबार के राजनीतिक सम्‍पादक हैं, जैसे पूर्वांचल की निजी बसों के पीछे लटकता “कंडट्टर-किलिंजर”।

अब देखिये कि इन दो महान सम्‍पादकों ने कितनी और कैसी-कैसी लन्‍तरानियां उगली हैं इस अखबार में। रविशंकर का काम है कानून और सूचना-तकनालाजी का, लेकिन उनसे पूछ लिया है पाकिस्‍तान के ताजा हालात और बलूचिस्‍तान के शरणार्थियों की अर्जियों पर मिलनी वाली इजाजत पर। कुछ 16 सवाल उछाले हैं शशि शेखर और निर्मल पाठक ने, जिनमें से नौ सवालों का कोई भी लेना-देना रविशंकर से नहीं है, सिवाय इसके कि रविशंकर केंद्रीय सरकार के एक सामान्‍य से मंत्री हैं। हैरत की बात  है कि नौ सवालों के बाद शशि शेखर और निर्मल पाठक को याद आया था कि रविशंकर सिंह से उनके विभाग से जुड़े कुछ सवाल भी लिये जाने चाहिए थे। मसलन कानून और सूचना तकनॉलॉजी जैसे अहम और ज्‍वलंत सवाल। इसलिए उन्‍होंने निहायत मूर्खतापूर्ण सवालों का दुमछल्‍ला छोड़ कर पूरी बातचीत का उद्यापन कर लिया।

खबर के इंट्रो में लिखा है कि इन सम्‍पादक-द्वय ने रविशंकर प्रसाद से तमाम ज्‍वलंत मुद्दों बातचीत की है। लेकिन सच बात तो यह है कि यह सारे के सारे सवाल निहायत सतही और अनावश्‍यक हैं, जिन्‍हें खबर की दुनिया में फिलर या फिर पीपी यानी प्राइवेट-प्रैक्टिस के तौर पर पहचाना जाता है।

दोस्‍तों। यह हिन्‍दी पत्रकारिता के अवसान-काल का परिचायक है। अब तक ऐसी हरकतें किसी अखबार का एकाध कोई दल्‍ला पत्रकार करता था। इतनी बारीकी के साथ, कि उसकी साजिश का खुलासा आसानी से नहीं हो पाता था। लेकिन आज शशि शेखर और निर्मल पाठक ने वह बाउंड्री भी ढहा दी है।

www.meribitiya.com इस मसले पर बेहद संवेदनशील है। इसी के सहारे हम आपको अब खबर-श्रंखला शुरू करने जा रहे हैं, जो हिन्‍दी पत्रकारिता को श्‍मशान तक पहुंचाने तक घसीटी जा रही है। यह समाचार-श्रंखला अगले कई‍ दिनों तक प्रकाशित की जाएगी। आप यदि इसकी बाकी कडि़यों को पढ़ना चाहें तो कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- दैनिक हिन्‍दुस्‍तान जी ! राम नाम सत्‍त है

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