संकटमोचन मंदिर: सुने बजरंग बली, सुनाये गुलाम अली

मेरा कोना

: मूर्खताओं का पुलिंदा बने जागरण ने किया आज कमाल : बेमिसाल हेडिंग लगा डाली:- सुने बजरंग बली, सुनाये गुलाम अली : संकटमोचन मंदिर में गुलाम अली की संगीत-सन्ध्‍या पर झूमे दर्शक : जागरण अपनी मूर्खताओं और हिन्दुस्तान फर्जी खबरों के बल पर बना चैम्पियन :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आपको अगर मुसलसल-मुस्ताकिल चूतियापन्थी देखने का शौक हो तो उसके लिए दैनिक जागरण से बेहतर कुछ नहीं हो सकता है। कहीं ईरान, तो कहीं तूरान। न तुक, न ताल। अधिकांश खबरें विधवा-रूदन सी। जागरण और हिन्दुस्तान इस मामले में ठेलम-ठेली लगाये रहते हैं कि कौन नम्बर पर आ जाए।

अभी दो दिन पहले हर्ष-फायरिंग पर एक पीस इसी अखबार ने लीड यानी अपने पहले पन्ने की पहली विशाल खबर के तौर पर पेश किया। जबकि हकीकत यह थी कि इसमें खबर में एक फीसदी थी, लेकिन उस पर लिखा सम्पादकीय आलेख 99 फीसदी घुसेड़ दिया गया था। बकलोली करना इस अखबार में रोजमर्रा का मामला है।

लेकिन गुलाम अली को लेकर जो खबर दैनिक जागरण ने लगायी है, वे वाकई काबिल-ए-तारीफ है। हालांकि खबर में तो कोई खास बात नहीं है, लेकिन सम्पादन में कमाल हो गया। जो शीर्षक लगाया गया है, उसे पढ़ कर दिल-दिमाग कई दिनों तक गुनगुनता ही रहेगा।  खबर की हेडिंग लगायी गयी है:- सुने बजरंग बली, सुनाये गुलाम अली

इस तरह का कमाल या तो कमर वहीद नकवी के बस का है, या फिर शशांक शेखर त्रिपाठी के लहजे में। हां, बनारसी सुशील त्रिपाठी होते तो वह भी इस रेस में होते। खैर,

भई वाह। मेरी तरफ से उस हेडिंग लगाने वाले को 251 रूपयों का नकद ईनाम। रिपोर्टर को 101 रूपया। अब या तो मैं काशी जाने पर यह रकम दे दूंगा, या फिर जिसकी यह लॉटरी खुली है, वह बताये। मैं किसी के हाथों बनारस तक यह ईनाम भिजवा दूंगा।

अब जागरण वाले भले ही मजीठिया वेतनमान लागू न करें, जन्मना-कर्मणा पक्कें झुट्ठे और पत्रकारों के बरसाती नेता हेमन्त तिवारी से मिले घावों को कुछ न कुछ राहत तो मिल पायेगी इस ईनाम से।

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